जयपुर. 'लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर...बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर'. ये चौपाई भगवान हनुमान को समर्पित है. जिसमें उनके शरीर के लाल रंग और बज्र के समान बलवान होने का परिचय कराया गया है. देश में अधिकतर हनुमान मंदिरों में भगवान का यही स्वरूप देखने को भी मिलता है, लेकिन राजधानी में बड़ी चौपड़ से नीचे चांदी की टकसाल पर काले हनुमान मंदिर है, जहां भगवान की प्रतिमा काले रंग की है. हनुमान जी महाराज के इस अनूठे स्वरूप के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के साथ-साथ देसी-विदेशी पर्यटक भी हर दिन सैकड़ों की संख्या में यहां जमा होते हैं.
काले हनुमान मंदिर विग्रह का इतिहास...
मंदिर महंत गोपालदास महाराज ने बताया कि काले हनुमान मंदिर का विग्रह स्वयंभू है. यहां भगवान जयपुर की बसावट से पहले से विराजमान हैं. हालांकि, इसका कोई लिखित इतिहास नहीं है, लेकिन पूर्वजों से मिली जानकारी के अनुसार जब यहां जंगल हुआ करता था, तो एक कुआं भी मौजूद था. उसी के नजदीक काले हनुमान की प्रतिमा जमीन में मस्तिष्क तक बाहर नजर आई और जब यहां से और मिट्टी हटाई गई तो ये विग्रह सामने आया. उसी वक्त से यहां उनके पूर्वज साधना कर रहे हैं. उसके बाद जब यहां जयपुर की बसावट हुई, तब इस स्थान का निर्माण हुआ और समय के साथ मंदिर प्रांगण भव्य रूप में नजर आने लगा.
भगवान की प्रतिमा काले होने की पौराणिक मान्यता...
हनुमान जी का विग्रह काला होने के पीछे भी कई पौराणिका मान्यताएं हैं. उनमें से एक के अनुसार भगवान हनुमान सूर्य नारायण के शिष्य थे. जब उनकी शिक्षा-दीक्षा पूर्ण हुई, तब सूर्य नारायण ने हनुमान जी से गुरु दक्षिणा मांगी. इस पर जब हनुमान जी ने असमर्थता प्रकट की, तो सूर्यनारायण उनके पुत्र शनि महाराज को ढूंढ कर लाने को गुरु दक्षिणा बताया. ऐसे में हनुमान जी ढूंढते हुए शनि देव से मिले तो काफी देर वाक युद्ध होने के बाद शनिदेव क्रोधित हुए और उनकी ज्वाला से हनुमान जी का रंग श्याम हो गया, जिसे काला भी कहते हैं. इसके बाद हनुमान जी शनि देव को पकड़ कर सूर्य नारायण के पास ले आए.
हनुमान जी के चरणों में मौजूद दो अन्य प्रतिमाओं का राज...
काले हनुमान जी के पैरों में एक प्रतिमा मौजूद है, जिसे अहिरावण की देवी बताया जाता है. इस संबंध में गोपाल दास जी महाराज ने बताया कि भगवान राम और लक्ष्मण का वध करने के लिए अहिरावण की देवी पाताल लोक में ले गई थी. तब हनुमान जी ने पाताल लोक में पहुंचकर अहिरावण की देवी पर खड़े होकर उसका वध कर दिया और राम लक्ष्मण को कंधे पर बैठाकर सकुशल वापस ले आए. इसी मंदिर में हनुमान जी की सिंदूरी चोला धारण किए एक और प्रतिमा है. करीब 25 वर्ष पहले ही ये प्रतिमा अवतरित होना बताया जाता है. जिसका स्वरूप काले हनुमान के समान ही है. खास बात ये है कि ये दोनों प्रतिमा काले हनुमान से जुड़ी हुई हैं.
राजस्थानी स्थापत्य के वास्तुशिल्प वाले इस मंदिर का बाहरी स्वरूप भी मनमोहक है. मंदिर की दो मंजिला इमारत महल जैसी दिखाई देती है. हनुमान जी के मंडप में राम जी के साथ अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा भी स्थापित की है. यहां अजय देवगन, शिल्पा शेट्टी, जितेंद्र और एकता कपूर जैसे कई फिल्म अभिनेता भी आ चुके हैं.