जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आर्य समाज मंदिर में अंतरजातीय और प्रेम विवाह के मामले में स्पष्ट किया है कि जो जोडे कानूनी रूप से विवाह करने के लिए योग्य हैं, उनकी आर्य समाज में शादी करने पर कोई पाबंदी नहीं है.
अदालत ने कहा कि 6 नवंबर 2011 का आदेश नाबालिगों की शादी के संबंध में था. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश ताराचंद अग्रवाल की जनहित याचिका पर दिए.
जनहित याचिका में कहा गया था कि आर्य समाज के मंदिर में आर्य मैरिज वेलीडेशन एक्ट, 1937 के तहत अंतरजातीय विवाह किया जा सकता है. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने वर्ष 2011 में एक बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका में दिए आदेश के कारण पिछले कई साल से राज्य में ऐसी शादियां नहीं हो पा रही हैं, जिनमें उनके परिजनों की सहमति नहीं होती.
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जिसके चलते ऐसे युगल गाजियाबाद सहित दूसरी जगह जा रहे हैं, जहां एक ही दिन में शादी के साथ पंजीकरण भी हो रहा है. दूसरे राज्यों में इस तरह के विवाह प्रदेश में मान्यता प्राप्त है. जिसके चलते प्रेमी जोडों को बाहर जाकर विवाह करना पड़ रहा है.