जयपुर. जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने बुधवार को आदेश जारी कर राजस्थान ध्वनि नियंत्रण अधिनियम 1963 की धारा 5 में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए जयपुर जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक स्थानों पर सामाजिक एवं सांस्कृतिक जुलूस एवं समारोह और अन्य आमजन को प्रभावित करने वाले क्षेत्रों में ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग निषेध कर दिया है. इन ध्वनि प्रसारण यंत्रों में डीजे सहित सभी ध्वनि विस्तारक यंत्र शामिल है.
आदेश के अनुसार किसी व्यक्ति, समूह या प्रतिनिधि को किसी भी प्रकार के सामाजिक एवं सांस्कृतिक जुलूस, समारोह तथा आमजन में तीव्र ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग करने के लिए संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट या पुलिस उपायुक्त की पूर्व अनुमति लेनी होगी. आदेश के अंतर्गत किसी भी हाल में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच यह स्वीकृति नहीं दी जा सकेगी.
आदेशानुसार बिना अनुमति डीजे में प्रयुक्त वाहन को जब्त कर संबंधित वाहन मालिक के विरुद्ध ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1963 एवं मोटर वाहन अधिनियम के तहत संबंधित अधिकारी एवं परिवहन विभाग द्वारा डीजे सहित सभी ध्वनि विस्तारक यंत्र के संबंध में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.
स्वीकृति मिलने के बावजूद ध्वनि का स्तर ध्वनि प्रदूषण( विनियमन एवं नियंत्रण 2000) की अनुसूची में निर्धारित स्टार से अधिक नहीं हो सकेगा. इस आदेश के उल्लंघन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 में अपराध दंडनीय होगा.
जिला कलेक्टर ने बताया कि ऐसी सूचना प्राप्त हुई है कि जयपुर जिले में विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक समारोह, जुलूसों में ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग करने के कारण अधिक ध्वनि प्रदूषण फैल रहा है. जिससे बीमार व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. साथ ही विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे परीक्षार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. आमजन को अधिक ध्वनि प्रदूषण से होने वाली बाधा, एवं असुविधा को समाप्त करने और वातावरण को शांतिमय बनाए रखने के लिए यह आदेश जारी किया गया है.