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राजस्थान कांग्रेस के नामदारों के आगे नहीं गल पा रही कई कामदारों की दाल... - प्रदेश कांग्रेस

राजस्थान कांग्रेस के दिग्गजों के आगे जमीन पर काम कर रहे कार्यकर्ता और विधायक उभर नहीं पा रहे हैं (Big Vs Small In Congress). बड़े नाम ओहदेदार हैं, लेकिन इनके विधानसभा क्षेत्र के MLA न जाने क्यों हाशिए पर हैं. अग्रिम पंक्ति, पिछली पंक्ति पर हावी होती दिख रही है. इनके लिए दिग्गज एक चुनौती बन गए हैं. देखिए ये रिपोर्ट.

Etv BharatPowerful Congressmen Of Rajasthan
नामदारों के आगे नहीं गल पा रही कई कामदारों की दाल
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Published : Aug 12, 2022, 12:12 PM IST

Updated : Aug 12, 2022, 12:30 PM IST

जयपुर. राजस्थान में एक कहावत है 'घर का पूत कुंवारा डोले और पड़ोसियों का फेरा'. ये कहावत राजस्थान के उन जिलों के विधायकों पर सटीक बैठती हुई दिखाई दे रही है, जहां से प्रदेश के बड़े नेता आते हैं (Big Vs Small In Congress). मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जोधपुर जिला हो, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का सीकर, सचिन पायलट का टोंक या अजमेर, शांति धारीवाल का कोटा, प्रमोद जैन भाया का बारां या फिर रघु शर्मा का अजमेर. इन सभी जिलों से प्रदेश के वो नेता आते हैं जो राजस्थान कांग्रेस के अग्रिम पंक्ति के बड़े नेता हैं. भले ही इन बड़े नेताओं के जिलों के विधायकों की सरकार के अंदर तक दखल होती है, लेकिन इसका नुकसान भी जिले के विधायकों को उठाना पड़ता है.

दरअसल, बड़ों के चक्कर में इनको नजरअंदाज कर दिया जाता है (Rajasthan Congress Under Dilemma). इन बड़े नेताओं के जिले के विधायकों को सरकार में कोई बड़े पद नहीं मिलते हैं. कारण साफ है कि जब बड़े नेता किसी जिले से आते हैं तो उन्हें मिले पद ही प्रमुख हो जाते हैं बाकी विधायक इन बड़े नेताओं के कद के आगे गौण हो जाते हैं. ऐसा नही है कि इन जिलों से विधायकों के जितने की संख्या कम हो बल्कि जोधपुर से 10 में से 7, सीकर के 8 में से 7,टोंक के 4 में से 3 और बारां के 4 में से 3 विधायक चुनाव जीते हैं लेकिन प्रतिनिधित्व इनके प्रमुख और नामदार नेताओं को ही मिला है. यंहा तक कि सचिन पायलट के टोंक ओर गोविंद डोटासरा के सीकर जिले से तो इन दोनों नेताओं समेत एक भी मंत्री नही है यही हाल रघु शर्मा के अजमेर जिले का है.

भरतपुर, बीकानेर, दौसा, अलवर ,बांसवाड़ा,बूंदी,जलोर लगभग 100 % पद पाने वाले जिलेराजस्थान के भरतपुर, बीकानेर, दौसा, अलवर ,बांसवाड़ा,बूंदी,जलोर वो जिले है जहां के विधायकों को सरकार में हिस्सेदारी लगभग 100% है.इन जिलों के सभी विधायको को सरकार में पद दिए गए हैं हालांकि भरतपुर ,दौसा ,अलवर ने तो तो सरकार बनाने में अपने पूर्व विधायक भी जिता कर विधानसभा भेजें लेकिन बाकी जिलों में कम विधायक होकर भी उनका प्रतिनिधित्व पूरा है.

8 जिले प्रतिनिधत्व के मामले में लगभग Zero: राजस्थान के 8 जिले ऐसे हैं जिन्हें प्रतिनिधित्व के नाम पर कुछ नहीं मिला. इन जिलों में से भी नागौर, टोंक ,प्रतापगढ़, सवाई माधोपुर और करौली ऐसे जिले हैं जहां से ज्यादातर विधायक कांग्रेस के हैं. इक्का-दुक्का को छोड़कर इन जिलों को कुछ खास प्रतिनिधित्व नहीं मिला. इसके अलावा उदयपुर ,अजमेर ,डूंगरपुर, गंगानगर और हनुमानगढ़ को भी सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली है.

पढ़ें-Parivarvad In Rajasthan Congress: 1 परिवार 1 टिकट का तोड़ ढूंढे बैठे हैं माननीय, उम्र की बाधा आड़े आई तो बेटा बहू हैं न!

पढ़ें-Political Dynasties in Rajasthan : एक ही फैमिली के कई सदस्य पार्टी चुनी अलग-अलग, परिवारवाद या वंशवाद आखिर इन्हें कहें तो कहें क्या?

ये जिले आगे:

1.भरतपुर- जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं जिनमें भरतपुर की सीट कांग्रेस ने अपने सहयोगी दल आरएलडी को दी थी .सभी 7 सीटों पर कांग्रेस या कांग्रेस के समर्थक जीते तो सरकार में हिस्सेदारी भी उसी अनुपात में मिली.विश्वेन्द्र सिंह, जाहिदा खान, भजन लाल जाटव ओर सुभाष गर्ग को मंत्री बनाया गया, तो जोगिंदर अवाना और वाजिब अली को राजनीतिक नियुक्ति मिली. एकमात्र विधायक अमर सिंह जाटव को कोई पद नहीं मिला.

2.दौसा- यहां 5 विधानसभा सीटें हैं जिनमें से चार पर कांग्रेस के विधायक हैं. चारों को ही सत्ता में हिस्सेदारी मिल गई है. परसादी लाल मीणा, ममता भूपेश, मुरारी लाल मीणा को मंत्री बनाया गया, तो जी आर खटाणा को राजनीतिक नियुक्ति मिली.

3.बीकानेर- जिले में 7 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के 3 विधायकों ने जीत दर्ज की और तीनों को ही मंत्री पद दिया गया. बीडी कल्ला गोविंद राम मेघवाल और भंवर सिंह भाटी गहलोत सरकार में मंत्री हैं.

4.अलवर- जिले के 2 मंत्री, 2 को राजनीतिक नियुक्ति और दो के परिजनों को राजनीतिक नियुक्ति मिली. केवल एक विधायक जोहरी लाल मीणा इस नेमत से महरूम रहे. शकुंतला रावत और टीकाराम जूली मंत्री बने. संदीप यादव ओर दीपचंद खेरिया को राजनीतिक नियुक्ति मिली, तो वही बाबूलाल कठूमर के बेटे और विधायक साफिया जुबेर के पति जुबेर खान को राजनीतिक नियुक्ति देकर एडजस्ट कर दिया गया .एकमात्र जोहरी लाल मीणा ऐसे विधायक रहे जिन्हें सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली.

5.बांसवाड़ा- महेंद्रजीत मालवीय और अर्जुन बामणिया मंत्री बने तो निर्दलीय विधायक रमिला खड़िया को राजनीतिक नियुक्ति देकर सरकार में एडजस्ट किया गया.

6.बाड़मेर-7 में से 6 विधायक कांग्रेस के अभी 1 मंत्री और 1 विधायक को राजनीतिक नियुक्ति मिली है. हेमाराम चौधरी को मंत्री और मेवाराम जैन को राजनीतिक नियुक्ति दी गई आधा की हरीश चौधरी पहले मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में पंजाब के प्रभारी भी हैं लेकिन सरकार में हिस्सेदारी में 6 विधायकों में से चार विधायक खाली हाथ.

7.बारां- 4 में से 3 कांग्रेस विधायक सरकार में हिस्सेदारी केवल एक को.बारां जिले की 4 में से 3 सीट पर कांग्रेस के विधायक हैं, लेकिन मंत्री केवल प्रमोद जैन भाया को बनाया गया है पानाचंद मेघवाल और निर्मला सहरिया खाली हाथ.

8.भीलवाड़ा-7 में से 2 कांग्रेस विधायक लेकिन 1 को सरकार में हिस्सेदारी मिली. रामलाल जाट मंत्री बने तो गायत्री त्रिवेदी अभी खाली हाथ है.

9.बूंदी-3 विधानसभा सीट में से एक कांग्रेस विधायक को मंत्री पद मिला. बूंदी जिले में 3 विधानसभा में से एक विधानसभा सीट पर अशोक चांदना विधायक हैं जिन्हें मंत्री बनाया गया.

10. चित्तौड़गढ़- 5 में से दो कांग्रेस विधायक और एक मंत्री हैं. उदयलाल आंजना को मंत्री बनाया गया तो राजेंद्र बिधूड़ी खाली हाथ हैं.

11.चूरू- चूरू जिले के 6 विधायकों में से चार कांग्रेस के है. इनमें से एक को राजनीतिक नियुक्ति तो एक के परिजन को राजनीतिक नियुक्ति देकर एडजस्ट किया गया. विधायक कृष्णा पूनिया को दी गई राजनीतिक नियुक्ति, तो विधायक भंवरलाल शर्मा के बेटे को राजनीतिक नियुक्ति देकर किया गया एडजस्ट. नरेंद्र बुडानिया और मनोज मेघवाल खाली हाथ.

12.धौलपुर- धौलपुर जिले के चार विधायकों में से तीन विधायक कांग्रेस के हैं. 3 में से 1 विधायक को राजनीतिक नियुक्ति मिली 1 के पिता को किया गया एडजस्ट. खिलाड़ी लाल बैरवा को राजनीतिक नियुक्ति तो रोहित बोहरा के पिता को मिली राजनीतिक नियुक्ति ,विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा खाली हाथ.

13.जयपुर- 19 में से 10 विधायक कांग्रेस के. 4 विधायकों प्रताप सिंह खाचरियावास महेश जोशी लालचंद कटारिया और राजेंद्र यादव को मिला मंत्री पद. 2 विधायकों अमीन कागजी और रफीक खान की राजनीतिक नियुक्ति हुई. समर्थक निर्दलीय विधायक लक्ष्मण मीणा को भी राजनीतिक नियुक्ति दी . वेद सोलंकी ,इंद्राज गुर्जर, गोपाल मीणा और गंगा देवी खाली हाथ ही रहे.

14. जैसलमेर- जैसलमेर जिले के दोनों विधायक कांग्रेस के हैं. एक विधायक साले मोहम्मद को मंत्री पद तो दूसरे विधायक रुपाराम खाली हाथ रहे.

15. सांचोर- 5 में से कांग्रेस का एकमात्र विधायक सुखराम बिश्नोई हैं इन्हें मंत्री बनाया गया है.

16.झुंझुनू- झुंझुनू में सात में से 6 विधायक कांग्रेस के हैं. इनमें से राजेंद्र गुढ़ा और विजेंद्र ओला को मंत्री बनाया गया, तो वही जितेंद्र सिंह और राजकुमार शर्मा को मुख्यमंत्री का सलाहकार, लेकिन रीटा चौधरी और जेपी चंदेलिया खाली हाथ ही रह गए.

17.करौली- करौली जिले के चारों विधायक कांग्रेस के हैं. चार में से रमेश मीणा को मंत्री और लखन मीणा को राजनीतिक नियुक्ति दी गई पृथ्वीराज मीणा और भरोसी लाल जाटव तो सरकार में नहीं मिली हिस्सेदारी.

18.कोटा- कोटा जिले की 6 विधानसभा सीट में से तीन पर कांग्रेस के विधायक हैं. इनमें से शांति धारीवाल गहलोत सरकार में मंत्री है, लेकिन राम नारायण मीणा और भरत सिंह को सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली.

19.सीकर- सीकर जिले के 8 विधायकों में से 7 विधायक कांग्रेस के हैं. इनमें से सुरेश मोदी और हाकम अली को राजनीतिक नियुक्ति मिली है. बाकी पांच विधायक खाली हाथ है ,हालांकि राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद डोटासरा सीकर से ही आते हैं और वह पहले मंत्री रह चुके हैं .बाकी बचे विधायक परसराम मोरदिया, दीपेंद्र सिंह, राजेंद्र पारीक और वीरेंद्र सिंह को सरकार में कोई हिस्सेदारी नहीं मिली.

20. जोधपुर- जोधपुर जिले के 10 विधायकों में से 7 विधायक कांग्रेस के हैं. जोधपुर जिले से ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आते हैं, लेकिन बाकी बचे छह विधायक हीराराम ,मनीषा पवार ,कृष्णा राम विश्नोई, महेंद्र विश्नोई, दिव्या मदेरणा, मीना कंवर को जोधपुर से ही मुख्यमंत्री होने के बावजूद कोई हिस्सेदारी नहीं मिली.

21. राजसमंद- राजसमंद जिले कि 4 विधानसभा में से दो विधायक कांग्रेस के हैं जिनमें सीपी जोशी को स्पीकर बनाया गया है, तो सुदर्शन सिंह रावत के पिता को राजनीतिक नियुक्ति दे दी गई है.

इन जिलों के विधायकों को नही मिला पूरा प्रतिनिधित्व:

1.डूंगरपुर- 4 में से 1 कांग्रेस विधायक जो खाली हाथ- डूंगरपुर जिले में कांग्रेस का एकमात्र विधायक गणेश घोघरा है, जिन्हें सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली लेकिन उन्हें यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया है.

2.हनुमानगढ़- 5 में से 2 विधायक अमित चाचा और विनोद कुमार ,कांग्रेस के लेकिन दोनों सरकार में हिस्सेदारी से दूर.

3. गंगानगर- 6 में से 2 कांग्रेस के विधायक गुरमीत सिंह और जगदीश चंद्र लेकिन दोनों सरकार में हिस्सेदारी से दूर.

4.प्रतापगढ़- प्रतापगढ़ जिले के दोनों विधायक कांग्रेस पार्टी के लेकिन विधायक रामलाल मीणा और विधायक नागराज को सरकार में कोई पद नहीं मिला.

5.टोंक- टोंक जिले के चार में से तीन विधायक कांग्रेस के हैं लेकिन तीनों विधायक सचिन पायलट हरीश मीणा और प्रशांत बैरवा को सरकार में कोई हिस्सेदारी नहीं मिली हालांकि सचिन पायलट पहले प्रदेश के उपमुख्यमंत्री रहे.

6.सवाईमाधोपुर- सवाई माधोपुर जिले की चार में से तीन विधायक कांग्रेस के जिनमें से दानिश अबरार को मुख्यमंत्री का सलाहकार बनाया गया बाकी बचे विधायक इंदिरा मीणा और अशोक बैरवा सरकार में नहीं पा सके कोई हिस्सेदारी.

7.उदयपुर- उदयपुर जिले के 8 विधायकों में से 2 विधायक कांग्रेस के हैं, लेकिन दोनों विधायक दयाराम परमार और प्रीति शक्तावत को सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली.

8.नागौर- नागौर जिले के 10 विधायकों में से 6 विधायक कांग्रेस के हैं, लेकिन 6 में से केवल महेंद्र चौधरी को पद दिया गया वह भी उप मुख्य सचेतक का, बाकी पांच विधायक विजयपाल मिर्धा ,चेतन डूडी, मंजू देवी, मुकेश भाकर और रामनिवास गावड़िया नहीं पा सके सरकार में कोई हिस्सेदारी.

9.अजमेर- 8 में से 2 विधायक दोनों सरकार के हिस्सा नहीं- 8 विधायकों में से दो कांग्रेस के दोनों विधायक रघु शर्मा और राकेश पारीक को सत्ता में हिस्सेदारी नहीं. हालांकि, रघु शर्मा पहले मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में गुजरात के प्रभारी हैं.

जयपुर. राजस्थान में एक कहावत है 'घर का पूत कुंवारा डोले और पड़ोसियों का फेरा'. ये कहावत राजस्थान के उन जिलों के विधायकों पर सटीक बैठती हुई दिखाई दे रही है, जहां से प्रदेश के बड़े नेता आते हैं (Big Vs Small In Congress). मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जोधपुर जिला हो, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का सीकर, सचिन पायलट का टोंक या अजमेर, शांति धारीवाल का कोटा, प्रमोद जैन भाया का बारां या फिर रघु शर्मा का अजमेर. इन सभी जिलों से प्रदेश के वो नेता आते हैं जो राजस्थान कांग्रेस के अग्रिम पंक्ति के बड़े नेता हैं. भले ही इन बड़े नेताओं के जिलों के विधायकों की सरकार के अंदर तक दखल होती है, लेकिन इसका नुकसान भी जिले के विधायकों को उठाना पड़ता है.

दरअसल, बड़ों के चक्कर में इनको नजरअंदाज कर दिया जाता है (Rajasthan Congress Under Dilemma). इन बड़े नेताओं के जिले के विधायकों को सरकार में कोई बड़े पद नहीं मिलते हैं. कारण साफ है कि जब बड़े नेता किसी जिले से आते हैं तो उन्हें मिले पद ही प्रमुख हो जाते हैं बाकी विधायक इन बड़े नेताओं के कद के आगे गौण हो जाते हैं. ऐसा नही है कि इन जिलों से विधायकों के जितने की संख्या कम हो बल्कि जोधपुर से 10 में से 7, सीकर के 8 में से 7,टोंक के 4 में से 3 और बारां के 4 में से 3 विधायक चुनाव जीते हैं लेकिन प्रतिनिधित्व इनके प्रमुख और नामदार नेताओं को ही मिला है. यंहा तक कि सचिन पायलट के टोंक ओर गोविंद डोटासरा के सीकर जिले से तो इन दोनों नेताओं समेत एक भी मंत्री नही है यही हाल रघु शर्मा के अजमेर जिले का है.

भरतपुर, बीकानेर, दौसा, अलवर ,बांसवाड़ा,बूंदी,जलोर लगभग 100 % पद पाने वाले जिलेराजस्थान के भरतपुर, बीकानेर, दौसा, अलवर ,बांसवाड़ा,बूंदी,जलोर वो जिले है जहां के विधायकों को सरकार में हिस्सेदारी लगभग 100% है.इन जिलों के सभी विधायको को सरकार में पद दिए गए हैं हालांकि भरतपुर ,दौसा ,अलवर ने तो तो सरकार बनाने में अपने पूर्व विधायक भी जिता कर विधानसभा भेजें लेकिन बाकी जिलों में कम विधायक होकर भी उनका प्रतिनिधित्व पूरा है.

8 जिले प्रतिनिधत्व के मामले में लगभग Zero: राजस्थान के 8 जिले ऐसे हैं जिन्हें प्रतिनिधित्व के नाम पर कुछ नहीं मिला. इन जिलों में से भी नागौर, टोंक ,प्रतापगढ़, सवाई माधोपुर और करौली ऐसे जिले हैं जहां से ज्यादातर विधायक कांग्रेस के हैं. इक्का-दुक्का को छोड़कर इन जिलों को कुछ खास प्रतिनिधित्व नहीं मिला. इसके अलावा उदयपुर ,अजमेर ,डूंगरपुर, गंगानगर और हनुमानगढ़ को भी सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली है.

पढ़ें-Parivarvad In Rajasthan Congress: 1 परिवार 1 टिकट का तोड़ ढूंढे बैठे हैं माननीय, उम्र की बाधा आड़े आई तो बेटा बहू हैं न!

पढ़ें-Political Dynasties in Rajasthan : एक ही फैमिली के कई सदस्य पार्टी चुनी अलग-अलग, परिवारवाद या वंशवाद आखिर इन्हें कहें तो कहें क्या?

ये जिले आगे:

1.भरतपुर- जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं जिनमें भरतपुर की सीट कांग्रेस ने अपने सहयोगी दल आरएलडी को दी थी .सभी 7 सीटों पर कांग्रेस या कांग्रेस के समर्थक जीते तो सरकार में हिस्सेदारी भी उसी अनुपात में मिली.विश्वेन्द्र सिंह, जाहिदा खान, भजन लाल जाटव ओर सुभाष गर्ग को मंत्री बनाया गया, तो जोगिंदर अवाना और वाजिब अली को राजनीतिक नियुक्ति मिली. एकमात्र विधायक अमर सिंह जाटव को कोई पद नहीं मिला.

2.दौसा- यहां 5 विधानसभा सीटें हैं जिनमें से चार पर कांग्रेस के विधायक हैं. चारों को ही सत्ता में हिस्सेदारी मिल गई है. परसादी लाल मीणा, ममता भूपेश, मुरारी लाल मीणा को मंत्री बनाया गया, तो जी आर खटाणा को राजनीतिक नियुक्ति मिली.

3.बीकानेर- जिले में 7 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के 3 विधायकों ने जीत दर्ज की और तीनों को ही मंत्री पद दिया गया. बीडी कल्ला गोविंद राम मेघवाल और भंवर सिंह भाटी गहलोत सरकार में मंत्री हैं.

4.अलवर- जिले के 2 मंत्री, 2 को राजनीतिक नियुक्ति और दो के परिजनों को राजनीतिक नियुक्ति मिली. केवल एक विधायक जोहरी लाल मीणा इस नेमत से महरूम रहे. शकुंतला रावत और टीकाराम जूली मंत्री बने. संदीप यादव ओर दीपचंद खेरिया को राजनीतिक नियुक्ति मिली, तो वही बाबूलाल कठूमर के बेटे और विधायक साफिया जुबेर के पति जुबेर खान को राजनीतिक नियुक्ति देकर एडजस्ट कर दिया गया .एकमात्र जोहरी लाल मीणा ऐसे विधायक रहे जिन्हें सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली.

5.बांसवाड़ा- महेंद्रजीत मालवीय और अर्जुन बामणिया मंत्री बने तो निर्दलीय विधायक रमिला खड़िया को राजनीतिक नियुक्ति देकर सरकार में एडजस्ट किया गया.

6.बाड़मेर-7 में से 6 विधायक कांग्रेस के अभी 1 मंत्री और 1 विधायक को राजनीतिक नियुक्ति मिली है. हेमाराम चौधरी को मंत्री और मेवाराम जैन को राजनीतिक नियुक्ति दी गई आधा की हरीश चौधरी पहले मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में पंजाब के प्रभारी भी हैं लेकिन सरकार में हिस्सेदारी में 6 विधायकों में से चार विधायक खाली हाथ.

7.बारां- 4 में से 3 कांग्रेस विधायक सरकार में हिस्सेदारी केवल एक को.बारां जिले की 4 में से 3 सीट पर कांग्रेस के विधायक हैं, लेकिन मंत्री केवल प्रमोद जैन भाया को बनाया गया है पानाचंद मेघवाल और निर्मला सहरिया खाली हाथ.

8.भीलवाड़ा-7 में से 2 कांग्रेस विधायक लेकिन 1 को सरकार में हिस्सेदारी मिली. रामलाल जाट मंत्री बने तो गायत्री त्रिवेदी अभी खाली हाथ है.

9.बूंदी-3 विधानसभा सीट में से एक कांग्रेस विधायक को मंत्री पद मिला. बूंदी जिले में 3 विधानसभा में से एक विधानसभा सीट पर अशोक चांदना विधायक हैं जिन्हें मंत्री बनाया गया.

10. चित्तौड़गढ़- 5 में से दो कांग्रेस विधायक और एक मंत्री हैं. उदयलाल आंजना को मंत्री बनाया गया तो राजेंद्र बिधूड़ी खाली हाथ हैं.

11.चूरू- चूरू जिले के 6 विधायकों में से चार कांग्रेस के है. इनमें से एक को राजनीतिक नियुक्ति तो एक के परिजन को राजनीतिक नियुक्ति देकर एडजस्ट किया गया. विधायक कृष्णा पूनिया को दी गई राजनीतिक नियुक्ति, तो विधायक भंवरलाल शर्मा के बेटे को राजनीतिक नियुक्ति देकर किया गया एडजस्ट. नरेंद्र बुडानिया और मनोज मेघवाल खाली हाथ.

12.धौलपुर- धौलपुर जिले के चार विधायकों में से तीन विधायक कांग्रेस के हैं. 3 में से 1 विधायक को राजनीतिक नियुक्ति मिली 1 के पिता को किया गया एडजस्ट. खिलाड़ी लाल बैरवा को राजनीतिक नियुक्ति तो रोहित बोहरा के पिता को मिली राजनीतिक नियुक्ति ,विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा खाली हाथ.

13.जयपुर- 19 में से 10 विधायक कांग्रेस के. 4 विधायकों प्रताप सिंह खाचरियावास महेश जोशी लालचंद कटारिया और राजेंद्र यादव को मिला मंत्री पद. 2 विधायकों अमीन कागजी और रफीक खान की राजनीतिक नियुक्ति हुई. समर्थक निर्दलीय विधायक लक्ष्मण मीणा को भी राजनीतिक नियुक्ति दी . वेद सोलंकी ,इंद्राज गुर्जर, गोपाल मीणा और गंगा देवी खाली हाथ ही रहे.

14. जैसलमेर- जैसलमेर जिले के दोनों विधायक कांग्रेस के हैं. एक विधायक साले मोहम्मद को मंत्री पद तो दूसरे विधायक रुपाराम खाली हाथ रहे.

15. सांचोर- 5 में से कांग्रेस का एकमात्र विधायक सुखराम बिश्नोई हैं इन्हें मंत्री बनाया गया है.

16.झुंझुनू- झुंझुनू में सात में से 6 विधायक कांग्रेस के हैं. इनमें से राजेंद्र गुढ़ा और विजेंद्र ओला को मंत्री बनाया गया, तो वही जितेंद्र सिंह और राजकुमार शर्मा को मुख्यमंत्री का सलाहकार, लेकिन रीटा चौधरी और जेपी चंदेलिया खाली हाथ ही रह गए.

17.करौली- करौली जिले के चारों विधायक कांग्रेस के हैं. चार में से रमेश मीणा को मंत्री और लखन मीणा को राजनीतिक नियुक्ति दी गई पृथ्वीराज मीणा और भरोसी लाल जाटव तो सरकार में नहीं मिली हिस्सेदारी.

18.कोटा- कोटा जिले की 6 विधानसभा सीट में से तीन पर कांग्रेस के विधायक हैं. इनमें से शांति धारीवाल गहलोत सरकार में मंत्री है, लेकिन राम नारायण मीणा और भरत सिंह को सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली.

19.सीकर- सीकर जिले के 8 विधायकों में से 7 विधायक कांग्रेस के हैं. इनमें से सुरेश मोदी और हाकम अली को राजनीतिक नियुक्ति मिली है. बाकी पांच विधायक खाली हाथ है ,हालांकि राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद डोटासरा सीकर से ही आते हैं और वह पहले मंत्री रह चुके हैं .बाकी बचे विधायक परसराम मोरदिया, दीपेंद्र सिंह, राजेंद्र पारीक और वीरेंद्र सिंह को सरकार में कोई हिस्सेदारी नहीं मिली.

20. जोधपुर- जोधपुर जिले के 10 विधायकों में से 7 विधायक कांग्रेस के हैं. जोधपुर जिले से ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आते हैं, लेकिन बाकी बचे छह विधायक हीराराम ,मनीषा पवार ,कृष्णा राम विश्नोई, महेंद्र विश्नोई, दिव्या मदेरणा, मीना कंवर को जोधपुर से ही मुख्यमंत्री होने के बावजूद कोई हिस्सेदारी नहीं मिली.

21. राजसमंद- राजसमंद जिले कि 4 विधानसभा में से दो विधायक कांग्रेस के हैं जिनमें सीपी जोशी को स्पीकर बनाया गया है, तो सुदर्शन सिंह रावत के पिता को राजनीतिक नियुक्ति दे दी गई है.

इन जिलों के विधायकों को नही मिला पूरा प्रतिनिधित्व:

1.डूंगरपुर- 4 में से 1 कांग्रेस विधायक जो खाली हाथ- डूंगरपुर जिले में कांग्रेस का एकमात्र विधायक गणेश घोघरा है, जिन्हें सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली लेकिन उन्हें यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया है.

2.हनुमानगढ़- 5 में से 2 विधायक अमित चाचा और विनोद कुमार ,कांग्रेस के लेकिन दोनों सरकार में हिस्सेदारी से दूर.

3. गंगानगर- 6 में से 2 कांग्रेस के विधायक गुरमीत सिंह और जगदीश चंद्र लेकिन दोनों सरकार में हिस्सेदारी से दूर.

4.प्रतापगढ़- प्रतापगढ़ जिले के दोनों विधायक कांग्रेस पार्टी के लेकिन विधायक रामलाल मीणा और विधायक नागराज को सरकार में कोई पद नहीं मिला.

5.टोंक- टोंक जिले के चार में से तीन विधायक कांग्रेस के हैं लेकिन तीनों विधायक सचिन पायलट हरीश मीणा और प्रशांत बैरवा को सरकार में कोई हिस्सेदारी नहीं मिली हालांकि सचिन पायलट पहले प्रदेश के उपमुख्यमंत्री रहे.

6.सवाईमाधोपुर- सवाई माधोपुर जिले की चार में से तीन विधायक कांग्रेस के जिनमें से दानिश अबरार को मुख्यमंत्री का सलाहकार बनाया गया बाकी बचे विधायक इंदिरा मीणा और अशोक बैरवा सरकार में नहीं पा सके कोई हिस्सेदारी.

7.उदयपुर- उदयपुर जिले के 8 विधायकों में से 2 विधायक कांग्रेस के हैं, लेकिन दोनों विधायक दयाराम परमार और प्रीति शक्तावत को सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली.

8.नागौर- नागौर जिले के 10 विधायकों में से 6 विधायक कांग्रेस के हैं, लेकिन 6 में से केवल महेंद्र चौधरी को पद दिया गया वह भी उप मुख्य सचेतक का, बाकी पांच विधायक विजयपाल मिर्धा ,चेतन डूडी, मंजू देवी, मुकेश भाकर और रामनिवास गावड़िया नहीं पा सके सरकार में कोई हिस्सेदारी.

9.अजमेर- 8 में से 2 विधायक दोनों सरकार के हिस्सा नहीं- 8 विधायकों में से दो कांग्रेस के दोनों विधायक रघु शर्मा और राकेश पारीक को सत्ता में हिस्सेदारी नहीं. हालांकि, रघु शर्मा पहले मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में गुजरात के प्रभारी हैं.

Last Updated : Aug 12, 2022, 12:30 PM IST
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