बीकानेर. स्वायत शासन विभाग ने मंगलवार को बीकानेर नगर निगम में 17 कमेटियों की घोषणा करने के आदेश दिए. इन कमेटियों में एक को छोड़कर बाकी शेष में कांग्रेस से जुड़े पार्षदों को ही अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं निर्दलीय और भाजपाइयों को सदस्य बनाया गया है. जैसे ही इसकी सूचना बीकानेर पहुंची, नगर निगम में सत्तासीन भाजपा की महापौर सुशीला कंवर सहित भाजपा पार्षदों और भाजपा नेताओं ने विरोध जताया.
दरअसल, बीकानेर नगर निगम में कमेटियों का गठन पूर्व में ही महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने कर दिया था. कमेटी में भाजपा पार्षदों को अध्यक्ष बनाया गया तो वहीं कांग्रेस कमेटी के पार्षदों को भी सदस्य बनाया गया था, लेकिन तब कांग्रेसियों ने इसका विरोध जताया और 90 दिन के कमेटियों का गठन नहीं होने का हवाला देते हुए कमेटियों के गठन को गलत बताया. साथ ही आयुक्त ने भी सरकार को इसकी रिपोर्ट भेज दी.
पढ़ें- भाजपा में पोस्टर-होर्डिंग बना निष्ठा जताने का केंद्र, राजस्थान भाजपा में 2 केंद्रों में बंटे नेता
कांग्रेसियों ने नियमों का हवाला देते हुए कहा था कि नवनिर्वाचित बोर्ड को 90 दिन के भीतर कमेटियों का गठन करने का अधिकार होता है. उसको लेकर निगम बोर्ड की बैठक में इसकी सूचना देनी होती है, लेकिन महापौर ने इसकी पालना नहीं की. पूर्व नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेसी पार्षद जावेद परिहार ने कहा कि 90 दिन में कमेटी का गठन नहीं होने पर सरकार को इसकी घोषणा करने का अधिकार होता है, लेकिन 90 दिन की अवधि खत्म होने के बाद महापौर ने अपने अधिकारों से बाहर जाकर कमेटियों का गठन किया, जो कि पूरी तरह से गलत था. अब सरकार ने इसकी घोषणा कर सही किया है.
वहीं सरकार के इस फैसले के बाद भाजपा ने इसका विरोध करते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है. महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने कहा कि यह एक निर्वाचित शहर की सरकार का अपमान है. वहीं अब अपनी ही पार्टी के महापौर और बोर्ड के पक्ष में आते हुए भाजपा नेताओं ने भी सरकार के इस कदम को गलत ठहराया है. शहर भाजपा अध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह और महामंत्री मोहन सुराणा ने कहा कि सरकार बीकानेर का विकास करती है, इसी के चलते सरकार ने यह तानाशाही पूर्ण आदेश जारी किया है.
पढ़ें- BJP और RLP नेताओं ने की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की सराहना, कहा-जरूरतमंदों को मिलेगा संबल
मंगलवार को स्वायत्त शासन विभाग की निदेशक उज्जवल राठौड़ की ओर से गठित कमेटियों की जारी सूची के बाद अब नगर निगम में महापौर की ओर से गठित कमेटियां भी हैं. ऐसे में अब सवाल ये है कि कौन सी कमेटियां अधिकृत मानी जाएंगी, क्योंकि दोनों ही स्तर पर यह नियमों के तहत बनाई हुई बताई जा रही है. कुल मिलाकर अब सरकार के इस फैसले के बाद एक बार फिर नगर निगम में राजनीतिक नूरा कुश्ती का दौर देखने को मिलेगा.