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सड़क निर्माण के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की जगह दस गुणा पेड़ लगाए सरकार : हाईकोर्ट - नीमराणा हाईवे निर्माण

सड़क निर्माण के लिए काटे जा रहे पेड़ों को लेकर दायर याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की. कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा है कि सड़क निर्माण के दौरान जितने भी पेड़ काटे जाएं उनकी जगह 10 गुणा अधिक पेड़ लगाए जाएं. पढ़ें विस्तृत खबर...

public interest litigation, राजस्थान हाईकोर्ट
Rajasthan High Court
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Published : Jan 23, 2020, 8:48 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह माजरी से हरियाणा की सीमा और नीमराणा तक सड़क निर्माण के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या के दस गुणा पेड़ लगाए. वहीं अदालत ने कहा है कि सड़क निर्माण की अनुमति 859 पेड़ों को दूसरी जगह ट्रांसप्लांट करने और उसकी समय-समय पर रिपोर्ट पेश करने के आधार पर ही दी जा रही है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश लोकेश खंडेलवाल की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

पढ़ेंः राजस्थान हाइकोर्ट को जल्द मिलेंगे 7 नए न्यायाधीश

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार को देखना चाहिए कि राजस्थान जैसे प्रदेश में वृक्षरोपण कितना जरूरी है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि रोड निर्माण के लिए पांच हजार 279 पुराने पेड़ों को हटाना पडेगा. इसमें से 859 पेड़ों को यहां से उखाड़ कर दूसरी जगह ट्रांसप्लांट किया जाएगा. वहीं राज्य सरकार ने काटे जाने वाले पेड़ों के तीन गुणा पेड़ भी लगाने की सहमति दी.

पढ़ेंः 26 जनवरी को जोधपुर वायुसेना स्टेशन से राजपथ के लिए उड़ेंगे लड़ाकू जहाज

जनहित याचिका में कहा गया है कि अलवर के माजरी से हरियाणा की सीमा तक और माजरी से नीमराणा तक हाईवे निर्माण किया जा रहा है. इसके लिए यहां हजारों की संख्या में हरे और पुराने पेड़ काटे जाएंगे. जिसके काटने की नीलामी भी की जा चुकी है. वहीं दूसरी ओर सरकार के पास वृक्षारोपण करने और यहां से हटाए जाने वाले पेड़ों को दूसरी जगह ट्रांसप्लांट करने की कोई योजना ही नहीं है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह माजरी से हरियाणा की सीमा और नीमराणा तक सड़क निर्माण के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या के दस गुणा पेड़ लगाए. वहीं अदालत ने कहा है कि सड़क निर्माण की अनुमति 859 पेड़ों को दूसरी जगह ट्रांसप्लांट करने और उसकी समय-समय पर रिपोर्ट पेश करने के आधार पर ही दी जा रही है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश लोकेश खंडेलवाल की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

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अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार को देखना चाहिए कि राजस्थान जैसे प्रदेश में वृक्षरोपण कितना जरूरी है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि रोड निर्माण के लिए पांच हजार 279 पुराने पेड़ों को हटाना पडेगा. इसमें से 859 पेड़ों को यहां से उखाड़ कर दूसरी जगह ट्रांसप्लांट किया जाएगा. वहीं राज्य सरकार ने काटे जाने वाले पेड़ों के तीन गुणा पेड़ भी लगाने की सहमति दी.

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जनहित याचिका में कहा गया है कि अलवर के माजरी से हरियाणा की सीमा तक और माजरी से नीमराणा तक हाईवे निर्माण किया जा रहा है. इसके लिए यहां हजारों की संख्या में हरे और पुराने पेड़ काटे जाएंगे. जिसके काटने की नीलामी भी की जा चुकी है. वहीं दूसरी ओर सरकार के पास वृक्षारोपण करने और यहां से हटाए जाने वाले पेड़ों को दूसरी जगह ट्रांसप्लांट करने की कोई योजना ही नहीं है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह माजरी से हरियाणा और नीमराणा तक सडक़ निर्माण के लिए काटे जाने वाले पेडों की संख्या के दस गुणा पेड लगाए। वहीं अदालत ने कहा है कि सडक़ निर्माण की अनुमति 859 पेडों को दूसरी जगह ट्रांसप्लांट करने और उसकी समय-समय पर रिपोर्ट पेश करने के आधार पर ही दी जा रही है। मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश लोकेश खंडेलवाल की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए।Body:अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार को देखना चाहिए कि राजस्थान जैसे प्रदेश में वृक्षरोपण कितना जरूरी है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि रोड निर्माण के लिए पांच हजार 279 पुराने पेडों को हटाना पडेगा। इसमें से 859 पेडों को यहां से उखाड कर दूसरी जगह ट्रांसप्लांट किया जाएगा। वहीं राज्य सरकार ने काटे जाने वाले पेडों के तीन गुणा पेड भी लगाने की सहमति दी।
जनहित याचिका में कहा गया है कि अलवर के माजरी से हरियाणा की सीमा तक और माजरी से नीमराणा तक हाईवे निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए यहां हजारों की संख्या में हरे और पुराने पेड काटे जाएंगे। जिसके काटने की नीलामी भी की जा चुकी है। वहीं दूसरी ओर सरकार के पास वृक्षारोपण करने और यहां से हटाए जाने वाले पेडों को दूसरी जगह ट्रांसप्लांट करने की कोई योजना ही नहीं है।Conclusion:
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