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जमीन समाधि सत्याग्रह: 2 धड़े में बंटे किसान, 80 काश्तकारों ने दी जमीन, बचे लोग कर रहे संघर्ष

नींदड़ में जमीन अवाप्ति को लेकर किसान अब दो गुट में बंट गए हैं. किसानों का एक गुट जेडीए को जमीन सरेंडर कर आरक्षण पत्र ले रहा है. वहीं दूसरे गुट के किसानों ने नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर जमीन समाधि सत्याग्रह चला रखा है. 5 किसान जमीन समाधि लिए हुए हैं और सैकड़ों किसान देर रात तक भी कड़ाके की ठंड में सत्याग्रह कर रहे हैं.

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2 धड़े में बंटे किसान, 80 काश्तकारों ने दी जमीन
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Published : Jan 9, 2020, 8:03 AM IST

Updated : Jan 9, 2020, 8:12 AM IST

जयपुर. जयपुर विकास प्राधिकरण को नींदड़ आवासीय योजना से प्रभावित 80 काश्तकारों द्वारा एक सप्ताह में भूमि समर्पित की जा चुकी है. 7 काश्तकारों को बुधवार को आरक्षण पत्र जारी किए गए हैं और बचे हुए काश्तकारों को भी जल्द आरक्षण पत्र जारी किए जाएंगे.

2 धड़े में बंटे किसान, 80 काश्तकारों ने दी जमीन

ऐसे में फिलहाल नींदड़ के किसान दो गुटों में बंटे हुए नजर आ रहे हैं. एक गुट अपनी जमीन को जेडीए को सुपुर्द कर चुका है. वहीं दूसरा गुट आंदोलन की राह पर है. नगेंद्र सिंह शेखावत सहित पांच किसान जमीन समाधि लेकर जेडीए की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं और उनके साथ सैकड़ों किसान कड़ाके की ठंड में देर रात 12:30 बजे तक भी सत्याग्रह स्थल पर मौजूद रहे.

यह भी पढ़ेंः किसानों का जमीन समाधि सत्याग्रह जारी, बोले- 'हर जोर-जुल्म की टक्कर में, संघर्ष हमारा नारा है'

वहीं नगेंद्र सिंह ने कहा, कि आंदोलन को 2 दिन हो चुके हैं, लेकिन सरकार का कोई नुमाइंदा अब तक उनसे बातचीत करने नहीं पहुंचा है. उन्होंने कहा, कि कड़ाके की ठंड के बावजूद अपनी जमीन के लिए किसान ये कष्ट सह रहे हैं. यदि सरकार उनकी मांग पर ध्यान नहीं देगी, तो रोजाना जमीन समाधि लेने वालों की संख्या बढ़ेगी. इनमें महिला किसान भी शामिल होंगी.

यह भी पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्टः क्या 16 फरवरी को नींदड़ के किसान रामनारायण की बेटियां सीमा और सुमन ले पाएंगी सात फेरे..?​​​​​​​

हालांकि जेडीए ने इस आंदोलन को गरीब और आम किसानों को गुमराह करने वाला बताया है. ऐसे में किसानों का एक गुट जेडीए को जमीन समर्पित कर चुका है, जबकि दूसरे गुट ने 2 साल पहले उठाए कदम को फिर दोहराया है.

जयपुर. जयपुर विकास प्राधिकरण को नींदड़ आवासीय योजना से प्रभावित 80 काश्तकारों द्वारा एक सप्ताह में भूमि समर्पित की जा चुकी है. 7 काश्तकारों को बुधवार को आरक्षण पत्र जारी किए गए हैं और बचे हुए काश्तकारों को भी जल्द आरक्षण पत्र जारी किए जाएंगे.

2 धड़े में बंटे किसान, 80 काश्तकारों ने दी जमीन

ऐसे में फिलहाल नींदड़ के किसान दो गुटों में बंटे हुए नजर आ रहे हैं. एक गुट अपनी जमीन को जेडीए को सुपुर्द कर चुका है. वहीं दूसरा गुट आंदोलन की राह पर है. नगेंद्र सिंह शेखावत सहित पांच किसान जमीन समाधि लेकर जेडीए की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं और उनके साथ सैकड़ों किसान कड़ाके की ठंड में देर रात 12:30 बजे तक भी सत्याग्रह स्थल पर मौजूद रहे.

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वहीं नगेंद्र सिंह ने कहा, कि आंदोलन को 2 दिन हो चुके हैं, लेकिन सरकार का कोई नुमाइंदा अब तक उनसे बातचीत करने नहीं पहुंचा है. उन्होंने कहा, कि कड़ाके की ठंड के बावजूद अपनी जमीन के लिए किसान ये कष्ट सह रहे हैं. यदि सरकार उनकी मांग पर ध्यान नहीं देगी, तो रोजाना जमीन समाधि लेने वालों की संख्या बढ़ेगी. इनमें महिला किसान भी शामिल होंगी.

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हालांकि जेडीए ने इस आंदोलन को गरीब और आम किसानों को गुमराह करने वाला बताया है. ऐसे में किसानों का एक गुट जेडीए को जमीन समर्पित कर चुका है, जबकि दूसरे गुट ने 2 साल पहले उठाए कदम को फिर दोहराया है.

Intro:जयपुर - नींदड़ में जमीन अवाप्ति को लेकर किसान अब दो गुट में बंट गए है। किसानों का एक गुट जेडीए को जमीन सरेंडर कर आरक्षण पत्र ले रहा है। वहीं दूसरे गुट के किसानों ने नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर जमीन समाधि सत्याग्रह चला रखा है। जिसके तहत 5 किसान जमीन समाधि लिए हुए हैं। और सैकड़ों किसान देर रात तक भी कड़ाके की ठंड में सत्याग्रह कर रहे हैं।Body:जयपुर विकास प्राधिकरण को नींदड़ आवासीय योजना से प्रभावित 80 काश्तकारों द्वारा एक सप्ताह में भूमि समर्पित की जा चुकी है। इनमें से 7 काश्तकारों को बुधवार को आरक्षण पत्र जारी किए गए है। और बचे हुए काश्तकारों को भी जल्द आरक्षण पत्र जारी किए जाएंगे। ऐसे में फिलहाल नींदड़ के किसान दो गुटों में बंटे हुए नजर आ रहे हैं। एक गुट अपनी जमीन को जेडीए को सुपुर्द कर चुका है। वहीं दूसरा गुट आंदोलन की राह पर है। नगेंद्र सिंह शेखावत सहित पांच किसान जमीन समाधि लेकर जेडीए की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। और उनके साथ सैकड़ों किसान कड़ाके की ठंड में देर रात 12:30 बजे तक भी सत्याग्रह स्थल पर मौजूद रहे।
वहीं नगेंद्र सिंह ने कहा कि आंदोलन को 2 दिन हो चुके हैं। बावजूद इसके सरकार का कोई नुमाइंदा अब तक उनसे बातचीत करने नहीं पहुंचा है। उन्होंने कहा कि कड़ाके की ठंड के बावजूद अपनी जमीन के लिए किसान ये कष्ट सहन कर रहे हैं। और यदि सरकार उनकी मांग पर ध्यान नहीं देगी, तो रोजाना जमीन समाधि लेने वालों की संख्या बढ़ेगी। इनमें महिला किसान भी शामिल होंगी।
बाईट - नगेंद्र सिंह शेखावत, नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समितिConclusion:हालांकि जेडीए ने इस आंदोलन को गरीब और आम किसानों को गुमराह करने वाला बताया है। ऐसे में किसानों का एक गुट जेडीए को जमीन समर्पित कर चुका है। जबकि दूसरे गुट ने 2 साल पहले उठाए कदम को फिर दोहराया है।
Last Updated : Jan 9, 2020, 8:12 AM IST
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