जयपुर. राजधानी में शुक्रवार को विश्व मातृभाषा दिवस मनाया गया. देश के विभिन्न राज्यों को अपनी मातृभाषा की मान्यता मिली है, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि राजस्थानी भाषा को अभी तक मान्यता नहीं मिली. राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर कई संगठन मंच के माध्यम से अपनी बातें रख चुके है, लेकिन अभी भी ये अटकी हुई है.
बता दें कि राजस्थानी भाषा को मान्यता मिले, इसको लेकर राजस्थानी मोट्यार परिषद की ओर से राजस्थान यूनिवर्सिटी के मुख्य द्वार पर मुंह पर पट्टी बांधकर अपना विरोध भी जाहिर किया गया. राजस्थानी मोट्यार परिषद ने मांगे रखते हुए कहा कि राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल किया जाए. परिषद की ओर से आयोजित सांकेतिक धरने में स्टूडेंट्स भी शामिल रहे.
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स्टूडेंट्स का कहना है कि आज भी प्रदेश के युवाओं को भर्तियों में वेटेज नहीं मिलता है. साथ ही कहा कि राजस्थानी भाषा को लेकर प्रतियोगी परीक्षा होनी चाहिए, ताकि भाषा को बढ़ावा मिल सकें. साथ ही भर्तियों में भी राजस्थानी भाषा को महत्व देना चाहिए.
राजस्थानी भाषा को लेकर साहित्यकारों का कहना है कि भाषा प्रारंभिक शिक्षा में शामिल किया जाए. सरकार प्रारंभिक स्तर के पाठ्यक्रम में राजस्थानी विषय को अनिवार्य करें. ताकि जब बच्चा बचपन से राजस्थानी भाषा को पढ़ेगा-बोलेगा तो भाषा को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि आज सिर्फ उच्च शिक्षा में राजस्थानी भाषा पढ़ाई जा रही है.