जयपुर/भोपाल. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली पहली सरकार के पहले कार्यकाल में सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्री का पद संभालते हुए गहरी छाप छोड़ी. उन्होंने संकट में फंसे न सिर्फ भारतीयों की मदद की बल्कि विदेशियों को भी मौत के मुंह से निकाला. मूक-बधिर गीता को पाकिस्तान से भारत वापस लाने में भी सुषमा स्वराज की सबसे बड़ी भूमिका रही है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों के बाद गीता 28 अक्टूबर 2015 को पाकिस्तान से भारत आई थी. कराची में ईधी फाउंडेशन गीता की देखभाल कर रही थी.
गीता जब महज 10-11 साल की थी, तब भटककर पाकिस्तान जा पहुंची थी. भारत पाकिस्तान सीमा के पास पाकिस्तान रेंजर्स को मिलीं थीं. इसके बाद उन्होंने दस साल से ज़्यादा पाकिस्तान में गुज़ारे. पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग ने जब गीता की जानकारी विदेश मंत्रालय को दी तो सुषमा स्वराज ने फौरन गीता को भारत लाने की के लिए सभी औपचारिकता पूरी करने को कहा.
गीता के भारत लौटने के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर सुषमा स्वराज ने उन्हें 'हिंदुस्तान की बेटी' कहा था. सुषमा स्वराज ने गीता की पढ़ाई और ट्रेनिंग हासिल करने के लिए मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में गूंगे-बहरे बच्चों के एक संस्थान में भेजवाया. विदेश मंत्री रहते हुए एक बार सुषमा स्वराज ने गीता के परिजनों से मिलाने की भी खूब कोशिश की, उन्होंने कहा था-मैं जब भी गीता से मिलती हूं वह शिकायत करती है और कहती है कि मैडम किसी तरह मेरे माता-पिता को तलाशिये.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गीता को उसके माता-पिता से मिलवाने में सहयोग करने के लिए एक लाख रुपए इनाम की घोषणा की था. सुषमा ने एक वीडियो अपील में कहा कि किसी लड़की को उसके माता-पिता से मिलवाने से बेहतर काम कुछ नहीं हो सकता. उन्होंने लोगों से अपील की कि करीब 12 वर्ष पहले लापता गीता के परिवार के बारे में जानने वाले लोग आगे आएं. सुषमा ने अपील करते हुए कहा था कि जो भी गीता के मां बाप हों सामने आएं. उन्होंने कहा था कि मैं इस बेटी को बोझ नहीं बनने दूंगी. इसकी शादी, पढ़ाई की सारी जिम्मेदारी वो उठाएंगी.
कैसे सामने आया गीता का मामला?
- भारत में गीता के वकील मोमिन मलिक के मुताबिक 18 फरवरी 2007 को पानीपत में समझौता ब्लास्ट हुए था. जो लोग उसमें मरे थे, उनके मुआवजे का केस उन्होंने लड़ा था.
- पाकिस्तान के ऐसे कई लोग थे जो इस हादसे का शिकार हुए थे. इसलिए मोमिन को पाकिस्तान जाना पड़ा था. इसी दौरान उन्हें गीता के बारे में पता चला.
- पाकिस्तान के सोशल एक्टिविस्ट अंसार बर्नी ने मोमिन को बताया था कि एक भारतीय बच्ची ईधी फाउंडेशन में है, जो बोल नहीं सकती.
गीता को खोजने के लिए क्या किया?
- 22 अक्टूबर, 2012 को अंसार बर्नी के भारत आने पर हमने ज्वॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. उसी दिन गीता का मामला पहली बार उठा था. इस दौरान पंजाब के सोशल एक्टिविस्ट एचएस पवार भी मौजूद थे.
- मोमिन मलिक ने ऐलान किया था कि जो आदमी भी गीता के बारे में बताएगा उसे एक लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा. इसके बाद मोमिन मलिक ने पाकिस्तान हाईकमीशन को गीता को लेकर लेटर भेजा था.
- 7 जनवरी, 2015 को हाईकमीशन से मिला और सोशल साइट पर गीता की स्टोरी डाल दी.
कौन है गीता ?
- गीता 14 साल तक पाकिस्तान में रही. गलती से सीमा पार करने के बाद उसे पाकिस्तान के पंजाब में रेंजर्स ने देखा था.
- रेंजर्स पहले उसे लाहौर के ईदी फाउंडेशन में ले गए थे. बाद में कराची में इसी संगठन के एक शेल्टर होम में उसे भेज दिया गया.
- कराची में ‘मदर ऑफ पाकिस्तान' के नाम से मशहूर बिलकिस ईदी ने इस लड़की का नाम गीता रखा.