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इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर हाईकोर्ट ने मांगा केन्द्र सरकार और आरबीआई से जवाब

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Published : Dec 16, 2019, 9:31 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने के मामले में केन्द्रीय वित्त सचिव, कॉरपोरेट सचिव, आरबीआई और एसबीआई महानिदेशक से जवाब तलब किया है.

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इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर हाईकोर्ट ने मांगा केन्द्र सरकार और आरबीआई से जवाब

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने के मामले में केन्द्रीय वित्त सचिव, कॉरपोरेट सचिव, आरबीआई और एसबीआई महानिदेशक से जवाब तलब किया है.

इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर हाईकोर्ट ने मांगा केन्द्र सरकार और आरबीआई से जवाब

मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश पब्लिक अगेस्ट करप्शन संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. जनहित याचिका में कहा गया कि केन्द्र सरकार ने साल 2018 में अधिसूचना जारी कर प्रावधान किया था कि एसबीआई बैंक की ओर से जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर माह में दस-दस दिन के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे जाएंगे. वहीं, बाद में चुनावों को देखते हुए इसमें मार्च, मई और नवंबर माह भी जोड़ दिए गए. याचिका में कहा गया कि बॉन्ड की राशि को आयकर से मुक्त किया गया है.

पढ़ेंः मोदी पर गहलोत का हमला, कहा- भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की भाजपा कर रही तैयारी

वहीं, यह प्रोमिजरी नोट की तरह होगा. यानि इसे खरीदने वालों का नाम सार्वजनिक नहीं होगा और ना ही बॉन्ड के जरिए चंदा लेने वाले के नाम का खुलासा किया जाएगा. याचिका में कहा गया कि बॉन्ड के जरिए चुनावी चंदा देने से भ्रष्टाचार बढ़ेगा. क्योंकि इसके लोग फर्जी कंपनियां खोलकर बॉन्ड लेंगे और उन्हें आयकर में भी छूट मिलेगी. याचिका में कहा गया कि बॉन्ड खरीदने वालों और इसके जरिए चंदा लेने वालों के नाम सार्वजनिक किए जाए. इसके अलावा मार्च, मई और नवंबर माह में बॉन्ड के जरिए लिए गए चंदे की राशि को सरकारी खजाने में जमा कराया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने के मामले में केन्द्रीय वित्त सचिव, कॉरपोरेट सचिव, आरबीआई और एसबीआई महानिदेशक से जवाब तलब किया है.

इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर हाईकोर्ट ने मांगा केन्द्र सरकार और आरबीआई से जवाब

मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश पब्लिक अगेस्ट करप्शन संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. जनहित याचिका में कहा गया कि केन्द्र सरकार ने साल 2018 में अधिसूचना जारी कर प्रावधान किया था कि एसबीआई बैंक की ओर से जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर माह में दस-दस दिन के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे जाएंगे. वहीं, बाद में चुनावों को देखते हुए इसमें मार्च, मई और नवंबर माह भी जोड़ दिए गए. याचिका में कहा गया कि बॉन्ड की राशि को आयकर से मुक्त किया गया है.

पढ़ेंः मोदी पर गहलोत का हमला, कहा- भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की भाजपा कर रही तैयारी

वहीं, यह प्रोमिजरी नोट की तरह होगा. यानि इसे खरीदने वालों का नाम सार्वजनिक नहीं होगा और ना ही बॉन्ड के जरिए चंदा लेने वाले के नाम का खुलासा किया जाएगा. याचिका में कहा गया कि बॉन्ड के जरिए चुनावी चंदा देने से भ्रष्टाचार बढ़ेगा. क्योंकि इसके लोग फर्जी कंपनियां खोलकर बॉन्ड लेंगे और उन्हें आयकर में भी छूट मिलेगी. याचिका में कहा गया कि बॉन्ड खरीदने वालों और इसके जरिए चंदा लेने वालों के नाम सार्वजनिक किए जाए. इसके अलावा मार्च, मई और नवंबर माह में बॉन्ड के जरिए लिए गए चंदे की राशि को सरकारी खजाने में जमा कराया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

Intro:बाईट- याचिकाकर्ता के वकील पूनमचंद भंडारी


जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने के मामले में केन्द्रीय वित्त सचिव, कॉरपोरेट सचिव, आरबीआई और एसबीआई महानिदेशक से जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश पब्लिक अगेस्ट करप्शन संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।Body:जनहित याचिका में कहा गया कि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2018 में अधिसूचना जारी कर प्रावधान किया था कि एसबीआई बैंक की ओर से जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर माह में दस-दस दिन के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे जाएंगे। वहीं बाद में चुनावों को देखते हुए इसमें मार्च, मई और नवंबर माह भी जोड दिए गए। याचिका में कहा गया कि बॉन्ड की राशि को आयकर से मुक्त किया गया है। वहीं यह प्रोमिजरी नोट की तरह होगा। यानि इसे खरीदने वालों का नाम सार्वजनिक नहीं होगा और ना ही बॉन्ड के जरिए चंदा लेने वाले के नाम का खुलासा किया जाएगा। याचिका में कहा गया कि बॉन्ड के जरिए चुनावी चंदा देने से भ्रष्टाचार बढ़ेगा। क्योंकि इसके लोग फर्जी कंपनियां खोलकर बॉन्ड लेंगे और उन्हें आयकर में भी छूट मिलेगी। याचिका में कहा गया कि बॉन्ड खरीदने वालों और इसके जरिए चंदा लेने वालों के नाम सार्वजनिक किए जाए। इसके अलावा मार्च, मई और नवंबर माह में बॉन्ड के जरिए लिए गए चंदे की राशि को सरकारी खजाने में जमा कराया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।Conclusion:
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