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पटवारियों को पदोन्नति देने के 3 साल बाद भी पदस्थापन क्यों नहींः राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने पटवारियों को 3 साल पहले पदोन्नति देकर भू-अभिलेख निरीक्षक बनाने के बावजूद अब तक इस पद पर पदस्थापन नहीं करने पर प्रमुख राजस्व सचिव, अजमेर संभागीय आयुक्त, टोंक कलेक्टर और राजस्व मंडल के रजिस्ट्रार से जवाब तलब किया है.

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वारियों की पदोन्नति पर हाईकोर्ट के आदेश
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Published : Jun 3, 2020, 10:07 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पटवारियों को 3 साल पहले पदोन्नति देकर भू-अभिलेख निरीक्षक बनाने के बावजूद अब तक इस पद पर पदस्थापन नहीं करने पर प्रमुख राजस्व सचिव, अजमेर संभागीय आयुक्त, टोंक कलेक्टर और राजस्व मंडल के रजिस्ट्रार से जवाब तलब किया है. न्यायाधीश नरेंद्र सिंह और न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठों ने यह आदेश बाबूलाल बेरवा और शंकरलाल की ओर से दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.

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याचिकाओं में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत मालपुरा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति वर्ष 1993 में पटवारी के पद पर हुई थी. वहीं 26 अप्रैल 2017 को उन्हें भूलेख अभिलेख निरीक्षक के पद पर पदोन्नति दी गई. याचिका में कहा गया कि पदोन्नति के बाद अब तक याचिकाकर्ताओं को इस पद पर पदस्थापित ना कर पटवारी पद का ही काम लिया जा रहा है. जबकि उनके खिलाफ किसी तरह की विभागीय जांच भी लंबित नहीं है.

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याचिका में गुहार की गई है कि उन्हें अप्रैल 2017 से पदोन्नत पद पर पदस्थापित मानते हुए नायब तहसीलदार की वरिष्ठता में शामिल किया जाए. जिसपर सुनवाई करते हुए एकल पीठों ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पटवारियों को 3 साल पहले पदोन्नति देकर भू-अभिलेख निरीक्षक बनाने के बावजूद अब तक इस पद पर पदस्थापन नहीं करने पर प्रमुख राजस्व सचिव, अजमेर संभागीय आयुक्त, टोंक कलेक्टर और राजस्व मंडल के रजिस्ट्रार से जवाब तलब किया है. न्यायाधीश नरेंद्र सिंह और न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठों ने यह आदेश बाबूलाल बेरवा और शंकरलाल की ओर से दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.

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याचिकाओं में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत मालपुरा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति वर्ष 1993 में पटवारी के पद पर हुई थी. वहीं 26 अप्रैल 2017 को उन्हें भूलेख अभिलेख निरीक्षक के पद पर पदोन्नति दी गई. याचिका में कहा गया कि पदोन्नति के बाद अब तक याचिकाकर्ताओं को इस पद पर पदस्थापित ना कर पटवारी पद का ही काम लिया जा रहा है. जबकि उनके खिलाफ किसी तरह की विभागीय जांच भी लंबित नहीं है.

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याचिका में गुहार की गई है कि उन्हें अप्रैल 2017 से पदोन्नत पद पर पदस्थापित मानते हुए नायब तहसीलदार की वरिष्ठता में शामिल किया जाए. जिसपर सुनवाई करते हुए एकल पीठों ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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