जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर टेंडर देने के मामले में सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग, राजकॉम्प इन्फो सर्विसेज लिमिटेड के अधिकारियों और एसीबी डीजी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की ओर से दायर याचिका पर दिए.
याचिका में कहा गया कि आईटी एवं संचार विभाग ने फैसिलिटी मैनेजमेंट सिस्टम के लिए टेंडर जारी किए थे. जिसमें शामिल होने के लिए संबंधित फर्म का टर्नओवर एक करोड़ रुपए होना जरूरी था. इसके बावजूद अधिकारियों ने मिलीभगत कर प्रिसाइस रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन को वर्क आर्डर दे दिए।. जबकि फार्म का टर्नओवर लाखों में ही था. इसी तरह राजकॉम्प ने वर्ष 2015 में फाइबर ऑप्टिकल केबल के लिए टेंडर निकाला था. जिसमें 5 करोड़ रुपए टर्नओवर की शर्त के विपरीत जाकर 3 करोड़ रुपए टर्नओवर वाली फर्म श्याम कृपा को टेंडर दे दिया गया.
याचिका में यह भी बताया गया कि राजकॉम्प ने जीपीएस लगाने के टेंडर में भी मिलीभगत कर 20 करोड़ रुपए टर्नओवर वाली फर्म के बजाय 11 करोड़ रुपए टर्नओवर वाली फर्म केके इलेक्ट्रोनेट को वर्क आर्डर दे दिए. याचिका में कहा गया कि इस संबंध में एसीबी को भी जानकारी दी गई, लेकिन उनकी ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों और फर्म को नोटिस जारी किए हैं.
IOC के मुख्य महाप्रबंधक और अजमेर मंडल के प्रबंधक को नोटिस
राजस्थान हाईकोर्ट ने इंडियन ऑयल कंपनी की ओर से पेट्रोल पंप का आवंटन कर बाद में उसे निरस्त करने पर आईओसी के मुख्य महाप्रबंधक और अजमेर मंडल के प्रबंधक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश दिनेश कुमार की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा मालपुरा अदालत को बताया कि आईओसी ने 14 दिसंबर 2018 को टोडारायसिंह के ग्राम मोर में ग्रामीण क्षेत्र के लिए पेट्रोल पंप आवंटन की विज्ञप्ति जारी की थी. जिसमें याचिकाकर्ता को पेट्रोल पंप का आवंटन हो गया. वहीं गत 11 जनवरी को कंपनी ने भूमि का भौतिक सत्यापन करने के बाद यह कहते हुए आवंटन रद्द कर दिया कि संबंधित भूमि स्टेट हाईवे पर स्थित है.
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याचिका में कहा गया कि आवंटन के लिए जारी की गई विज्ञप्ति में स्टेट हाईवे पर नहीं होने की कोई शर्त नहीं थी. ऐसे में कंपनी की ओर से मनमानी करते हुए आवंटन को रद्द किया गया है. ऐसे में कंपनी के आदेश को निरस्त किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.