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हाईकोर्ट ने हेल्थ इंस्ट्रक्टर और लैब क्लीनर को हटाने पर लगाई रोक - हेल्थ इंस्ट्रक्टर

राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी के जरिए संविदा पर कई साल पहले लगे याचिकाकर्ता हेल्थ इंस्ट्रक्टर, लैब क्लीनर और कंप्यूटर ऑपरेटर्स को हटाने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने ये आदेश हंसराज सैनी और अन्य की याचिका पर दिए.

जयपुर की खबर, removal of  instructor and lab cleaner
राजस्थान उच्च न्यायालय
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Published : Mar 11, 2020, 4:37 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बारां जिले के अटरू में प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी के जरिए संविदा पर कई साल पहले लगे याचिकाकर्ता हेल्थ इंस्ट्रक्टर, लैब क्लीनर और कंप्यूटर ऑपरेटर्स को हटाने पर रोक लगा दी है.

इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. जिसमें कहा है कि वो याचिकाकर्ताओं की जगह प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए किसी अन्य संविदाकर्मी की नियुक्ति नहीं करें. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने ये आदेश हंसराज सैनी और अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति वर्ष 2013 से वर्ष 2016 के दौरान राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी के जरिए प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर हेल्थ इंस्ट्रक्टर सहित अन्य पदों पर हुई थी. चिकित्सा विभाग ने 10 जून 2019 को याचिकाकर्ताओं के पदों को प्लेसमेंट एजेंसी से भरने के लिए टेंडर निकाला और उनकी सेवाओं को प्लेसमेंट एजेंसी के अधीन कर दिया.

पढ़ें: MP कांग्रेस के विधायकों को रिसीव करने 3 बसें पहुंची जयपुर एयरपोर्ट

इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि एक संविदाकर्मी को हटाकर उसके स्थान पर दूसरे संविदाकर्मी की नियुक्ति नहीं की जा सकती. याचिका में गुहार की गई कि उन्हें पद पर बनाए रखते हुए राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी के अधीन काम करने दिया जाए.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बारां जिले के अटरू में प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी के जरिए संविदा पर कई साल पहले लगे याचिकाकर्ता हेल्थ इंस्ट्रक्टर, लैब क्लीनर और कंप्यूटर ऑपरेटर्स को हटाने पर रोक लगा दी है.

इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. जिसमें कहा है कि वो याचिकाकर्ताओं की जगह प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए किसी अन्य संविदाकर्मी की नियुक्ति नहीं करें. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने ये आदेश हंसराज सैनी और अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति वर्ष 2013 से वर्ष 2016 के दौरान राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी के जरिए प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर हेल्थ इंस्ट्रक्टर सहित अन्य पदों पर हुई थी. चिकित्सा विभाग ने 10 जून 2019 को याचिकाकर्ताओं के पदों को प्लेसमेंट एजेंसी से भरने के लिए टेंडर निकाला और उनकी सेवाओं को प्लेसमेंट एजेंसी के अधीन कर दिया.

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इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि एक संविदाकर्मी को हटाकर उसके स्थान पर दूसरे संविदाकर्मी की नियुक्ति नहीं की जा सकती. याचिका में गुहार की गई कि उन्हें पद पर बनाए रखते हुए राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी के अधीन काम करने दिया जाए.

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