देहरादून/जयपुर. गैंगस्टर यशपाल तोमर (Gangster Yashpal Tomar) की 153 करोड़ 30 लाख की हरिद्वार से लेकर दिल्ली तक की अवैध संपत्ति को कोर्ट के आदेश पर जब्त कर लिया गया है. कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश और दिल्ली के लिए एसटीएफ और जिला प्रशासन की टीमें गई हैं. इसके साथ ही उत्तराखंड एसटीएफ इस गैंगस्टर की गैंग के अन्य सदस्यों के खिलाफ भी शिकंजा कसने में जुटी है.
उत्तराखंड STF एसएसपी अजय सिंह (STF SSP Ajay Singh) के मुताबिक उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विरोध और सामाजिक विरोधी क्रियाकलाप अधिनियम 1986 का प्रयोग करते हुए कोर्ट के आदेश के अनुसार एसटीएफ द्वारा गैंगस्टर यशपाल तोमर की चल अचल संपत्ति को जब्त किया गया है. उसकी संपत्ति में कई लग्जरी वाहन शामिल हैं. इस मामले में कुख्यात गैंगस्टर यशपाल तोमर की अवैध संपत्ति को जब्त करने के लिए हरिद्वार मजिस्ट्रेट द्वारा विधिवत आदेश किया गया था. कोर्ट के आदेश के मुताबिक हरिद्वार तहसीलदार, दादरी, बड़ौत, उत्तर प्रदेश के लोनी और पूर्वी दिल्ली के प्रशासनिक अमले को गैंगस्टर यशपाल तोमर की प्रॉपर्टी सीज करने के लिए नियुक्त किया गया है.
फिल्म सात उचक्के की तर्ज पर साम्राज्य: एसटीएफ के मुताबिक कुख्यात यशपाल तोमर के कारनामों की कहानी बॉलीवुड की फिल्म सात उचक्के से मिलती-जुलती है. क्योंकि यशपाल तोमर अपने गिरोह के लोगों द्वारा हत्या, बलात्कार, अपहरण-जान से मारने की धमकी, रोड एक्सीडेंट जैसे काम को अंजाम देकर लोगों को उसमें फंसाता था और लोगों पर मुकदमा दर्ज कराकर उन्हें जेल भिजवा देता था. सलाखों के पीछे भेजते ही शातिर यशपाल तोमर का पीड़ित लोगों समझौते के नाम पर ब्लैकमेल का खेल अंजाम देता था. मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत ग्राम बरवाला थाना रमाला का रहने वाला यशपाल तोमर पेशे से किसान था. परिवार में पांच भाइयों के पास करीब 9 बीघा जमीन थी.
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साल 2002 में हरिद्वार के थाना कोतवाली में पुलिस पर जानलेवा हमला हथियार और धोखाधड़ी के आरोप में यशपाल को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. इसके बाद उसने अपना ऐसा नेटवर्क स्थापित किया कि 2004 में हरिद्वार के व्यापारी के खिलाफ थाना सरसावा व साहिबाबाद थाने में अपने साथियों के साथ मिलकर अपहरण बलात्कार फर्जी जैसे मुकदमे दर्ज कराएं और उसके एवज में दबाव बनाकर व्यापारी की भूपतवाला स्थित करोड़ों की जमीन औने-पौने दाम में खरीद किया. यशपाल के गैंग से जुड़े महिला और पुरुष उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान के अलग-अलग जगहों पर (Yashpal Tomar Fraud in Rajsathan) लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसाकर उनकी जमीनें हड़पने का काम किया.
दर्ज कराए हैं कई मुकदमे: ऋषिकेश-हरिद्वार में एक बाबा की प्रॉपर्टी कब्जाने की नीयत से गैंगस्टर यशपाल तोमर ने उनके खिलाफ दो बार बलात्कार के फर्जी मुकदमे दर्ज कराए. जिसके बाद मानसिक रूप से परेशान बाबा की जेल में ही मौत हो गई. समय के साथ यशपाल तोमर का रौब बढ़ता गया और अपने गिरोह के लोगों द्वारा हत्या, बलात्कार, अपहरण-जान से मारने की धमकी, रोड एक्सीडेंट जैसे काम को अंजाम देकर बेगुहान लोगों को फंसाकर उनकी जमीन-जायदाद हड़प लेता था.
फर्जी इंश्योरेंस का भी खेल: उत्तराखंड एसटीएफ के मुताबिक यशपाल तोमर लग्जरी गाड़ियों के चोरी या खोने की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराकर इंश्योरेंस के नाम पर कंपनियों से मोटी रकम वसूलता था. गैंग यूपी और दिल्ली के विभिन्न थानों में फर्जी रिपोर्ट लिखा कर इंश्योरेंस कंपनियों से क्लेम वसूलती थी. जबकि असलीयत में यशपाल लग्जरी गाड़ियों को खुद ही कटवा कर या उन्हें नष्ट करा देता था.
बागपत थाने की क्लास ने बनाया शातिर गैंगस्टर: उत्तराखंड एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह के मुताबिक यशपाल सिंह तोमर के खिलाफ पहला मुकदमा साल 2001 में हत्या और आर्म्स एक्ट में दर्ज हुआ था. बताया जा रहा हैं उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत का रहने वाला यशपाल तोमर सबसे पहले साल 2000 में स्थानीय थाना प्रभारी के संपर्क में आया. दिन-रात थाने में बैठकर उसने फर्जी मुकदमे में कैसे लोगों को फंसाया जाता है, उसके गुर सीखें.
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बस फिर क्या था... इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा साल 2001 से लेकर अबतक वह करोड़ों की संपत्ति लोगों की हड़पने के लिए अपहरण, हत्या, बलात्कार, धोखाधड़ी, जान से मारने की धमकी जैसे फर्जी मुकदमों में पुलिस की मिलीभगत से लोगों को फंसाता था और समझौते के नाम पर उनकी संपत्ति हड़पता था. गैंगस्टर यशपाल तोमर के इस पूरे गिरोह में कई पुरुष और महिलाएं भी शामिल है, जो पूरा षड्यंत्र रचने में उसका साथ देते थे.
ऐसे कसा शिकंजा: एसटीएफ के मुताबिक कुछ समय पहले हरिद्वार के एक व्यापारी की प्रॉपर्टी कब्जाने की शिकायत पुलिस के पास आई. शिकायत पहले स्थानीय थाने और फिर STF को ट्रांसफर हुई. प्रारंभिक जांच पड़ताल में यशपाल तोमर पर लगाए गए आरोप सही पाए गए. जिसके बाद कड़ी दर कड़ी उसके द्वारा प्रॉपर्टी हड़पने के फर्जी मुकदमों की लंबी कुंडली सामने आने लगी. जांच में पता चला कि 28 फर्जी मुकदमे हरिद्वार से लेकर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब तक संपत्ति को कब्जा करने के लिए गैंगस्टर यशपाल तोमर द्वारा विभिन्न पुलिस स्टेशनों में दर्ज कराए गए हैं.
इस इस गोरखधंधे में सबसे रोचक तथ्य यह सामने आ रहा था कि अधिकांश मामलों में गैंगस्टर यशपाल तोमर का सीधा नाम नहीं आ रहा था. लेकिन, इन सबके पीछे यशपाल तोमर का ही दिमाग चल रहा था. बस इन्हीं कुंडलियों को खंगालते हुए एसटीएफ ने पिछले लगभग 5 महीनों से गैंगस्टर तोमर के खिलाफ हर एंगल से जांच-पड़ताल की तो सच्चाई चौकाने वाले सामने आए. हरिद्वार व्यापारी ब्लैकमेलिंग केस में पीड़िच के ऊपर इतना दबाव था कि वो एसटीएफ के सामने यशपाल तोमर का नाम लेने से कतरा रहे थे. लेकिन, एसटीएफ ने उनकी सुरक्षा का भरोसा देते हुए पीड़ितों को इस मामले में गवाह बनाया और आगे की कार्रवाई की.
पीड़ितों से मिले इनपुट को एसटीएफ ने कोर्ट ने पेश किया, जहां से 153 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया गया. उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स अजय सिंह के मुताबिक, उनकी टीम की कार्रवाई के उपरांत अब उत्तर प्रदेश की एसटीएफ और अन्य राज्यों की पुलिस भी गैंगस्टर यशपाल तोमर के खिलाफ सैकड़ों करोड़ों की प्रॉपर्टी धोखाधड़ी (gangster yashpal tomar illegal assets) के मामले जांच पड़ताल कर कार्रवाई में जुटी है.
साथियों पर भी कसा शिकंजा: इसी साल जनवरी के अंत में लोगों की जमीनें हड़पने और उन पर दबाव बनाने के लिए महिलाओं के माध्यम से झूठे मुकदमे लिखवाने वाले गिरोह के चार सदस्यों के खिलाफ हरिद्वार पुलिस ने गैंगस्टर की कार्रवाई को अंजाम दिया था. गिरोह के मास्टरमाइंड यशपाल तोमर को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी थी. पुलिस ने यशपाल के साथ शामिल तीन अन्य लोगों के खिलाफ भी गैंगस्टर की कार्रवाई की थी. इनमें धीरज कुमार निवासी पीलीबंगा, हनुमानगढ़ राजस्थान, गिरधारी चावला निवासी निर्माण विहार दिल्ली और गिरधारी का बेटा सचिन निवासी दिल्ली शामिल हैं.
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