जयपुर. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर रविवार को गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया जाएगा. हालांकि सरकार की एडवाइजरी की पालना के साथ मनाया जाएगा. श्रदालु मंदिरों, मठ-आश्रम और गुरुजनों के समाधिस्थल नहीं जा सकेंगे. वहीं इस बार कोरोना के चलते ऑनलाइन गुरुओं की पूजा भी शिष्य करते नजर आएंगे.
ज्योतिष परिषद और शोध संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 4 जुलाई को रात 11:34 बजे से आरंभ होकर 5 जुलाई को सूर्योदय से राजयोग सुबह 10:14 बजे तक रहेगा. राज सभी योगों का राजा कहलाता है, क्योंकि इसमें प्रत्येक प्रकार के योग के कुछ न कुछ समामिग्री अवश्य मिल जाती है. वहीं सर्वार्थसिद्धि योग रात 11:02 बजे से सूर्योदय तक रहेगा. इन मुहूर्त में शिष्य अपने गुरुओं की पूजा कर सकते है.
वहीं पूर्वाषाढ़ नक्षत्र के साथ ही केंद्र और राजयोग के मध्य जयपुर में विभिन्न स्थानों पर गुरु पूजन होगा, जिसका समय सुबह 5:42 बजे से 10:14 बजे तक रहेगा. इसके बाद रात को सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा. हिन्दू धर्म मे गुरु को ईश्वर से भी श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि गुरु ही है जो इस संसार रूपी भव-सागर को पार करने में सहायता करते है. भारत वर्ष में यह गुरु पूर्णिमा पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है.
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प्राचीन काल में शिष्य जब गुरु के आश्रम में निःशुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे तो इसी दिन पूर्ण श्रद्धा से अपने गुरु की पूजा आयोजन किया करते थे. गुरु पूर्णिमा पर केवल गुरु की ही नहीं अपितु घर में अपने से जो भी बड़ा है, माता-पिता भाई-बहन को गुरु तुल्य समझकर उनकी पूजा कर आशीर्वाद लिया जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि यदि ईश्वर आपको श्राप दे तो इससे गुरु आपकी रक्षा कर सकते हैं, लेकिन गुरु के दिए श्राप से स्वयं ईश्वर भी आपको नहीं बचा सकते हैं.