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गवाहों की सुरक्षा और उन्हें प्रभावित होने से रोकने के लिए नियम बनाए सरकार: हाईकोर्ट - Jaipur news

राजस्थान हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि आपराधिक प्रकरणों के गवाहों की सुरक्षा और उन्हें प्रभावित होने से रोकने के लिए एएजी विभूति भूषण शर्मा की ओर से पेश किए गए सुझावों को गवाह सुरक्षा स्कीम में शामिल कर क्रियान्वित करे.

राजस्थान हाईकोर्ट समाचार , राजस्थान हाईकोर्ट का राज्य सरकार को निर्देश,
गवाहों की सुरक्षा पर बोली हाईकोर्ट
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Published : Apr 21, 2021, 8:40 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह आपराधिक प्रकरणों के गवाहों की सुरक्षा और उन्हें प्रभावित होने से रोकने के लिए एएजी विभूति भूषण शर्मा की ओर से पेश किए गए सुझावों को गवाह सुरक्षा स्कीम में शामिल कर क्रियान्वित करे. इसके साथ ही अदालत ने हत्या के आरोपी बाबूलाल को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालती आदेश की पालना में एएजी विभूति भूषण शर्मा ने गवाहों की सुरक्षा को लेकर 21 सुझाव अदालत में पेश किए.

इनमें कहा गया कि ट्रायल के दौरान गवाह के बयान जल्दी और हो सके तो वीसी से लिए जाए, ताकि उनकी सुरक्षा बनी रहे. वहीं पुलिस की ओर से लिए गए बयानों की वीडियो रिकॉर्डिंग करवाई जाए और उसे सील बंद कर अदालत में पेश किया जाए. वहीं 164 के बयान की भी रिकॉर्डिंग की जाए, ताकि बाद में पक्षद्रोही होने पर गवाह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके. एएजी की ओर से कहा गया कि महत्वपूर्ण गवाहों के बयानों से पहले अभियोजन व पुलिस अफसरों की मौजूदगी में काउंसलिंग भी करवाई जाए और उसे बताया जाए कि उसकी गवाही से अपराधियों को सजा मिलेगी. वहीं गवाहों को बयान देने के लिए बिना कारण इंतजार न करना पडे़. वहीं केस ऑफिसर अभियोजन गवाहों को उचित संरक्षण दे और गवाहों की आवाजाही का खर्चा भी उसी दिन भुगतान किया जाए.

पढ़ें: NCC प्रमाण पत्र के बोनस अंक दक्षता परीक्षा के बाद क्यों: हाईकोर्ट

इसके अलावा गवाहों को समन या नोटिस गोपनीय रूप से भेजा जाए और गवाह सुरक्षा स्कीम का प्रचार-प्रसार कर गवाहों को धमकी मिलने पर सक्षम अधिकारी की ओर से उचित कार्रवाई की जाए. एएजी की ओर से महत्वपूर्ण सुझाव पेश कर कहा गया कि गवाह के पक्षद्रोही होने पर उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए और यदि ऐसा एक से ज्यादा मुकदमों में हुआ है तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान हो. इसके अलावा महत्वपूर्ण गवाहों का ट्रायल के दौरान आरोपियों से सीधा सामना होने से रोका जाए और गवाहों की सुरक्षा के लिए कोर्ट परिसर में ही कक्ष बनाया जाए.

इसके अलावा गंभीर केसों में हर दिन सुनवाई की जाए और ट्रायल के दौरान यदि गवाह की ओर से आरोपियों के खिलाफ कोई परिवाद दिया जाए तो उस पर बिना देरी कानूनी कार्रवाई की जाए. अदालत ने एएजी के सुझावों पर प्रमुख विधि सचिव सहित गृह सचिव को निर्देश दिया है कि वे इन सुझावों को गवाह सुरक्षा स्कीम और नियमों में शामिल करें. गौरतलब है कि खेडली थाना इलाके में 4 सितंबर 2019 को शराब सैल्समेन की हत्या के मामले में आरोपियों की शिनाख्त करने वाले तीन गवाह ट्रायल के दौरान पक्षद्रोही हो गए थे, जिस पर अदालत ने एएजी से गवाहों की सुरक्षा के संबंध में बनाए प्रावधानों की जानकारी देने के लिए कहा था.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह आपराधिक प्रकरणों के गवाहों की सुरक्षा और उन्हें प्रभावित होने से रोकने के लिए एएजी विभूति भूषण शर्मा की ओर से पेश किए गए सुझावों को गवाह सुरक्षा स्कीम में शामिल कर क्रियान्वित करे. इसके साथ ही अदालत ने हत्या के आरोपी बाबूलाल को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालती आदेश की पालना में एएजी विभूति भूषण शर्मा ने गवाहों की सुरक्षा को लेकर 21 सुझाव अदालत में पेश किए.

इनमें कहा गया कि ट्रायल के दौरान गवाह के बयान जल्दी और हो सके तो वीसी से लिए जाए, ताकि उनकी सुरक्षा बनी रहे. वहीं पुलिस की ओर से लिए गए बयानों की वीडियो रिकॉर्डिंग करवाई जाए और उसे सील बंद कर अदालत में पेश किया जाए. वहीं 164 के बयान की भी रिकॉर्डिंग की जाए, ताकि बाद में पक्षद्रोही होने पर गवाह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके. एएजी की ओर से कहा गया कि महत्वपूर्ण गवाहों के बयानों से पहले अभियोजन व पुलिस अफसरों की मौजूदगी में काउंसलिंग भी करवाई जाए और उसे बताया जाए कि उसकी गवाही से अपराधियों को सजा मिलेगी. वहीं गवाहों को बयान देने के लिए बिना कारण इंतजार न करना पडे़. वहीं केस ऑफिसर अभियोजन गवाहों को उचित संरक्षण दे और गवाहों की आवाजाही का खर्चा भी उसी दिन भुगतान किया जाए.

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इसके अलावा गवाहों को समन या नोटिस गोपनीय रूप से भेजा जाए और गवाह सुरक्षा स्कीम का प्रचार-प्रसार कर गवाहों को धमकी मिलने पर सक्षम अधिकारी की ओर से उचित कार्रवाई की जाए. एएजी की ओर से महत्वपूर्ण सुझाव पेश कर कहा गया कि गवाह के पक्षद्रोही होने पर उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए और यदि ऐसा एक से ज्यादा मुकदमों में हुआ है तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान हो. इसके अलावा महत्वपूर्ण गवाहों का ट्रायल के दौरान आरोपियों से सीधा सामना होने से रोका जाए और गवाहों की सुरक्षा के लिए कोर्ट परिसर में ही कक्ष बनाया जाए.

इसके अलावा गंभीर केसों में हर दिन सुनवाई की जाए और ट्रायल के दौरान यदि गवाह की ओर से आरोपियों के खिलाफ कोई परिवाद दिया जाए तो उस पर बिना देरी कानूनी कार्रवाई की जाए. अदालत ने एएजी के सुझावों पर प्रमुख विधि सचिव सहित गृह सचिव को निर्देश दिया है कि वे इन सुझावों को गवाह सुरक्षा स्कीम और नियमों में शामिल करें. गौरतलब है कि खेडली थाना इलाके में 4 सितंबर 2019 को शराब सैल्समेन की हत्या के मामले में आरोपियों की शिनाख्त करने वाले तीन गवाह ट्रायल के दौरान पक्षद्रोही हो गए थे, जिस पर अदालत ने एएजी से गवाहों की सुरक्षा के संबंध में बनाए प्रावधानों की जानकारी देने के लिए कहा था.

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