जयपुर. प्रदेश में कोरोना की लहर के बीच वृद्धाश्रमों में आसरा पाए लोग सहारे से वंचित हो रहे हैं. सूबे में 44 वृद्धाश्रम सरकारी अनुदान पर संचालित हैं. लेकिन इसके इतर भी सैकड़ों ऐसे आश्रम हैं, जो सिर्फ भामाशाहों से मिले दान से ही चल रहे हैं. कोरोना संक्रमण के इस दौर में इन आश्रय स्थलों तक मदद के हाथ नहीं पहुंच पा रहे हैं.
राजस्थान में 44 वृद्धाश्रम संचालित हैं. इनमें से दो आश्रम सरकार के स्तर पर तो 42 आश्रम सरकारी अनुदान पर संचालित हैं. हालांकि प्रदेश में वृद्धा आश्रम की संख्या ज्यादा है. बाकी आश्रम सामाजिक संगठनों के अपने प्रयासों से संचालित हो रहे हैं. जो भामाशाह के सहयोग से ट्रस्ट द्वारा संचालित किए जा रहे हैं.
सरकार के अनुदान पर चलने वाले आश्रम को सरकार की ओर से समय पर अनुदान मिल रहा है. जिससे उनके संचालन में कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन जो भामाशाह के दान पर चलते हैं उन्हें कोरोना संक्रमण की वजह दान नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
![Crisis on the destitute during the Corona period](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11638190_thu.jpg)
प्रदेश में सरकारी अनुदान पर चलने वाले वृद्धाश्रमों की मॉनीटरिंग सामाजिक न्याय विभाग की ओर से की जाती है. इसके अलावा एनजीओ के माध्यम से चलने वाले वृद्धाश्रम डोनेशन से चलते हैं. राजस्थान में इनकी अनुमानित संख्या 80 से अधिक है. ये किसी विभाग के सीधे तौर पर अधीन नहीं हैं. इसलिए इनकी वास्तविक संख्या कितनी है इसका आंकलन करना मुश्किल है.
हालांकि कोरोना संक्रमण की दूसरी वेव के चलते प्रदेश में रेड अलर्ट जन अनुशासन पखवाड़ा चल रहा है. घर से निकलने पर सख्ती बरती जा रही है और लोगों में भी कोरोना का खौफ पिछली वेव से ज्यादा है. फिर भी कुछ लोग हैं जो इंसानियत के नाते इन आश्रमों तक मदद की रसद पहुंचा रहे हैं.
![Crisis on the destitute during the Corona period](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11638190_tklasdjs.jpg)
कोरोना काल मे संकट में आए आश्रमों और कच्ची बस्ती की संकटमोचन बन रही है मनीषा सिंह. सेवा का ऐसा भाव लिए मनीषा आपसी सहयोग से इन जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए घर-घर, आश्रम-आश्रम जाकर खाद्य सामग्री पहुंचा रही हैं. मनीषा ने बताया कि कोरोना संक्रमण के इस वक्त में एक बड़ा तबका ऐसा भी है जिसके पास खाद्य सामग्री का संकट खड़ा हो गया है. चैरिटी पर चलने वाले आश्रमों में भामाशाह नहीं पहुंच पाने की वजह से उनके सामने आश्रितों का पालन पोषण करने की बड़ी चुनौती है.
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मनीषा अपने मान- द वेल्यू फाउंडेशन और जन सहयोग से इन जरूरतमंद लोगों का सहयोग कर रही हैं. मनीषआ के पति तेज प्रताप सिंह और उनके बिजनेस पार्टनर राजेश जैन भी उनका बराबर सहयोग कर रहे हैं. राजेश जैन कहते हैं कि यह वक्त संकट का है और राजस्थान की परंपरा रही कि हर संकट की घड़ी में हम एक दूसरे के साथ खड़े रहते हैं. इसीलिए हमारे पास जहां जहां से भी जरूरतमंद लोगों की मदद की जानकारी आती है हम उन तक खाद्य सामग्री या उसके अलावा कोई भी अन्य जरूरत की वस्तु पहुंचा रहे हैं.
![Crisis on the destitute during the Corona period](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11638190_tmksdgfj.png)
मनीषा ने मानसरोवर में आशादीप संस्थान की ओर से संचालित आत्मनिर्भर वृद्धाश्रम में लोगों को दो महीने का राशन उपलब्ध कराया है. मनीषा और उनके साथियों की पहल काबिले तारीफ है. दूसरे भामाशाहों को भी इससे प्रेरणा लेकर मदद के हाथ बढ़ाने चाहिएं.