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प्रवासी पक्षियों को बचाने के लिए हाईकोर्ट कराएगा झील का निरीक्षण

राजस्थान हाईकोर्ट आगामी सर्दियों में सांभर झील में आने वाले प्रवासी पक्षियों को मौत से बचाने के लिए वैज्ञानिक और अफसरों से झील का निरीक्षण कराएगा. इसके लिए अदालत ने महाधिवक्ता और न्याय मित्र से 1 सप्ताह में संबंधित विशेषज्ञों के नाम बताने को कहा है.

Sambhar Lake inspected, Rajasthan High Court
प्रवासी पक्षियों को बचाने के लिए हाईकोर्ट कराएगा झील का निरीक्षण
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Published : Jul 8, 2020, 10:59 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट आगामी सर्दियों में सांभर झील में आने वाले प्रवासी पक्षियों को मौत से बचाने के लिए वैज्ञानिक और अफसरों से झील का निरीक्षण कराएगा. इसके लिए अदालत ने महाधिवक्ता और न्याय मित्र से 1 सप्ताह में संबंधित विशेषज्ञों के नाम बताने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

पढ़ें- वकील साहब...पहले अपना चाइनीज मोबाइल छोड़ो, स्पॉन्सरशिप का विरोध बाद में करना...

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के शपथ पत्र के अनुसार मृत पक्षियों का शव गलने के कारण पोस्टमार्टम में मौत का खुलासा नहीं हुआ. हालांकि बाद में अन्य पक्षियों के हुए पोस्टमार्टम में वायरल इन्फेक्शन से मौत होना बताया, लेकिन वायरस का पता नहीं चल पाया. वहीं न्याय मित्र की ओर से कहा गया कि मानसून के बाद सर्दियों की शुरुआत में प्रवासी पक्षी आना शुरू हो जाएंगे.ऐसे में अभी से इन पक्षियों को बचाने के उपाय करना जरूरी है. इस पर अदालत ने झील में अवैध रूप से नमक बनाने वालों की पहचान के साथ ही वैज्ञानिक व अधिकारियों से झील का निरीक्षण कराने का निर्णय लेते हुए पक्षकारों से विशेषज्ञों के नाम मांगे हैं.

फेराक्राइलम दवा को वाहनों की फर्स्ट एड हटाने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि दुर्घटना में घायल व्यक्ति का खून बहने से रोकने में सहायक दवा फेराक्राइलम को वाहनों की फर्स्ट एड किट से क्यों हटाया जाता है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश पदम श्री सुब्रतो दास व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

पढ़ें- हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता अभ्यर्थियों को पुलिस उप निरीक्षक भर्ती 2016 के साक्षात्कार में शामिल करने के दिए आदेश

याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार ने 18 दिसंबर 2019 को अधिसूचना जारी कर दुर्घटना में घायल का खून रोकने में मददगार फेराक्राइलम जैल ट्यूब को हर वाहन में रखना जरूरी किया था. 1 अप्रैल 2020 से लागू हुई इस अधिसूचना के प्रावधान को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने गत 16 जून को ड्राफ्ट जारी का सुझाव मांग लिए.

याचिका में कहा गया कि देश में हर 4 मिनट में सड़क हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो रही है. यह दवा घायल व्यक्ति का खून बहने को तत्काल रोकने में सहायक है. इस दवा का कोई साइड इफेक्ट भी सामने नहीं आया है. ऐसे में केंद्र सरकार अनावश्यक रूप से ड्राफ्ट जारी कर नियमों में बदलाव कर रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट आगामी सर्दियों में सांभर झील में आने वाले प्रवासी पक्षियों को मौत से बचाने के लिए वैज्ञानिक और अफसरों से झील का निरीक्षण कराएगा. इसके लिए अदालत ने महाधिवक्ता और न्याय मित्र से 1 सप्ताह में संबंधित विशेषज्ञों के नाम बताने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

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सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के शपथ पत्र के अनुसार मृत पक्षियों का शव गलने के कारण पोस्टमार्टम में मौत का खुलासा नहीं हुआ. हालांकि बाद में अन्य पक्षियों के हुए पोस्टमार्टम में वायरल इन्फेक्शन से मौत होना बताया, लेकिन वायरस का पता नहीं चल पाया. वहीं न्याय मित्र की ओर से कहा गया कि मानसून के बाद सर्दियों की शुरुआत में प्रवासी पक्षी आना शुरू हो जाएंगे.ऐसे में अभी से इन पक्षियों को बचाने के उपाय करना जरूरी है. इस पर अदालत ने झील में अवैध रूप से नमक बनाने वालों की पहचान के साथ ही वैज्ञानिक व अधिकारियों से झील का निरीक्षण कराने का निर्णय लेते हुए पक्षकारों से विशेषज्ञों के नाम मांगे हैं.

फेराक्राइलम दवा को वाहनों की फर्स्ट एड हटाने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि दुर्घटना में घायल व्यक्ति का खून बहने से रोकने में सहायक दवा फेराक्राइलम को वाहनों की फर्स्ट एड किट से क्यों हटाया जाता है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश पदम श्री सुब्रतो दास व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

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याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार ने 18 दिसंबर 2019 को अधिसूचना जारी कर दुर्घटना में घायल का खून रोकने में मददगार फेराक्राइलम जैल ट्यूब को हर वाहन में रखना जरूरी किया था. 1 अप्रैल 2020 से लागू हुई इस अधिसूचना के प्रावधान को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने गत 16 जून को ड्राफ्ट जारी का सुझाव मांग लिए.

याचिका में कहा गया कि देश में हर 4 मिनट में सड़क हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो रही है. यह दवा घायल व्यक्ति का खून बहने को तत्काल रोकने में सहायक है. इस दवा का कोई साइड इफेक्ट भी सामने नहीं आया है. ऐसे में केंद्र सरकार अनावश्यक रूप से ड्राफ्ट जारी कर नियमों में बदलाव कर रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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