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फिर नहीं बिका सरकारी हेलीकॉप्टर अगस्ता...बिकवाली निकाली, किसी फर्म ने नहीं दिखाई रूचि

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Published : Apr 6, 2021, 10:51 PM IST

पिछले करीब 10 साल से सरकारी चेतक बने सरकारी हेलीकॉप्टर अगस्ता को एक बार फिर कोई खरीददार नहीं मिला. रेट काफी कम करने के बावजूद भी किसी फर्म ने रुचि नहीं दिखाई. 6 अप्रैल को नियमों में छूट के बावजूद भी नीलामी में किसी भी फर्म ने खरीदने में रुचि नहीं दिखाई.

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फिर नहीं बिका सरकारी हेलीकॉप्टर अगस्ता

जयपुर. स्टेट हैंगर के नागरिक उड्डयन निदेशालय में एडब्ल्यु-109 ई पॉवर हेलीकॉप्टर की नीलामी के लिए सरकार ने रिजर्व कीमत इस बार 4.5 करोड़ रुपए रखी. पिछले महीने 24 मार्च को नीलामी में कोई खरीददार नहीं आया था. सरकार ने एक बार फिर बिड की तारीख बढ़ाई है. पहले 2 फरवरी को इसकी नीलामी आमंत्रित की गई थी.

पिछले 7 वर्षों में इस हेलीकॉप्टर को 11 बार बेचने का प्रयास किया गया. लेकिन यह नहीं बिक पाया. सरकार ने हेलीकॉप्टर को 30 करोड़ रुपये में खरीदा था. वसुंधरा सरकार ने वर्ष 2005 में हेलीकॉप्टर खरीदा था. 6 अप्रेल को राज्य सरकार ने नीलामी की शर्तों में संशोधन कर एक बार फिर बिकवाली निकाली. लेकिन कोई खरीददार नहीं आया. 7 वर्ष पहले इसके 18 करोड़ रुपये मिल रहे थे. लेकिन नौकरशाही के अड़ंगे के कारण तब नहीं बेचा गया.

इसके बाद 14 करोड़ में नीलामी रखी गई, फिर 12 करोड़ 40 लाख और इसके बाद 11 करोड़ में हेलीकॉप्टर बेचने की कोशिश कई बार हुई. लेकिन सफलता नहीं मिल सकी. साढ़े 4 करोड़ में बेचने को लेकर प्रयास किया,जो सफल नहीं हुआ. मुख्यमंत्री की उड़ान समय पंखे की ब्लेड टूटने के बाद यह हेलीकॉप्टर ग्राउंड पर खड़ा है. सरकार ने साल 2005 में अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से 30 करोड़ रुपए से अधिक में यह पावर हेलीकॉप्टर ए-109 ई खरीदा था.

पढ़ें- न वसुंधरा को पसंद आया और न ही गहलोत के मन को भाया अगस्ता का रास्ता, अब नीलामी में भी नाकामी

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिस हेलीकॉप्‍टर से देश के विभिन्न भागों की यात्रा करते थे, उस अगस्ता हेलीकॉप्टर का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. राजधानी जयपुर में सांगानेर एयरपोर्ट पर वीआईपी स्टेट हैंगर में खड़े इस हेलीकॉप्टर की गत दिनों 3 मार्च को एसेसरीज के साथ मौके पर ही नीलामी आयोजित हुई, लेकिन किसी ने इंटरेस्ट नहीं दिखाया.

2011 में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में इसी हेलीकॉप्टर में सवार होकर जा रहे थे. बीच रास्ते में ही हेलीकॉप्टर की पंखूड़ी का कैप उखड़ने से चूरू जिले के एक गांव में आपात लैंडिंग करानी पड़ी थी. सीएम बाल-बाल बचे थे. कंपनी ने तकनीकी खराबी बताया था. उसके बाद से इसे वीआईपी की यात्रा के लिए बंद कर दिया गया और फिर इसको बेचने का फैसला किया.

जयपुर. स्टेट हैंगर के नागरिक उड्डयन निदेशालय में एडब्ल्यु-109 ई पॉवर हेलीकॉप्टर की नीलामी के लिए सरकार ने रिजर्व कीमत इस बार 4.5 करोड़ रुपए रखी. पिछले महीने 24 मार्च को नीलामी में कोई खरीददार नहीं आया था. सरकार ने एक बार फिर बिड की तारीख बढ़ाई है. पहले 2 फरवरी को इसकी नीलामी आमंत्रित की गई थी.

पिछले 7 वर्षों में इस हेलीकॉप्टर को 11 बार बेचने का प्रयास किया गया. लेकिन यह नहीं बिक पाया. सरकार ने हेलीकॉप्टर को 30 करोड़ रुपये में खरीदा था. वसुंधरा सरकार ने वर्ष 2005 में हेलीकॉप्टर खरीदा था. 6 अप्रेल को राज्य सरकार ने नीलामी की शर्तों में संशोधन कर एक बार फिर बिकवाली निकाली. लेकिन कोई खरीददार नहीं आया. 7 वर्ष पहले इसके 18 करोड़ रुपये मिल रहे थे. लेकिन नौकरशाही के अड़ंगे के कारण तब नहीं बेचा गया.

इसके बाद 14 करोड़ में नीलामी रखी गई, फिर 12 करोड़ 40 लाख और इसके बाद 11 करोड़ में हेलीकॉप्टर बेचने की कोशिश कई बार हुई. लेकिन सफलता नहीं मिल सकी. साढ़े 4 करोड़ में बेचने को लेकर प्रयास किया,जो सफल नहीं हुआ. मुख्यमंत्री की उड़ान समय पंखे की ब्लेड टूटने के बाद यह हेलीकॉप्टर ग्राउंड पर खड़ा है. सरकार ने साल 2005 में अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से 30 करोड़ रुपए से अधिक में यह पावर हेलीकॉप्टर ए-109 ई खरीदा था.

पढ़ें- न वसुंधरा को पसंद आया और न ही गहलोत के मन को भाया अगस्ता का रास्ता, अब नीलामी में भी नाकामी

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिस हेलीकॉप्‍टर से देश के विभिन्न भागों की यात्रा करते थे, उस अगस्ता हेलीकॉप्टर का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. राजधानी जयपुर में सांगानेर एयरपोर्ट पर वीआईपी स्टेट हैंगर में खड़े इस हेलीकॉप्टर की गत दिनों 3 मार्च को एसेसरीज के साथ मौके पर ही नीलामी आयोजित हुई, लेकिन किसी ने इंटरेस्ट नहीं दिखाया.

2011 में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में इसी हेलीकॉप्टर में सवार होकर जा रहे थे. बीच रास्ते में ही हेलीकॉप्टर की पंखूड़ी का कैप उखड़ने से चूरू जिले के एक गांव में आपात लैंडिंग करानी पड़ी थी. सीएम बाल-बाल बचे थे. कंपनी ने तकनीकी खराबी बताया था. उसके बाद से इसे वीआईपी की यात्रा के लिए बंद कर दिया गया और फिर इसको बेचने का फैसला किया.

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