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आईजी ने कहा, 13 दिन में एफआर पेश करने वाले जांच अधिकारी को कर दिया निलंबित

दौसा के मंडावर थाने के नाबालिग के अपहरण मामले में पुलिस के 13 दिन में एफआर पेश करने और पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज नहीं करने के मामले में जयपुर रेंज आईजी अदालत में पेश हुए. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामले में जांच अधिकारी को निलंबित कर जांच अतिरिक्त पुलस अधीक्षक को सौंपी गई है. कोर्ट ने याचिका का निस्तारण कर पीड़िता को अभिभावक के साथ भेजने के आदेश दिए हैं.

IG present in court in minor missing case, informed suspension of IO
आईजी ने कहा, 13 दिन में एफआर पेश करने वाले जांच अधिकारी को कर दिया निलंबित
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Published : Aug 29, 2022, 10:54 PM IST

Updated : Aug 29, 2022, 11:01 PM IST

जयपुर. नाबालिग के अपहरण को लेकर मंडावर थाने में दर्ज एफआईआर पर 13 दिन में एफआर पेश करने के मामले में अदालती आदेश की पालना में जयपुर रेंज आईजी उमेश चन्द्र दत्ता हाई कोर्ट में पेश (IG present in court in minor missing case) हुए. अदालत ने आईजी के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निस्तारण कर दिया और नाबालिग पीड़िता को उसकी मर्जी के आधार पर परिजनों से साथ भेज दिया. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश पीड़िता के परिजन की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निस्तारण करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान आईजी ने अदालत को बताया कि अपहरण के मामले में जांच अधिकारी को निलंबित किया जा चुका है. वहीं निचली अदालत में पेश एफआर को वापस लेकर मामले की अग्रिम जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को सौंपी गई है. इसके साथ ही अदालत में पेश पीड़िता ने कहा कि वह अपने पिता के साथ जाना चाहती है. इस पर अदालत ने उसे पिता के साथ भेजने के आदेश देते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया.

पढ़ें: नाबालिग को लेकर पॉक्सो एक्ट में कार्रवाई नहीं, हाइकोर्ट ने रेंज आईजी को किया तलब

गौरतलब है कि मामले में गत 4 अगस्त को दौसा के मंडावर थाने में नाबालिग के अपहरण का मामला दर्ज किया गया था. वहीं नाबालिग के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर लापता को तलाशने की गुहार की. इस पर हाईकोर्ट ने 8 अगस्त को जांच अधिकारी को आदेश जारी कर लापता को हाईकोर्ट में पेश करने को कहा. इसके बाद 17 अगस्त को आईओ ने मामले में एफआर पेश कर दी. वहीं गत सुनवाई को थानाधिकारी व मामले के अनुसंधान अधिकारी ने पीड़िता को पेश कर कहा कि वह 17 साल से बड़ी है, लेकिन अभी वयस्क नहीं हुई है. इसके अलावा मामले में एफआर पेश की जा चुकी है. इस पर अदालत ने पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज नहीं करने और 13 दिन में ही एफआर पेश करने पर नाराजगी जताते हुए रेंज आईजी को पेश होने के आदेश दिए थे.

पढ़ें: अनियमितता के चलते अलवर का बालिका गृह निलंबित, बालिकाओं को अन्य जगह शिफ्ट करने के दिए आदेश

टांसफर आदेश पर रोक: राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने विधायक की शिकायत पर प्रिंसिपल के किए गए स्थानान्तरण और कार्यमुक्त करने के आदेशों की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने विधायक ओमप्रकाश हुड़ला और प्रमुख शिक्षा सचिव सहित अन्य से जवाब मांगा है. अधिकरण ने यह आदेश कृपाशंकर मीणा की अपील पर दिए. अपील में अधिवक्ता आरडी मीणा ने अदालत को बताया कि दौसा के सिकराय स्थित रानोली स्कूल में तैनात अपीलार्थी प्रिंसिपल को 30 नवंबर, 2019 को विधायक ओमप्रकाश हुडला के व्यक्तिगत जीवन पर सोशल मीडिया के जरिए टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए निलंबित किया गया था. वहीं गत 21 जून को मामले में चार्जशीट भी दी गई. वहीं अब विधायक ओमप्रकाश हुडला की शिकायत पर ही विभाग ने गत 28 जुलाई को उसका स्थानान्तरण जैसलमेर कर दिया गया और 1 अगस्त को उसे कार्यमुक्त भी कर दिया गया.

पढ़ें: Bar Council of Rajasthan एक से ज्यादा जगह वोट डाले तो तीन साल के लिए सदस्यता होगी निलंबित

अपील में कहा गया कि अपीलार्थी और विधायक दोनों एक ही गांव के निवासी हैं. विधायक ने राजनीतिक द्वेषता के चलते उसका तबादला किया है. अपील में यह भी कहा गया कि उसके कुछ परिजन राजनीति में सक्रिय हैं और चुनाव में अपीलार्थी व उसके परिजनों की ओर से हुडला को मत नहीं देने के चलते वे उससे द्वेषता रखते हैं. जिसके चलते हुडला अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर विभाग के जरिए उस पर कार्रवाई करवा रहे हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने स्थानान्तरण आदेश और कार्यमुक्त करने के आदेश पर रोक लगाते हुए विधायक सहित अन्य से जवाब मांगा है.

जयपुर. नाबालिग के अपहरण को लेकर मंडावर थाने में दर्ज एफआईआर पर 13 दिन में एफआर पेश करने के मामले में अदालती आदेश की पालना में जयपुर रेंज आईजी उमेश चन्द्र दत्ता हाई कोर्ट में पेश (IG present in court in minor missing case) हुए. अदालत ने आईजी के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निस्तारण कर दिया और नाबालिग पीड़िता को उसकी मर्जी के आधार पर परिजनों से साथ भेज दिया. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश पीड़िता के परिजन की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निस्तारण करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान आईजी ने अदालत को बताया कि अपहरण के मामले में जांच अधिकारी को निलंबित किया जा चुका है. वहीं निचली अदालत में पेश एफआर को वापस लेकर मामले की अग्रिम जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को सौंपी गई है. इसके साथ ही अदालत में पेश पीड़िता ने कहा कि वह अपने पिता के साथ जाना चाहती है. इस पर अदालत ने उसे पिता के साथ भेजने के आदेश देते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया.

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गौरतलब है कि मामले में गत 4 अगस्त को दौसा के मंडावर थाने में नाबालिग के अपहरण का मामला दर्ज किया गया था. वहीं नाबालिग के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर लापता को तलाशने की गुहार की. इस पर हाईकोर्ट ने 8 अगस्त को जांच अधिकारी को आदेश जारी कर लापता को हाईकोर्ट में पेश करने को कहा. इसके बाद 17 अगस्त को आईओ ने मामले में एफआर पेश कर दी. वहीं गत सुनवाई को थानाधिकारी व मामले के अनुसंधान अधिकारी ने पीड़िता को पेश कर कहा कि वह 17 साल से बड़ी है, लेकिन अभी वयस्क नहीं हुई है. इसके अलावा मामले में एफआर पेश की जा चुकी है. इस पर अदालत ने पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज नहीं करने और 13 दिन में ही एफआर पेश करने पर नाराजगी जताते हुए रेंज आईजी को पेश होने के आदेश दिए थे.

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अपील में कहा गया कि अपीलार्थी और विधायक दोनों एक ही गांव के निवासी हैं. विधायक ने राजनीतिक द्वेषता के चलते उसका तबादला किया है. अपील में यह भी कहा गया कि उसके कुछ परिजन राजनीति में सक्रिय हैं और चुनाव में अपीलार्थी व उसके परिजनों की ओर से हुडला को मत नहीं देने के चलते वे उससे द्वेषता रखते हैं. जिसके चलते हुडला अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर विभाग के जरिए उस पर कार्रवाई करवा रहे हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने स्थानान्तरण आदेश और कार्यमुक्त करने के आदेश पर रोक लगाते हुए विधायक सहित अन्य से जवाब मांगा है.

Last Updated : Aug 29, 2022, 11:01 PM IST
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