जयपुर. प्रदेश में अभी कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते स्कूल बंद हैं. ऐसे में पाठ्यक्रम लागू नहीं है तो राज्य सरकार ने भी निजी स्कूलों के फीस लेने पर रोक लगाई थी. लेकिन हाईकोर्ट के उस आदेश ने अभिभावकों की नींद उड़ा रखी थी, जिसमें निजी स्कूलों को 70 फीसदी तक ट्यूशन फीस लेने की परमिशन दी गई थी.
इस मामले अभिभावकों ने तो हाईकोर्ट में याचिका डाल ही रखी थी. अब सरकार भी हाईकोर्ट के एकल पीठ के इस फैसले के खिलाफ खंडपीठ में यह बात कहते हुए चली गई कि जब तक स्कूल नहीं खोले जाते, तब तक पाठ्यक्रम लागू नहीं होता है और जब पाठ्यक्रम ही लागू नहीं होगा तो फिर निजी स्कूल फीस कैसे ले सकते हैं.
प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि ऑनलाइन क्लासेज और कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए कितनी फीस देनी चाहिए और ट्यूशन फीस का क्या दायरा हो सकता है. इन सब बातों को लेकर आम लोगों ने सरकार के संज्ञान में यह बात डाली. इसी के चलते सरकार हाईकोर्ट गई है.
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गुरुवार को इस मामले पर हाईकोर्ट में सीजे इंद्रजीत महांति और महेंद्र गोयल की खंडपीठ में सुनवाई हुई, जिसमें निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस लेने पर नो अक्टूबर तक रोक लगा दी है. 9 अक्टूबर तक निजी स्कूल किसी भी बच्चे पर फीस नहीं देने पर न तो उनकी ऑनलाइन क्लासेज रोक सकेंगे ना ही उन पर कोई अन्य कार्रवाई कर सकेंगे.
दरअसल, प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि कोरोना काल में सरकार लोगों के साथ खड़ी है और किसी भी अभिभावक से बिना पढ़े कोई निजी स्कूल फीस नहीं ले सकता है. उन्होंने कहा कि उनके पास यह शिकायतें आ रही थी कि हाईकोर्ट ने जब से ट्यूशन फीस के लिए कहा है, उसके बाद से निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस को भी ट्यूशन फीस में जोड़ रहे थे. इसी के चलते सरकार ने हाईकोर्ट में अपील की है.