जयपुर. गहलोत सरकार के काबीना मंत्री रामलाल जाट को लेकर हनी ट्रैप षड्यंत्र के खुलासे के बाद अब गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल में भी भय व्याप्त हो गया है. इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक (Honeytrap case was discussed in Gehlot cabinet) में अनौपचारिक रूप से इस मुद्दे को लेकर भी लम्बी चर्चा हुई. कई मंत्रियों ने तो दबी जुबान में इस बात को भी माना कि अब संभलकर चलने की जरूरत है.
राजस्व मंत्री रामलाल जाट को हनी ट्रैप में फंसाने की साजिश का पर्दाफाश होने के बाद प्रदेश की सियासत में एक बार फिर भूचाल आ गया है. विधायकों से लेकर मंत्रियों तक के बीच इसी मामले को लेकर चर्चा हो रही है. खास बात यह है कि गहलोत कैबिनेट में शामिल हुए सभी मंत्रियों के बीच भी इस मुद्दे को लेकर चर्चा हुई. मंत्री ने इस बात को लेकर चिंता जताई कि आम जनता से मुलाकात करते वक्त किस तरह से इस प्रकार की साजिश से बचा जाए.
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मंत्रियों ने साजिश पर चिंता जताई
कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए खाद्यमंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि कैबिनेट में इसको लेकर कोई विशेष ऑफिशियल चर्चा नहीं हुई. लेकिन अनोपचारिक बातचीत में मंत्रियों ने इस तरह की साजिश पर चिंता जाहिर की. राजनीति में तो षड्यंत्र शुरू से होते रहे हैं. हनी ट्रैप मामले पर प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि यह मामला सामने आने के बाद ध्यान रखना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि दुनिया में जब से व्यवस्था लागू हुई है, तब से आप यह मान कर चलिए हनीट्रैप के जरिए षड्यंत्र होते रहे हैं. पहले भी राजाओं को फंसाने के लिए विषकन्याओं को भेजा जाता. राजनीति में इस तरह के षड्यंत्र चलते रहते हैं और चलते रहेंगे. खाचरियावास ने कहा कि जो षड्यंत्र करते हैं वह पकड़े भी जाते हैं. मंत्री क्या करे, उसको तो पता ही नहीं होता है, उसके खिलाफ षड्यंत्र रचा जा रहा है. खाचरियावास ने कहा कि हमें भी सावधान रहने की जरूरत है.
पूर्व में मंत्रिपद गंवा चुके हैं रामलाल जाट
ऐसा नहीं है कि रामलाल जाट को इस तरह के षड्यंत्र में फंसाने का यह पहला मामला है. इससे पहले भी 2009 से 2013 की गहलोत सरकार के वक्त रामलाल जाट पर इसी तरह के आरोप लगे थे , जिसके बाद उन्हें अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
पहले भी लगते रहे हैं आरोप
राजस्व मंत्री रामलाल जाट से पहले भी राजस्थान की सियासत में कई विधायकों और मंत्रियों के ऊपर इसी तरह के आरोप लग चुके हैं. इनमें महिपाल मदेरणा भंवरी सीडी स्केंडल बड़ा चर्चाओं में रहा है जिससे प्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया था. इसके अलावा पूर्व में गहलोत सरकार के मंत्री रहे बाबूलाल नागर के ऊपर भी इसी तरह के आरोप लगे थे. केंद्रीय मंत्री और विधायक इस प्रकार दुष्कर्म के आरोप में फंस चुके हैं.