जयपुर. हाईकोर्ट ने जिला एंव सत्र न्यायालय को एक आपराधिक मामले की डायरी मंगवने पर तीन दिन में मौखिक स्पष्टिकरण देने के लिए कहा है. डीजे का कहना है कि, इससे न केवल हाईकोर्ट के निर्देशों की अवहेलना हुई, बल्कि मजिस्ट्रेट ने स्वयं और अपने स्टाफ को भी कोरोना वायरस से संक्रमित होने के खतरे में डाल दिया.
जानकारी के अनुसार कोरोना संक्रमण के चलते हाई कोर्ट ने गत 14 अप्रैल को अधीनस्थ न्यायालयों को रिमांड और न्यायिक हिरासत आदि के काम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही करने के निर्देश दिए थे. इसके बाद 7 मई को हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों की केस डायरी भी पीडीएफ फॉर्मेट में ही मंगवाने और बहुत आवश्यकता होने पर ही कारण सहित लिखित आदेश जारी कर भौतिक रूप में दस्तावेज मंगवाने के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद महानगर मजिस्ट्रेट ने 10 मई को बजाज नगर थाने से जुड़े शहजाद उर्फ मुन्ना के रिमांड पर सुनवाई के दौरान बिना कारण सहित आदेश दिए ही केस डायरी भौतिक रूप से मंगवा ली.
पीठासीन अधिकारी से मांगा जवाब...
हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले को अवहेलना माना और कोरोना दौर में स्टाफ को भी संक्रमित होने के लिए खतरे में डाल देना माना. उसके बाद हाईकोर्ट ने इस आपराधिक मामले में भौतिक तौर पर केस डायरी मंगवाने पर महानगर मजिस्ट्रेट क्रम 21 के पीठासीन अधिकारी से 3 दिन में मौखिक स्पष्टीकरण देने को कहा है.