जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने दूसरी महिला के सहयोग से बनी सेरोगेट मदर को मातृत्व अवकाश नहीं देने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और बांसवाडा जिला शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता से की जा रही रिकवरी पर रोक लगा दी है. न्यायाधीश पीएस भाटी की एकलपीठ ने यह आदेश प्रियंका डामोर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता राम प्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता बांसवाड़ा में स्कूल व्याख्याता के पद पर कार्यरत है. वह अन्य महिला के सहयोग से सरोगेसी के जरिये मां बनी थी. उसने मातृत्व अवकाश के 180 दिन का लाभ भी ले लिया. लेकिन बाद में विभाग ने यह कहते हुए रिकवरी निकाल दी कि वह बच्चे की नैसर्गिक मां नहीं है.
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इसे याचिका में चुनौती देते हुए कहा गया कि वह बच्चे की मां बनने के बाद खुद ही उसकी देखभाल कर रही है. इसके अलावा चाहे नैसर्गिक मां हो या सेरोगेट मदर, दोनों को मातृत्व अवकाश का लाभ दिया जाना चाहिए. याचिका में यह भी कहा गया कि बच्चे को गोद लेने पर भी मातृत्व अवकाश मिलता है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता से की जा रही रिकवरी पर रोक लगा दी है.