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बड़ा कदम: जयपुर पुलिस का रिस्पांस टाइम कम करने के लिए गश्ती वाहनों में लगाया जाएगा GPS System

जयपुर पुलिस के चेतक वाहन और सिगमा बाइक पर जीपीएस सिस्टम लगाए जाएंगे. पुलिस के रिस्पांस टाइम को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है. जीपीएस लगाने के बाद वारदात की जगह पर पहुंचने में पुलिस को कितना टाइम लगा, इसकी पूरी जानकारी मिल जाएगी. गश्ती वाहनों के हर एक मूवमेंट पर पुलिस कमिश्नरेट के अभय कमांड सेंटर से नजर रखी जा सकेगी.

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Published : Feb 3, 2021, 4:09 PM IST

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जयपुर पुलिस के गश्ती वाहनों पर जीपीएस सिस्टम

जयपुर. राजधानी में किसी भी आपराधिक वारदात के घटित होने पर संबंधित थाने की पुलिस कितनी जल्दी घटनास्थल पर पहुंचती है. इसको जांचने के लिए अब प्रत्येक थाने के गश्ती वाहन पर जीपीएस सिस्टम लगाया जाएगा. जयपुर पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव ने राजधानी के तमाम थानों के चेतक वाहन और सिगमा बाइक पर जीपीएस सिस्टम लगाने के निर्देश दिए हैं. गश्ती वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगने के बाद उनके हर एक मूवमेंट को जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के अभय कमांड सेंटर में बड़ी स्क्रीन पर देखा जा सकेगा. इसके साथ ही वाहनों की लाइव लोकेशन भी अभय कमांड सेंटर को लगातार मिलती रहेगी.

गश्ती वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाने की तैयारी

पढ़ें: गहलोत सरकार के संरक्षण में फल-फूल रहे खनन माफिया : शेखावत

एडिशनल पुलिस कमिश्नर राहुल प्रकाश ने बताया कि जयपुर पुलिस के रिस्पांस टाइम को कम करने के लिए चेतक वाहन और सिगमा बाइक पर जीपीएस सिस्टम लगाने के निर्देश दिए गए हैं. वाहनों पर जीपीएस सिस्टम लगने के बाद घटनास्थल पर पुलिस कितनी देर में पहुंची इसकी जांच की जा सकेगी. यदि इस दौरान किसी भी तरह की कोई लापरवाही सामने आती है तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी. यदि चेतक वाहन और सिगमा बाइक पर तैनात पुलिसकर्मी कंट्रोल रूम को लोकेशन को लेकर गलत सूचना देते है तो भी उनका झूठ पकड़ा जाएगा.

रिस्पांस टाइम कम करना सबसे बड़ी चुनौती

जयपुर पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती रिस्पांस टाइम को कम करना है. हाल ही में किए गए सर्वे में जयपुर पुलिस का रिस्पांस टाइम 35 से 40 मिनट पाया गया है जो कि काफी ज्यादा है. यानी कि किसी भी आपराधिक घटना की सूचना मिलने के बाद भी संबंधित थाने की पुलिस घटनास्थल पर पहुंचने में 35 से 40 मिनट लगा देती है जो की चिंता का एक बड़ा विषय है. पुलिस कमिश्नरेट के आला अधिकारी भी इसे लेकर काफी चिंतित हैं और वह रिस्पांस टाइम को कम कर 15 मिनट करना चाहते हैं.

जिसे देखते हुए ही पुलिस के गश्ती वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं. हाल ही में राजधानी जयपुर में हुई हत्या की वारदात में घटनास्थल पर पहुंचने में पुलिस ने आधे घंटे से भी अधिक समय लिया जबकि घटनास्थल और पुलिस थाने के बीच की दूरी डेढ़ से 2 किलोमीटर ही थी.

जयपुर. राजधानी में किसी भी आपराधिक वारदात के घटित होने पर संबंधित थाने की पुलिस कितनी जल्दी घटनास्थल पर पहुंचती है. इसको जांचने के लिए अब प्रत्येक थाने के गश्ती वाहन पर जीपीएस सिस्टम लगाया जाएगा. जयपुर पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव ने राजधानी के तमाम थानों के चेतक वाहन और सिगमा बाइक पर जीपीएस सिस्टम लगाने के निर्देश दिए हैं. गश्ती वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगने के बाद उनके हर एक मूवमेंट को जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के अभय कमांड सेंटर में बड़ी स्क्रीन पर देखा जा सकेगा. इसके साथ ही वाहनों की लाइव लोकेशन भी अभय कमांड सेंटर को लगातार मिलती रहेगी.

गश्ती वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाने की तैयारी

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एडिशनल पुलिस कमिश्नर राहुल प्रकाश ने बताया कि जयपुर पुलिस के रिस्पांस टाइम को कम करने के लिए चेतक वाहन और सिगमा बाइक पर जीपीएस सिस्टम लगाने के निर्देश दिए गए हैं. वाहनों पर जीपीएस सिस्टम लगने के बाद घटनास्थल पर पुलिस कितनी देर में पहुंची इसकी जांच की जा सकेगी. यदि इस दौरान किसी भी तरह की कोई लापरवाही सामने आती है तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी. यदि चेतक वाहन और सिगमा बाइक पर तैनात पुलिसकर्मी कंट्रोल रूम को लोकेशन को लेकर गलत सूचना देते है तो भी उनका झूठ पकड़ा जाएगा.

रिस्पांस टाइम कम करना सबसे बड़ी चुनौती

जयपुर पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती रिस्पांस टाइम को कम करना है. हाल ही में किए गए सर्वे में जयपुर पुलिस का रिस्पांस टाइम 35 से 40 मिनट पाया गया है जो कि काफी ज्यादा है. यानी कि किसी भी आपराधिक घटना की सूचना मिलने के बाद भी संबंधित थाने की पुलिस घटनास्थल पर पहुंचने में 35 से 40 मिनट लगा देती है जो की चिंता का एक बड़ा विषय है. पुलिस कमिश्नरेट के आला अधिकारी भी इसे लेकर काफी चिंतित हैं और वह रिस्पांस टाइम को कम कर 15 मिनट करना चाहते हैं.

जिसे देखते हुए ही पुलिस के गश्ती वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं. हाल ही में राजधानी जयपुर में हुई हत्या की वारदात में घटनास्थल पर पहुंचने में पुलिस ने आधे घंटे से भी अधिक समय लिया जबकि घटनास्थल और पुलिस थाने के बीच की दूरी डेढ़ से 2 किलोमीटर ही थी.

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