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हरियाण और आंध्र प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान रोडवेज को सरकार ले सकती है अपने अधीन

राजस्थान रोडवेज (Rajasthan Roadways) को हरियाण और आंध्र प्रदेश की तर्ज पर सरकार अपने अधिन कर सकती है. राजस्थान सरकार भी रोडवेज की आर्थिक तंगी को देखते हुए अपने अधीन करने की कवायद कर रही है

राजस्थान रोडवेज, Rajasthan Roadways
राजस्थान रोडवेज
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Published : Jul 3, 2021, 7:52 PM IST

जयपुर. राजस्थान परिवहन मंत्री (Rajasthan Transport Minister) प्रतापसिंह खाचरियावास (Pratap Singh Khachariyawas) इन दिनों परिवहन विभाग को लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं. खाचरियावास लगातार परिवहन और रोडवेज अधिकारियों के साथ बैठक भी कर रहे हैं. जल्द ही राजस्थान रोडवेज को भी सरकार के बेड़े में शामिल भी किया जा सकता है.

पढ़ेंः Weather Update: प्रदेश में 10 जुलाई के बाद ही सक्रिय होगा मानसून, उत्तरी राजस्थान में हो सकती है हल्की बारिश

पंजाब और हरियाणा सरकार ने रोडवेज बसों को सरकार में शामिल किया था. उसके बाद अब आंध्र-प्रदेश सरकार ने भी कॉरपोरेशन को बंद कर रोडवेज को अपने अधीन कर लिया है. अब राजस्थान सरकार भी बसों का संचालन करने में और कर्मचारियों के हितों में फैसला कर सकेगी.

राजस्थान रोडवेज को सरकार ले सकती है अपने अधीन

राजस्थान सरकार भी रोडवेज की आर्थिक तंगी को देखते हुए अपने अधीन करने की कवायद कर रही है. सरकार के अधीन होने के बाद राजस्थान रोडवेज को घाटे से उभारा जा सकेगा. साथ ही उसका सफल संचालन भी हो सकेगा. राजस्थान रोडवेज की स्थापना 1 अक्टूबर 1964 में हुई थी. राजस्थान रोडवेज का संचालन फिलहाल कॉरपोरेशन से हो रहा है. रोडवेज संचालन अवधि के बाद ही लगातार घाटे में चल रही है. वर्तमान में रोडवेज करीब 5 हजार करोड़ रुपए के घाटे में चल रही है.

सरकार में शामिल होने से यह होगा फायदा

जानकारी के अनुसार विभिन्न मांगों को लेकर कर्मचारी यूनियनों की ओर से आए दिन हड़ताल करते हुए बसों का संचालन बंद कर दिया जाता है. इसके चलते रोडवेज को नुकसान के साथ जनता को भारी परेशानी का सामना भी करना पड़ता है. सरकार के बेड़े में शामिल होने के बाद यह परेशानी दूर हो जाएगी. कर्मचारियों के वेतन विसंगति के साथ सभी मांगों का फैसला सरकार खुद ले सकेगी.

पढ़ेंः High Court Hearing : कटऑफ से ज्यादा अंक, फिर भी नहीं दी नियुक्ति...ईसीजी टेक्नीशियन भर्ती-2020 का मामला

गौरतलब है कि पिछले दिनों निजीकरण के विरोध और अन्य मांगों को लेकर कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया था. इसके बाद परिवहन मंत्री ने यूनियन के पदाधिकारियों से वार्ता कर मामला शांत कराया था. लोक परिवहन बसों को रोडवेज के बस स्टैंड के अंदर से चलाने की योजना बनाई गई थी. इसका भी भारी विरोध प्रदर्शन किया गया था इसके बाद सरकार ने इस आदेश को वापस लिया था.

जानिए कौन से प्रदेश में कितनी बसें और कितने कर्मचारी

हरियाणा बसें 3900 कर्मचारी 19 हजार
आंध्र प्रदेश बसें 12000 कर्मचारी 50 हजार से अधिक
राजस्थान बसें 4000 कर्मचारी 13 हजार


कर्मचारियों को यह होगा फायदा

रोडवेज कॉरपोरेशन को सरकार अपने अधीन करने के साथ ही रोडवेज के कर्मचारियों को भी इसका फायदा सीधे तौर पर मिलेगा. जहां एक तरफ रोडवेज कर्मचारी अपनी तनख्वाह और पेंशन को लेकर जो आंदोलन करते हैं वह खत्म हो जाएगा. साथ ही सरकार की ओर से जो कॉरपोरेशन को अनुदान दिया जाता है वह भी खत्म हो जाएगा. सीधे तौर पर सरकार ही रोडवेज के कर्मचारियों के साथ डील कर सकेगी जिससे रोडवेज की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.

जयपुर. राजस्थान परिवहन मंत्री (Rajasthan Transport Minister) प्रतापसिंह खाचरियावास (Pratap Singh Khachariyawas) इन दिनों परिवहन विभाग को लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं. खाचरियावास लगातार परिवहन और रोडवेज अधिकारियों के साथ बैठक भी कर रहे हैं. जल्द ही राजस्थान रोडवेज को भी सरकार के बेड़े में शामिल भी किया जा सकता है.

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पंजाब और हरियाणा सरकार ने रोडवेज बसों को सरकार में शामिल किया था. उसके बाद अब आंध्र-प्रदेश सरकार ने भी कॉरपोरेशन को बंद कर रोडवेज को अपने अधीन कर लिया है. अब राजस्थान सरकार भी बसों का संचालन करने में और कर्मचारियों के हितों में फैसला कर सकेगी.

राजस्थान रोडवेज को सरकार ले सकती है अपने अधीन

राजस्थान सरकार भी रोडवेज की आर्थिक तंगी को देखते हुए अपने अधीन करने की कवायद कर रही है. सरकार के अधीन होने के बाद राजस्थान रोडवेज को घाटे से उभारा जा सकेगा. साथ ही उसका सफल संचालन भी हो सकेगा. राजस्थान रोडवेज की स्थापना 1 अक्टूबर 1964 में हुई थी. राजस्थान रोडवेज का संचालन फिलहाल कॉरपोरेशन से हो रहा है. रोडवेज संचालन अवधि के बाद ही लगातार घाटे में चल रही है. वर्तमान में रोडवेज करीब 5 हजार करोड़ रुपए के घाटे में चल रही है.

सरकार में शामिल होने से यह होगा फायदा

जानकारी के अनुसार विभिन्न मांगों को लेकर कर्मचारी यूनियनों की ओर से आए दिन हड़ताल करते हुए बसों का संचालन बंद कर दिया जाता है. इसके चलते रोडवेज को नुकसान के साथ जनता को भारी परेशानी का सामना भी करना पड़ता है. सरकार के बेड़े में शामिल होने के बाद यह परेशानी दूर हो जाएगी. कर्मचारियों के वेतन विसंगति के साथ सभी मांगों का फैसला सरकार खुद ले सकेगी.

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गौरतलब है कि पिछले दिनों निजीकरण के विरोध और अन्य मांगों को लेकर कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया था. इसके बाद परिवहन मंत्री ने यूनियन के पदाधिकारियों से वार्ता कर मामला शांत कराया था. लोक परिवहन बसों को रोडवेज के बस स्टैंड के अंदर से चलाने की योजना बनाई गई थी. इसका भी भारी विरोध प्रदर्शन किया गया था इसके बाद सरकार ने इस आदेश को वापस लिया था.

जानिए कौन से प्रदेश में कितनी बसें और कितने कर्मचारी

हरियाणा बसें 3900 कर्मचारी 19 हजार
आंध्र प्रदेश बसें 12000 कर्मचारी 50 हजार से अधिक
राजस्थान बसें 4000 कर्मचारी 13 हजार


कर्मचारियों को यह होगा फायदा

रोडवेज कॉरपोरेशन को सरकार अपने अधीन करने के साथ ही रोडवेज के कर्मचारियों को भी इसका फायदा सीधे तौर पर मिलेगा. जहां एक तरफ रोडवेज कर्मचारी अपनी तनख्वाह और पेंशन को लेकर जो आंदोलन करते हैं वह खत्म हो जाएगा. साथ ही सरकार की ओर से जो कॉरपोरेशन को अनुदान दिया जाता है वह भी खत्म हो जाएगा. सीधे तौर पर सरकार ही रोडवेज के कर्मचारियों के साथ डील कर सकेगी जिससे रोडवेज की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.

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