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Budget Special: अभिभावक और स्कूल संचालकों को राहत की उम्मीद...युवाओं को नौकरी की आस

अगामी 24 फरवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान का बजट पेश करेंगे. इसके लेकर प्रदेश में रहने वाले हर वर्ग को ढेरों उम्मीदें हैं. अभिभावकों और स्कूल संचालकों को बजट में राहत की उम्मीद के साथ ही युवाओं को रोजगार के अवसर बढ़ाए जाने की आस है. फिलहाल बुधवार को आने वाले बजट में किसको क्या मिला यह साफ हो जाएगा.

School operators expectations from budget, बजट में युवाओं को रोजगार से आस
राजस्थान बजट से अभिभावकों की उम्मीद
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Published : Feb 23, 2021, 7:14 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 24 फरवरी को विधानसभा में राज्य का बजट पेश करेंगे. प्रदेशभर के लोगों की निगाह इस बजट पर टिकी रहेगी. प्रदेश के बजट से हर वर्ग के लोगों को ढेरों उम्मीदें हैं. खासकर शिक्षा के क्षेत्र के लिए बजट में क्या प्रावधान किए जाते हैं, इस पर सबकी निगाहें हैं. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी इस बजट से काफी उम्मीदें हैं. अभिभावकों की पीड़ा यह है कि उन्हें बच्चों को बिना स्कूल भेजे ही पूरी फीस देनी पड़ रही है, जबकि स्कूल-कॉलेज संचालक भी कोरोना काल की दुहाई देते हुए रियायत देने की मांग कर रहे हैं. वहीं शिक्षाविदों का कहना है कि सरकार को इस बजट में युवाओं को रोजगार मुहैया करवाने की दिशा में ज्यादा प्रयास करने चाहिए.

राजस्थान बजट से अभिभावकों की उम्मीद

पढ़ें: मरू महोत्सव से दौरे का आगाज करेंगे माकन, किसान सम्मेलनों के जरिए फूंकेंगे उपचुनाव का बिगुल

संयुक्त अभिभावक संघ के प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू का कहना है कि कोरोना काल में पिछले 11 महीने से अभिभावक निजी स्कूलों के रवैये से पीड़ित और प्रताड़ित हैं. यह राज्य सरकार की जानकारी में भी है. अब अभिभावक चाहते हैं कि बजट में विशेष प्रावधान कर प्रदेश के अभिभावकों को राहत प्रदान की जाए और निजी स्कूलों की मनमर्जी पर लगाम कसी जाए. उनका कहना है कि निजी स्कूलों की तर्ज पर ही प्रदेश की सरकारी स्कूलों में भी आधारभूत सुविधाएं मुहैया करवाई जाए.

देश और प्रदेश के कुछ जगहों पर सरकारी स्कूलों में भी अच्छी पढ़ाई होती है. उसी तरह की व्यवस्थाएं हर सरकारी स्कूल में विद्यार्थियों को मिलनी चाहिए और सरकारी स्कूलों में भी आधारभूत ढांचे में सुधार होना चाहिए, ताकि अभिभावकों को निजी स्कूलों का विकल्प मिल जाए. उनका यह भी कहना है कि राज्य सरकार को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए नियामक आयोग का गठन करने की भी मांग उठाई है.

पढ़ें: राजस्थान में बढ़ते महिला अपराध को लेकर भाजपा का 'हल्ला बोल'...गहलोत से इस्तीफे की मांग

वहीं, माहेश्वरी गर्ल्स पीजी कॉलेज की प्राचार्या डॉ. शुभा शर्मा का कहना है कि कोविड समय में शिक्षा के क्षेत्र को काफी नुकसान हुआ है. हालांकि, ऑनलाइन एजुकेशन जैसे कुछ अभिनव प्रयोग भी किए गए हैं. ऐसे में शिक्षा को तकनीक से जोड़कर ऑनलाइन शिक्षा की तरफ मजबूती से कदम बढ़ाने के प्रयास इस बार बजट में किए जाने चाहिए. इसके साथ ही शिक्षकों को भी नई तकनीक की जानकारी देने के लिए भी बजट में प्रावधान किए जाने चाहिए. ग्रामीण इलाकों में तकनीकी सुविधाएं बढ़ाने पर भी सरकार को विचार करना चाहिए.

साथ ही बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने के लिए ज्यादा मजबूती से प्रयास करने की दरकार है. बालिकाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए भी बजट में खास इंतजाम किए जाने चाहिए. उन्होंने विद्यार्थियों के लिए चल रही योजनाओं की जानकारी के प्रचार-प्रसार की व्यवस्था करने की भी मांग उठाई. उनका कहना है कि योजनाओं की जानकारी विद्यार्थियों तक पहुंचनी चाहिए ताकि उन्हें सरकार की योजनाओं का फायदा मिल सके.

वहीं, राजस्थान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव संजय कुमार का कहना है कि उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय में नियमित भर्ती प्रक्रिया को सुचारू करने की दिशा में सरकार को विशेष प्रयास करने चाहिए. स्कूली शिक्षा भी स्टाफ की कमी से जूझ रही है. इस दिशा में भी सरकार को सोचकर इस बार बजट में इसके लिए प्रावधान करने की दरकार है.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 24 फरवरी को विधानसभा में राज्य का बजट पेश करेंगे. प्रदेशभर के लोगों की निगाह इस बजट पर टिकी रहेगी. प्रदेश के बजट से हर वर्ग के लोगों को ढेरों उम्मीदें हैं. खासकर शिक्षा के क्षेत्र के लिए बजट में क्या प्रावधान किए जाते हैं, इस पर सबकी निगाहें हैं. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी इस बजट से काफी उम्मीदें हैं. अभिभावकों की पीड़ा यह है कि उन्हें बच्चों को बिना स्कूल भेजे ही पूरी फीस देनी पड़ रही है, जबकि स्कूल-कॉलेज संचालक भी कोरोना काल की दुहाई देते हुए रियायत देने की मांग कर रहे हैं. वहीं शिक्षाविदों का कहना है कि सरकार को इस बजट में युवाओं को रोजगार मुहैया करवाने की दिशा में ज्यादा प्रयास करने चाहिए.

राजस्थान बजट से अभिभावकों की उम्मीद

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संयुक्त अभिभावक संघ के प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू का कहना है कि कोरोना काल में पिछले 11 महीने से अभिभावक निजी स्कूलों के रवैये से पीड़ित और प्रताड़ित हैं. यह राज्य सरकार की जानकारी में भी है. अब अभिभावक चाहते हैं कि बजट में विशेष प्रावधान कर प्रदेश के अभिभावकों को राहत प्रदान की जाए और निजी स्कूलों की मनमर्जी पर लगाम कसी जाए. उनका कहना है कि निजी स्कूलों की तर्ज पर ही प्रदेश की सरकारी स्कूलों में भी आधारभूत सुविधाएं मुहैया करवाई जाए.

देश और प्रदेश के कुछ जगहों पर सरकारी स्कूलों में भी अच्छी पढ़ाई होती है. उसी तरह की व्यवस्थाएं हर सरकारी स्कूल में विद्यार्थियों को मिलनी चाहिए और सरकारी स्कूलों में भी आधारभूत ढांचे में सुधार होना चाहिए, ताकि अभिभावकों को निजी स्कूलों का विकल्प मिल जाए. उनका यह भी कहना है कि राज्य सरकार को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए नियामक आयोग का गठन करने की भी मांग उठाई है.

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वहीं, माहेश्वरी गर्ल्स पीजी कॉलेज की प्राचार्या डॉ. शुभा शर्मा का कहना है कि कोविड समय में शिक्षा के क्षेत्र को काफी नुकसान हुआ है. हालांकि, ऑनलाइन एजुकेशन जैसे कुछ अभिनव प्रयोग भी किए गए हैं. ऐसे में शिक्षा को तकनीक से जोड़कर ऑनलाइन शिक्षा की तरफ मजबूती से कदम बढ़ाने के प्रयास इस बार बजट में किए जाने चाहिए. इसके साथ ही शिक्षकों को भी नई तकनीक की जानकारी देने के लिए भी बजट में प्रावधान किए जाने चाहिए. ग्रामीण इलाकों में तकनीकी सुविधाएं बढ़ाने पर भी सरकार को विचार करना चाहिए.

साथ ही बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने के लिए ज्यादा मजबूती से प्रयास करने की दरकार है. बालिकाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए भी बजट में खास इंतजाम किए जाने चाहिए. उन्होंने विद्यार्थियों के लिए चल रही योजनाओं की जानकारी के प्रचार-प्रसार की व्यवस्था करने की भी मांग उठाई. उनका कहना है कि योजनाओं की जानकारी विद्यार्थियों तक पहुंचनी चाहिए ताकि उन्हें सरकार की योजनाओं का फायदा मिल सके.

वहीं, राजस्थान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव संजय कुमार का कहना है कि उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय में नियमित भर्ती प्रक्रिया को सुचारू करने की दिशा में सरकार को विशेष प्रयास करने चाहिए. स्कूली शिक्षा भी स्टाफ की कमी से जूझ रही है. इस दिशा में भी सरकार को सोचकर इस बार बजट में इसके लिए प्रावधान करने की दरकार है.

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