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Special : फूलों पर कोरोना का संकट, जयपुर में गुलदाउदी प्रदर्शनी हुई रद्द - फूलों पर कोरोना की मार

कोविड-19 संक्रमण के संकट से रंग-बिरंगे फूल भी अछूते नहीं हैं. राजस्थान विश्वविद्यालय की पौधशाला में हर साल लगने वाली गुलदाउदी प्रदर्शनी इस बार रद्द कर दी गई है. प्रदर्शनी रद्द होने से फूलों के पौधे खरीदने में दिलचस्पी रखने वाले लोग मायूस हैं. इस बार आमजन के लिए पौधे उपलब्ध नहीं हैं. हालांकि संस्थाओं, स्कूल-कॉलेज के लिए पौधे बेचे जा रहे हैं. ..देखिए खास रिपोर्ट

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जयपुर में गुलदाउदी प्रदर्शनी हुई रद्द
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Published : Dec 12, 2020, 3:49 PM IST

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय की पौधशाला में हर साल गुलदाउदी के रंग-बिरंगे फूलों की प्रदर्शनी लगती है. इस साल कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए इस प्रदर्शनी को रद्द कर दिया गया है. पिछले 34 साल में यह पहली बार हुआ है जब इस प्रदर्शनी को रद्द कर दिया गया है. बता दें कि राजधानी के राजस्थान विश्वविद्यालय की पौधशाला में 1986 से लगातार गुलदाउदी के पौधों की प्रदर्शनी का आयोजन होता रहा है.

जयपुर में गुलदाउदी प्रदर्शनी हुई रद्द

प्रदर्शनी को देखने के लिए जयपुर शहर के साथ ही आस-पास के इलाकों से भी हजारों की संख्या में लोग आते हैं. पिछले साल एक ही दिन में गुलदाउदी के करीब पांच हजार पौधे बिके थे. इस साल कोरोना संक्रमण की वजह से विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस प्रदर्शनी को निरस्त कर दिया है. यहां तक कि आमजन को गुलदाउदी के पौधे बेचने पर भी रोक लगाई गई है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस साल केवल संस्थाओं, स्कूलों और कॉलेजों को ही गुलदाउदी के पौधे बेचने की अनुमति दी है. ताकि भीड़ कम हो और कोरोना संक्रमण के खतरे से बचा जा सके.विश्वविद्यालय के इस फैसले से गुलदाउदी प्रेमियों को मायूस होकर लौटना पड़ रहा है.

पौधशाला के प्रभारी डॉ. रामावतार शर्मा का कहना है कि देश और प्रदेश के साथ ही जयपुर में भी कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है. इससे बचने के लिए सरकार ने धारा 144 लगाई गई है. ऐसे में इस बार कोरोना गाइड लाइन और धारा 144 की पालना के तहत प्रदर्शनी को रद्द किया गया है. उनका यह भी कहना है कि जयपुर के लोगों में गुलदाउदी की प्रदर्शनी को लेकर खासा उत्साह रहता है. उन्होंने कहा कि पौधे सिर्फ संस्थाओं को बेचे जा रहे हैं, इस बार पहले दिन लगभग 500 पौधे बिके.

पढ़ें: कांग्रेस विधायक के पीए और चुन्नीलाल धाकड़ के बीच वार्ता का ऑडियो वायरल, मामले में पुलिस थाने में दी रिपोर्ट

गुलदाउदी प्रेमियों का कहना है कि वे हर साल यहां लगने वाली गुलदाउदी की प्रदर्शनी में आते हैं और घर में लगाने के लिए गुलदाउदी के पौधे भी खरीदकर ले जाते हैं. इस बार महामारी कोविड-19 की वजह से गुलदाउदी की प्रदर्शनी भी नहीं लग पाई है. जिसके बाद जब जानकरी मिली कि पौधशाला में गुलदाउदी के पौधों की बिक्री हो रही है तो यहां चले आए लेकिन यहां आने के बाद पता चला कि आमजन को गुलदाउदी के पौधे नहीं बेचे जा रहे हैं. इसके अलावा अपने गांव की स्कूल के लिए गुलदाउदी के पौधे खरीदने आए एक शख्स का कहना है कि वह हर साल अपने गांव की स्कूल में लगाने के लिए पौधे ले जाते हैं.

पिछले साल यहां प्रदर्शनी में हजारों लोगों की मौजूदगी देखकर अच्छा लगता था लेकिन इस साल यहां कुछ ही लोग की संख्या दिखाई दे रही है. उनमें से अधिकांश लोग पौधे नहीं खरीद पाने की वजह से मायूस होकर लौट रहे हैं. इधर, पौधशाला के प्रभारी रामावतार शर्मा का कहना है कि संस्थाओं और स्कूल-कॉलेज से बहुत कम लोग आज गुलदाउदी के पौधे खरीदने पहुंचे हैं. उनका यह भी कहना है कि आने वाले दिनों में विशेष अनुमति लेकर आमजन को गुलदाउदी के पौधे बेचने की व्यवस्था करवाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. हालांकि, राजस्थान विश्वविद्यालय की पौधशाला में खिले रंग-बिरंगे फूलों को देखकर गुलदाउदी प्रेमियों को भरोसा है कि आने वाले दिनों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम होगा और सबका जीवन इन फूलों की तरह खुशनुमां होगा.

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय की पौधशाला में हर साल गुलदाउदी के रंग-बिरंगे फूलों की प्रदर्शनी लगती है. इस साल कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए इस प्रदर्शनी को रद्द कर दिया गया है. पिछले 34 साल में यह पहली बार हुआ है जब इस प्रदर्शनी को रद्द कर दिया गया है. बता दें कि राजधानी के राजस्थान विश्वविद्यालय की पौधशाला में 1986 से लगातार गुलदाउदी के पौधों की प्रदर्शनी का आयोजन होता रहा है.

जयपुर में गुलदाउदी प्रदर्शनी हुई रद्द

प्रदर्शनी को देखने के लिए जयपुर शहर के साथ ही आस-पास के इलाकों से भी हजारों की संख्या में लोग आते हैं. पिछले साल एक ही दिन में गुलदाउदी के करीब पांच हजार पौधे बिके थे. इस साल कोरोना संक्रमण की वजह से विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस प्रदर्शनी को निरस्त कर दिया है. यहां तक कि आमजन को गुलदाउदी के पौधे बेचने पर भी रोक लगाई गई है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस साल केवल संस्थाओं, स्कूलों और कॉलेजों को ही गुलदाउदी के पौधे बेचने की अनुमति दी है. ताकि भीड़ कम हो और कोरोना संक्रमण के खतरे से बचा जा सके.विश्वविद्यालय के इस फैसले से गुलदाउदी प्रेमियों को मायूस होकर लौटना पड़ रहा है.

पौधशाला के प्रभारी डॉ. रामावतार शर्मा का कहना है कि देश और प्रदेश के साथ ही जयपुर में भी कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है. इससे बचने के लिए सरकार ने धारा 144 लगाई गई है. ऐसे में इस बार कोरोना गाइड लाइन और धारा 144 की पालना के तहत प्रदर्शनी को रद्द किया गया है. उनका यह भी कहना है कि जयपुर के लोगों में गुलदाउदी की प्रदर्शनी को लेकर खासा उत्साह रहता है. उन्होंने कहा कि पौधे सिर्फ संस्थाओं को बेचे जा रहे हैं, इस बार पहले दिन लगभग 500 पौधे बिके.

पढ़ें: कांग्रेस विधायक के पीए और चुन्नीलाल धाकड़ के बीच वार्ता का ऑडियो वायरल, मामले में पुलिस थाने में दी रिपोर्ट

गुलदाउदी प्रेमियों का कहना है कि वे हर साल यहां लगने वाली गुलदाउदी की प्रदर्शनी में आते हैं और घर में लगाने के लिए गुलदाउदी के पौधे भी खरीदकर ले जाते हैं. इस बार महामारी कोविड-19 की वजह से गुलदाउदी की प्रदर्शनी भी नहीं लग पाई है. जिसके बाद जब जानकरी मिली कि पौधशाला में गुलदाउदी के पौधों की बिक्री हो रही है तो यहां चले आए लेकिन यहां आने के बाद पता चला कि आमजन को गुलदाउदी के पौधे नहीं बेचे जा रहे हैं. इसके अलावा अपने गांव की स्कूल के लिए गुलदाउदी के पौधे खरीदने आए एक शख्स का कहना है कि वह हर साल अपने गांव की स्कूल में लगाने के लिए पौधे ले जाते हैं.

पिछले साल यहां प्रदर्शनी में हजारों लोगों की मौजूदगी देखकर अच्छा लगता था लेकिन इस साल यहां कुछ ही लोग की संख्या दिखाई दे रही है. उनमें से अधिकांश लोग पौधे नहीं खरीद पाने की वजह से मायूस होकर लौट रहे हैं. इधर, पौधशाला के प्रभारी रामावतार शर्मा का कहना है कि संस्थाओं और स्कूल-कॉलेज से बहुत कम लोग आज गुलदाउदी के पौधे खरीदने पहुंचे हैं. उनका यह भी कहना है कि आने वाले दिनों में विशेष अनुमति लेकर आमजन को गुलदाउदी के पौधे बेचने की व्यवस्था करवाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. हालांकि, राजस्थान विश्वविद्यालय की पौधशाला में खिले रंग-बिरंगे फूलों को देखकर गुलदाउदी प्रेमियों को भरोसा है कि आने वाले दिनों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम होगा और सबका जीवन इन फूलों की तरह खुशनुमां होगा.

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