जयपुर. प्रदेश के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने चिकित्सा विभाग में चल रहे डेपुटेशन के खेल को खत्म करने की बात (health Minister Parsadi Lal Meena in Rajasthan Vidhansabha)कही. मामले को विधानसभा में भी उठाया है लेकिन जब बात अपने लोगों की जाए तो ये नियम लागू होते नहीं दिखते हैं.
ऐसा ही एक मामला जयपुर में अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे डॉक्टर साहब का है. जो दौसा में कार्यरत हैं और इन्हें जयपुर में अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है. तो ऐसे में मंत्री का अभियान के तहत इस तरह के खेल पर नकेल कसना कई सवाल खड़े (Deputation role in Corruption) करता है.
चिकित्सा विभाग ने 18 फरवरी को सभी अधिशेष चिकित्सकों को कार्यमुक्त करने के आदेश जारी किए थे. जिसके बाद अफरा-तफरी का माहौल बन गया, मामला विधानसभा में भी उठा और चिकित्सा मंत्री ने कहा कि बिना पद के नियुक्ति और डेपुटेशन भ्रष्टाचार के बगैर संभव नहीं.
चिकित्सा मंत्री का इस मामले में आक्रामक रुख भी अपनाया. सदन ने उनका वो अंदाज भी देखा. दावे और वादे की हकीकत सदन से बाहर कुछ और ही निकली. पता चला अधिशेष डॉक्टर्स को हटाने के अभियान में रिक्त पद पर अतिरिक्त कार्यभार देकर रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाया गया. अधिशेष डॉक्टर्स को कार्यमुक्त करने के आदेश के दिन ही दौसा चिकित्सालय में कार्यरत प्रमुख विशेषज्ञ डॉ.सीएल मीणा को अपने पद के साथ साथ जयपुर में खाद्य सुरक्षा में संयुक्त आयुक्त के रिक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया गया.
इसी आदेश के बाद चिकित्सा मंत्री के अभियान पर सवाल खड़े हो (Deputation role in Corruption) रहे हैं. स्वास्थ्य महकमें की गलियों में चर्चा है कि एडिशनल चार्ज देने के नाम पर चेहेतों को फायदा दिया जा रहा है. ये भी कहा जा रहा है कि सीएल मीणा का वेतनमान अतिरिक्त कार्यभार वाले पद के लिए उपयुक्त नहीं है. इस मामले में एक सवाल ये भी खड़ा हो रहा है कि एक ही अधिकारी दो जिलों में कार्य के साथ कैसे न्याय कर सकता है.