जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि, एसएमएस अस्पताल सहित अन्य चिकित्साकर्मियों को डब्ल्यूएचओ की ओर से निर्धारित मापदंड के मास्क और सैनिटाइजर सहित अन्य बचाव सामग्री उपलब्ध कराने के लिए क्या किया जा रहा है. इसके साथ ही अदालत ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को भी कहा है. न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार और न्यायाधीश मनोज कुमार व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश रामवीर की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.
याचिका में अदालत को बताया गया कि एसएमएस अस्पताल सहित अन्य चिकित्सा कर्मियों को डब्ल्यूएचओ की ओर से निर्धारित मापदंड के आधार पर मास्क और सैनिटाइजर सहित अन्य बचाव सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जा रही है. जिसके चलते चिकित्साकर्मियों में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. वहीं अस्पताल से करीब 12 करोड़ रुपए के मास्क भी गायब हो गए हैं.
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याचिका में कहा गया कि हाल ही में एसएमएस अस्पताल की कैंटीन में कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति मिला है. जिसके चलते इसके अस्पताल के अन्य कर्मचारियों और चिकित्सकों में भी फैलने का खतरा बढ़ गया है. याचिका में गुहार की गई कि सभी स्वास्थ्यकर्मियों की जांच कराने सहित उन्हें तय मापदंड कि बचाव सामग्री उपलब्ध कराई जाए.
लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूलों में 3 माह का फीस माफ करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका
प्रदेश में कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन और आमजन के आर्थिक संकट के दौर से गुजरने के चलते निजी स्कूल संचालकों की ओर से 3 माह की फीस नहीं लेने के संबंध में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका पर संभवत अगले सप्ताह सुनवाई हो सकती है.
राजीव भूषण बंसल की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉक डाउन चल रहा है. जिससे काम धंधे ठप हो गए हैं. लोग आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं और उनके पास आय का अन्य स्त्रोत भी नहीं है. ऐसे में निजी स्कूलों की फीस जमा कराना आमजन के लिए संभव नहीं होगा.
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याचिका में कहा गया कि फिलहाल स्कूलों का संचालन भी बंद है ऐसे में निजी स्कूल संचालकों को निर्देश दिए जाए कि वह अभिभावकों की 3 महीने की फीस माफ कर दें. इसके अलावा आगामी शैक्षणिक सत्र में भी फीस में 10 फ़ीसदी की बढ़ोतरी नहीं की जाए. याचिका में यह भी कहा गया कि स्कूलों को सैनिटाइजेशन करने सहित साफ सफाई रखने और मास्क के संबंध में भी आवश्यक दिशा निर्देश दिए जाए.
ADM पुनर्वास के पद पर कार्यरत अधिकारी का SDM पर तबादले को लेकर मांगा जवाब
राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा के सीनियर स्केल के अधिकारी का तबादला एसडीएम पद पर करने पर मुख्य सचिव और कार्मिक सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश महेंद्र गोयल ने यह आदेश वरिष्ठ RAS अधिकारी करतार सिंह की याचिका पर दिए.
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता बीसलपुर परियोजना में एडीएम पुनर्वास के पद पर कार्यरत था, गत 28 मार्च को राज्य सरकार ने उसका तबादला प्रतापगढ़ में एसडीएम के पद पर कर दिया. जबकि ADM का पद सीनियर स्केल के तहत आता है और SDM का पद जूनियर स्केल के अधिकारियों के लिए होता है. ऐसे में ADM पद का तबादला ADM स्तर के पद पर ही किया जा सकता है. याचिका में यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता का पिछले करीब डेढ़ साल में 8 बार तबादला किया जा चुका है. जबकि वह गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं.
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सुनवाई के दौरान स्थानीय किसान नानू गुर्जर की ओर से प्रार्थना पत्र पेश कर पक्षकार बनने की गुहार की गई. प्रार्थना पत्र में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता यहां के स्थानीय निवासी हैं और शिकायत पर राज्य सरकार ने उनका तबादला किया है. इसके अलावा उनके पद पर दूसरे आरएएस अधिकारी ने पदभार ग्रहण कर लिया है.