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मातृत्व अवकाश के बीच तहसीलदार का बार-बार तबादला करने पर हाईकोर्ट की रोक, मांगा जवाब - तबादला करने पर हाईकोर्ट की रोक

राजस्‍थान के पीसांगन तहसील में तहसीलदार के पद पर तैनात महिला के बार-बार ट्रांसफर पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी (Court stays on transfer of Tehsildar)है. साथ ही कोर्ट ने इस संबंध में प्रमुख राजस्व सचिव और राजस्व मंडल के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया है. याचिका के अनुसार तहसीलदार का मातृत्‍व अवकाश के दौरान ट्रांसफर किया गया.

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मातृत्व अवकाश के बीच तहसीलदार का बार-बार तबादला करने पर हाईकोर्ट की रोक, मांगा जवाब
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Published : Sep 26, 2022, 5:17 PM IST

Updated : Sep 26, 2022, 6:13 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मातृत्व अवकाश पर चल रही तहसीलदार का बार-बार तबादला करने पर रोक लगा दी (High Court on maternity leave) है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख राजस्व सचिव और राजस्व मंडल के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश शीला की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि पीसांगन तहसील में तहसीलदार के तौर पर तैनात याचिकाकर्ता को 2 मई से 28 अक्टूबर, 2022 की अवधि का मातृत्व अवकाश स्वीकृत किया गया था. इस दौरान याचिकाकर्ता के पद का चार्ज नायब तहसीलदार को दिया गया. वहीं मातृत्व अवकाश के दौरान ही 28 जुलाई को याचिकाकर्ता का तबादला टोंक के नगर फोर्ट तहसीलदार पद पर कर दिया और कार्य व्यवस्था के नाम पर एक अन्य नायब तहसीलदार को याचिकाकर्ता के पद पर लगा दिया.

पढ़ें: सरोगेसी से मां बनी स्कूल व्याख्याता को मातृत्व अवकाश नहीं देने पर HC सख्त, शिक्षा सचिव और निदेशक को किया तलब

याचिका में कहा गया कि कार्य व्यवस्था पर कार्मिकों को लगाने पर कार्मिक विभाग ने प्रतिबंध लगा रखा है. इसके अलावा जिस नायब तहसीलदार को दो साल का अनुभव हो जाता है, उन्हें कार्य व्यवस्था के तहत सिर्फ रिक्त पद वाली तहसील में ही लगाया जा सकता है. जिससे पद रिक्त रहने से विभाग का कामकाज प्रभावित नहीं हो. राजस्व विभाग और राजस्व मंडल ने भी प्रस्ताव लेकर नायब तहसीलदारों को केवल रिक्त पदों पर ही लगाने के आदेश दे रखे हैं. इसके बावजूद याचिकाकर्ता के मामले में नायब तहसीलदार को कार्य व्यवस्था के नाम पर याचिकाकर्ता के स्थान पर लगा दिया गया.

याचिका में यह भी कहा गया कि विभाग ने मातृत्व अवकाश के दौरान 17 अगस्त को एक बार फिर उसका तबादला नगर फोर्ट से राजस्व मंडल, अजमेर कर दिया. याचिका में कहा गया कि मातृत्व अवकाश पर रहने के चलते उसने नगरफोर्ट तहसीलदार पद का कार्यग्रहण नहीं किया था. इसके अलावा मातृत्व अवकाश पर रहने के दौरान विभाग को उसका बार-बार तबादला भी नहीं करना चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के तबादला आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

पढ़ें: Rajasthan High Court on Maternity Leave : नियुक्ति से पहले हुए प्रसव पर मातृत्व अवकाश देने के आदेश

पुनर्निधारण के नोटिस और कर निर्धारण आदेश को किया रद्द: राजस्थान हाईकोर्ट ने आयकर विभाग की ओर से आयकर अधिनियम की धारा 148 के तहत कर पुनर्निधारण के नोटिस और कर निर्धारण आदेश को इस आधार पर रद्द कर दिया है कि नोटिस जारी होने से पूर्व ही संबंधित करदाता की मौत हो गई (Court on Income tax notice) थी. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि धारा 148 के तहत दिए गए नोटिस से 6 साल पहले की संबंधित करदाता की मौत हो चुकी थी. इसके अलावा विभाग ने कर पुनर्निधारण के लिए मृतक के कानूनी वारिसों को कोई नोटिस नहीं दिया.

अदालत ने कहा कि मामले में पूर्व में दायर एक अन्य याचिका के तथ्यों से साबित है कि आयकर उपायुक्त को संबंधित करदाता की मौत की जानकारी दी गई थी. ऐसे में विभाग की इस दलील को भी नहीं माना जा सकता कि उन्हें करदाता की मौत की जानकारी नहीं दी गई थी. जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस कुलदीप माथुर की खंडपीठ ने यह आदेश मृतक शोभा मेहता के कानूनी वारिस कन्हैयालाल मेहता की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

पढ़ें: राजस्थान हाई कोर्ट ने कहा- महिला कर्मचारी मातृत्व अवकाश की हकदार

याचिका में अधिवक्ता महेन्द्र गार्गिय और अधिवक्ता देवांग गार्गिय ने अदालत को बताया कि आयकर विभाग ने वर्ष 2013-2014 के संबंध में आयकर अधिनियम की धारा 148 के तहत कर पुनर्निधारण का नोटिस शोभा मेहता के नाम दिया था. जबकि शोभा मेहता की विभाग की ओर से नोटिस जारी करने से कई सालों पहले ही मौत हो चुकी थी.

नियमानुसार विभाग को मृतक के कानूनी वारिस को तय मियाद में नोटिस देना जरूरी था, लेकिन विभाग की ओर से कानूनी वारिस को कोई नोटिस नहीं दिया गया. ऐसे में विभाग की ओर से की गई कार्रवाई को रद्द किया जाए. इसके जवाब में विभाग की ओर से कहा गया कि विभाग को शोभा मेहता की मौत के बारे में जानकारी नहीं थी. उनकी ओर से शोभा मेहता के नाम नोटिस दिया गया था, जो कि उनके पति ने लिया था और उन्होंने शोभा की मौत की जानकारी दी थी. इसके बाद उसके कानूनी वारिसों को सूचना दी गई थी. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद खंडपीठ ने कर पुनर्निधारण नोटिस और कर निर्धारण आदेश को रद्द कर दिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मातृत्व अवकाश पर चल रही तहसीलदार का बार-बार तबादला करने पर रोक लगा दी (High Court on maternity leave) है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख राजस्व सचिव और राजस्व मंडल के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश शीला की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि पीसांगन तहसील में तहसीलदार के तौर पर तैनात याचिकाकर्ता को 2 मई से 28 अक्टूबर, 2022 की अवधि का मातृत्व अवकाश स्वीकृत किया गया था. इस दौरान याचिकाकर्ता के पद का चार्ज नायब तहसीलदार को दिया गया. वहीं मातृत्व अवकाश के दौरान ही 28 जुलाई को याचिकाकर्ता का तबादला टोंक के नगर फोर्ट तहसीलदार पद पर कर दिया और कार्य व्यवस्था के नाम पर एक अन्य नायब तहसीलदार को याचिकाकर्ता के पद पर लगा दिया.

पढ़ें: सरोगेसी से मां बनी स्कूल व्याख्याता को मातृत्व अवकाश नहीं देने पर HC सख्त, शिक्षा सचिव और निदेशक को किया तलब

याचिका में कहा गया कि कार्य व्यवस्था पर कार्मिकों को लगाने पर कार्मिक विभाग ने प्रतिबंध लगा रखा है. इसके अलावा जिस नायब तहसीलदार को दो साल का अनुभव हो जाता है, उन्हें कार्य व्यवस्था के तहत सिर्फ रिक्त पद वाली तहसील में ही लगाया जा सकता है. जिससे पद रिक्त रहने से विभाग का कामकाज प्रभावित नहीं हो. राजस्व विभाग और राजस्व मंडल ने भी प्रस्ताव लेकर नायब तहसीलदारों को केवल रिक्त पदों पर ही लगाने के आदेश दे रखे हैं. इसके बावजूद याचिकाकर्ता के मामले में नायब तहसीलदार को कार्य व्यवस्था के नाम पर याचिकाकर्ता के स्थान पर लगा दिया गया.

याचिका में यह भी कहा गया कि विभाग ने मातृत्व अवकाश के दौरान 17 अगस्त को एक बार फिर उसका तबादला नगर फोर्ट से राजस्व मंडल, अजमेर कर दिया. याचिका में कहा गया कि मातृत्व अवकाश पर रहने के चलते उसने नगरफोर्ट तहसीलदार पद का कार्यग्रहण नहीं किया था. इसके अलावा मातृत्व अवकाश पर रहने के दौरान विभाग को उसका बार-बार तबादला भी नहीं करना चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के तबादला आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

पढ़ें: Rajasthan High Court on Maternity Leave : नियुक्ति से पहले हुए प्रसव पर मातृत्व अवकाश देने के आदेश

पुनर्निधारण के नोटिस और कर निर्धारण आदेश को किया रद्द: राजस्थान हाईकोर्ट ने आयकर विभाग की ओर से आयकर अधिनियम की धारा 148 के तहत कर पुनर्निधारण के नोटिस और कर निर्धारण आदेश को इस आधार पर रद्द कर दिया है कि नोटिस जारी होने से पूर्व ही संबंधित करदाता की मौत हो गई (Court on Income tax notice) थी. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि धारा 148 के तहत दिए गए नोटिस से 6 साल पहले की संबंधित करदाता की मौत हो चुकी थी. इसके अलावा विभाग ने कर पुनर्निधारण के लिए मृतक के कानूनी वारिसों को कोई नोटिस नहीं दिया.

अदालत ने कहा कि मामले में पूर्व में दायर एक अन्य याचिका के तथ्यों से साबित है कि आयकर उपायुक्त को संबंधित करदाता की मौत की जानकारी दी गई थी. ऐसे में विभाग की इस दलील को भी नहीं माना जा सकता कि उन्हें करदाता की मौत की जानकारी नहीं दी गई थी. जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस कुलदीप माथुर की खंडपीठ ने यह आदेश मृतक शोभा मेहता के कानूनी वारिस कन्हैयालाल मेहता की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

पढ़ें: राजस्थान हाई कोर्ट ने कहा- महिला कर्मचारी मातृत्व अवकाश की हकदार

याचिका में अधिवक्ता महेन्द्र गार्गिय और अधिवक्ता देवांग गार्गिय ने अदालत को बताया कि आयकर विभाग ने वर्ष 2013-2014 के संबंध में आयकर अधिनियम की धारा 148 के तहत कर पुनर्निधारण का नोटिस शोभा मेहता के नाम दिया था. जबकि शोभा मेहता की विभाग की ओर से नोटिस जारी करने से कई सालों पहले ही मौत हो चुकी थी.

नियमानुसार विभाग को मृतक के कानूनी वारिस को तय मियाद में नोटिस देना जरूरी था, लेकिन विभाग की ओर से कानूनी वारिस को कोई नोटिस नहीं दिया गया. ऐसे में विभाग की ओर से की गई कार्रवाई को रद्द किया जाए. इसके जवाब में विभाग की ओर से कहा गया कि विभाग को शोभा मेहता की मौत के बारे में जानकारी नहीं थी. उनकी ओर से शोभा मेहता के नाम नोटिस दिया गया था, जो कि उनके पति ने लिया था और उन्होंने शोभा की मौत की जानकारी दी थी. इसके बाद उसके कानूनी वारिसों को सूचना दी गई थी. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद खंडपीठ ने कर पुनर्निधारण नोटिस और कर निर्धारण आदेश को रद्द कर दिया है.

Last Updated : Sep 26, 2022, 6:13 PM IST
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