जयपुर. चांद को छूने की पहली कोशिश 1958 में अमेरिका और सोवियत संघ रूस ने की थी. अब तक ऐसे 38 प्रयास किए गए हैं, जिनमें से 52% ही सफल रहे हैं और अब बारी भारत की है. चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम जब चांद की सतह पर उतरेगा, तो इस दौरान कुछ घंटे बेहद महत्वपूर्ण रहने वाले हैं. लैंडिंग की प्रक्रिया शुक्रवार रात को शुरू होगी. जो शनिवार सुबह तक खत्म हो जाएगी. लेकिन यही पल चंद्रयान-2 मिशन के लिए बेहद अहम होंगे.
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चंद्रयान 2 की सफलता के क्या है मायने
चंद्रयान 2 मिशन इसलिए भी खास है क्योंकि पहली बार भारत, चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने जा रहा है. भारत के लिए चंद्रयान 2 की सफलता के क्या मायने हैं, इसकी जानकारी देते हुए बिड़ला प्लेनेटोरियम के सहायक निदेशक संदीप भट्टाचार्य ने बताया कि भारत की आर्थिक और वैज्ञानिक सफलता के साथ शैक्षिक स्तर की वृद्धि भी होगी. वहीं विश्व पटल पर भारत की भौतिक और तकनीकी क्षमता की धाक भी कायम होगी.
भारत ही नहीं दुनियाभर के वैज्ञानिक चंद्रयान 2 से उत्साहित
उन्होंने बताया कि चंद्रयान-1 टेस्टिंग मिशन था कि हम चंद्रमा तक पहुंच सकते हैं या नहीं. तब तकनीकी दक्षता हासिल नहीं थी. लेकिन इस टेस्टिंग में चंद्रमा पर बर्फ के रूप में पानी की मौजूदगी का पता जरूर लग गया था. इसी को मद्देनजर रखते हुए इस बार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की खोज में चंद्रयान 2 को उतारा जा रहा है. उन्होंने कहा कि यदि यहां पानी है तो जीवन को पनपाया जा सकता है. यहीं वजह है कि भारत ही नहीं दुनियाभर के वैज्ञानिक समुदाय चंद्रयान 2 से काफी उत्साहित है.
भविष्य में मानव बस्ती भी चांद पर बस सकेगी
भट्टाचार्य ने बताया कि अब तक जो भी यान चंद्रमा की सतह पर उतरे चंद्रमा के भूमध्य रेखा के 30 से 40 डिग्री ऊपर या नीचे की पट्टी पर उतरे हैं. वहां से पृथ्वी से संपर्क करना आसान था. लेकिन दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के लिए पैरामीटर कुछ और है. उन्होंने कहा कि इससे पहले दक्षिणी ध्रुव उतरने की कोई वजह नहीं थी. लेकिन अब पानी की मौजूदगी का पता लगा है, तो आगे यदि कोई भी यान भेजा जाता है तो उसी के आसपास भेजा जाएगा. संभव है कि वहां भविष्य में मानव बस्ती भी बस सकेगी. उन्होंने बताया कि ये कहा जाता था कि 'मून इज एयरलेस, बट इट इस नॉट वाटर लेस' और यदि यहां पानी मौजूद है तो बाकी परेशानियों को भी दूर किया जा सकता है.
नासा का नहीं करना पड़ेगा रुख
संदीप भट्टाचार्य ने कहा कि चंद्रयान 2 के सफल होने की स्थिति में युवा पीढ़ी भारत में रहकर ही अपनी दक्षता के अनुसार काम कर पाएगी. उसे यूरोपियन कंट्री या नासा का रुख नहीं करना पड़ेगा. उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में स्पेस को लेकर उत्सुकता बढ़ रही है और हर कोई अपने ज्ञान के पैमाने को और बढ़ाना चाहता है. चंद्रयान 2 की सफलता के सीधे फायदे नहीं है, लेकिन ये बाहरी दुनिया के लिए खिड़की का काम करेगी. जहां से ज्ञान की हवा आएगी और देश की भौतिक और तकनीकी क्षमता बढ़ेगी. चंद्रयान 2 की सफलता की कामना करते हुए उन्होंने कहा कि हम संतुष्ट नहीं होते तभी आगे बढ़ते हैं.
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देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ये साफ कर चुके हैं कि चंद्रयान 2 की सफलता के बाद किसी ह्यूमन पर्सनैलिटी वहां भेजा जा सकता है. ऐसे में अब इंतजार है उस पल का, जब भारत का चंद्रयान 2 सभी चुनौतियों को पार करते हुए चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग करेगा.