जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया के बेटे भंवर सिनोदिया के अपहरण और हत्या के मामले में गवाह जोराराम चौधरी की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार को उचित कदम उठाने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश जोराराम की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता संजय भारती ने अदालत को बताया कि घटना से जुड़े एक अन्य चश्मदीद गवाह याचिकाकर्ता भागचंद चोटिया की पिछले दिनों हमलावारों ने गोली मारकर हत्या कर दी है. याचिकाकर्ता की जान को भी समान खतरा है, ऐसे में उसे सुरक्षा मुहैया कराई जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने को कहा है.
पढ़ें- राजस्थान हाईकोर्ट: अशोक गुप्ता की ओर से दायर याचिका खारिज, अरविंद शुक्ला बने रहेंगे जेके लोन अधीक्षक
याचिका में कहा गया कि पूर्व में उसे पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई थी, लेकिन मार्च 2019 में चुनाव का हवाला देते हुए उसकी सुरक्षा को वापस ले लिया गया. अगस्त 2019 में प्रकरण के दो आरोपियों की आजीवन सजा हाईकोर्ट से रद्द होने के बाद सितंबर 2019 में याचिकाकर्ता ने सुरक्षा के लिए याचिका पेश कर दी थी, लेकिन उसे अब तक सुरक्षा नहीं मिली है. गौरतलब है कि जमीनी विवाद के चलते 9 मार्च 2011 को भंवर सिनोदिया की कुछ लोगों ने हत्या कर दी थी.
स्कूल व्याख्याता भर्ती-2018 में याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं देने का मामला
राजस्थान हाईकोर्ट ने आरपीएससी की ओर से आयोजित स्कूल व्याख्याता भर्ती-2018 में याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं देने पर शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और आरपीएससी से जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने भौतिक विज्ञान व्याख्याता का एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने को कहा है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश रवि प्रकाश की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने आयोग की ओर से व्याख्याता भर्ती को लेकर गत 6 जनवरी को आयोजित परीक्षा में भाग लिया. वहीं आयोग ने बाद में उसके आवेदन को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि आवेदन के समय उसके पास तय पात्रता नहीं थी.
याचिका में कहा गया कि नियमानुसार भर्ती की परीक्षा के समय पात्रता होनी चाहिए ना कि आवेदन के समय. ऐसे में याचिकाकर्ता को भर्ती प्रक्रिया में शामिल रखा जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने को कहा है.