जयपुर. पिछले 6 दिनों से सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से संबंद्धित अस्पतालों में रेजिडेंट चिकित्सक कार्य बहिष्कार पर हैं. डॉक्टर्स अभी (Resident Doctors on Strike in Jaipur) भी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. कई बार सरकार के स्तर पर चिकित्सकों की वार्ता भी हुई लेकिन अभी तक सभी वार्ता बेनतीजा साबित हुईं हैं. इस बीच सरकार इन चिकित्सकों को राहत देने की बात कह रही है.
चिकित्सा शिक्षा विभाग का कहना है कि सरकार प्रदेश के विभिन्न जिलों में नए मेडिकल कॉलेज खोल रही है. ऐसे में पीजी पूर्ण कर चुके चिकित्सकों की आवश्यकता है. बॉन्ड नीति में बदलाव करते हुए अब पीजी पूर्ण करने के बाद चिकित्सक को 2 साल सरकारी सेवा में नौकरी देनी होगी या फिर 25 लाख रुपए देने होंगे. ऐसे में सरकार इन नियमों में कुछ राहत देने को राजी हो गई है. लेकिन इसके बावजूद भी चिकित्सक अपनी हड़ताल खत्म नहीं कर रहे.
मामले को लेकर चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया का कहना है कि रेजिडेंट्स के साथ हमारी (Resident Doctors Strike against Bond Policy) लगातार वार्ता हो रही है. वार्ता के दौरान बॉन्ड से जुड़ी परेशानियां सुनी जा रही है. साथ ही अपना पक्ष भी रख रहे हैं. गालरिया का कहना है कि जब चिकित्सक पीजी करने आते हैं तो उनसे बॉन्ड भरवाया जाता है. इसके तहत पीजी पूर्ण होने के बाद उन्हें 5 साल अपनी सेवाएं प्रदेश में देनी होती हैं. लेकिन बॉन्ड की अवधि 5 साल से घटाकर 2 साल किया गया है.
पढ़ें. रेजिडेंट्स जा सकते हैं अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, सरकार की बॉन्ड नीति पर उठे सवाल
वैभव गालरिया का कहना है कि राज्य सरकार प्रत्येक जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने (Relaxation in Bond Policy for Resident Doctors) जा रही है. नेशनल मेडिकल कमिशन के मापदंडों के अनुसार उन मेडिकल कॉलेजों में सीनियर रेजिडेंट और असिस्टेंट प्रोफेसर की जरूरत होती है. ऐसे में पीजी पूर्ण कर चुके चिकित्सकों की सेवाओं की आवश्यकता होती है. यदि पीजी करने के बाद चिकित्सक प्रदेश से बाहर चले जाएंगे तो प्रदेश में चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पाएगा.
वैभव गालरिया का कहना है कि पीजी पूर्ण कर चुके चिकित्सकों ने मांग रखते हुए कहा था कि हमें पीजी लेवल की पोस्ट पर अप्वॉइंट किया जाए. इसके बाद सरकार ने नियमों में शिथिलता देते हुए चिकित्सकों को सीनियर रेजिडेंट, असिस्टेंट प्रोफेसर और फील्ड में जूनियर स्पेशलिस्ट लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं. लेकिन इसके बावजूद चिकित्सक अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं, जबकि सरकार बॉन्ड के तहत राहत देने को तैयार है.
स्पेशलिस्ट की कमी: वहीं, प्रदेश के सीएचसी, पीएचपी और जिला अस्पतालों में अभी भी स्पेशलिस्ट चिकित्सकों के पद खाली पड़े हुए हैं. ऐसे में सरकार का कहना है कि पीजी पूर्ण कर चुके स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की सेवाएं हर जगह मिल सके, इसे लेकर प्रयास किए जा रहे हैं. जबकि सरकार लगभग हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने जा रही है. ऐसे में यदि स्पेशलिस्ट चिकित्सक हमारे पास नहीं होंगे तो मरीजों का इलाज करना मुश्किल हो जाएगा.