जयपुर. साइकिल की रफ्तार वैसे तो धीमी ही होती है, लेकिन अब यूं कहें कि रेंग रही है तो शायद अतिशयोक्ति नहीं होगी. सरकारी स्कूलों में 9वीं कक्षा में प्रवेश लेने वाली बेटियों को मिलने वाली साइकिल अभी तक बेटियों के हाथों से दूर है. कारण कुछ सरकारी तंत्र तो वहीं बांटने की तिथि घोषित नहीं होने की वजह से साइकिलें धूल फांक रहीं हैं.
2014 में हुई थी योजना की शुरुआत
जिले के सरकारी स्कूलों में बेटियों को साइकिल नहीं मिलने से सरकारी तंत्र की पोल खुलती दिख रही है. ऐसा लगता है जैसे साइकिल वितरण को लेकर शिक्षा महकमा साइकिल पर ही सवार होकर काम कर रहा हो. वहीं, सरकार की ओर से 2014 में इस योजना की शुरूआत की गई थी.
बालिका शिक्षा को मिल सके बढ़ावा
बता दें कि तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने इस योजना की शुरुआत की थी ताकि पांच किलोमीटर दूर से आने वाली बेटियां आसानी से स्कूल तक पहुंच सके और बालिका शिक्षा को भी बढ़ावा मिल सके. लेकिन, मौजूदा हालात देखें तो जिम्मेदार भी इसमें कम ही रूचि दिखा रहें हैं. उधर, शिक्षकों ने इसको लेकर मांग रखी है कि जल्द से जल्द साइकिलों का वितरण शुरू किया जाए.
पिछले वर्षों के मुकाबले साइकिल अभी तक स्टूडेंट के हाथों से दूर है. बता दें कि एक अरब 17 करोड़ से ज्यादा का बजट इस पर खर्च हो रहा है. जो कि पिछले वर्ष एक अरब 14 करोड़ के करीब था. हालांकि शुरूआती वर्ष 2014-15 में महज 70 करोड़ रुपए इस पर खर्च हुए थे. तब साइकिल की कीमत 2 हजार 766 रूपए थी. जो कि अब बढ़कर 3 हजार 346 रुपए हो गई है. हालांकि पिछले वर्ष रंग बदलने से साइकिल इससे ज्यादा महंगी हुई थी.
साइकिलों का रगं भगवा से हुआ काला
फिलहाल नोडल सेंटर पर साइकिल पहुंच गई हैं. बीजेपी राज में साइकिल भगवा रंग की थी. लेकिन, राजस्थान में कांग्रेस की सरकार आते ही साइकिल का रंग भगवा से काला कर दिया गया. वहीं, साढ़े तीन लाख साइकिल की खरीदी भी हो चुकी है. साइकिल बनकर तैयार हैं, लेकिन अभी तक विभाग इसमें सुस्ती साधे हुआ है.
वहीं, बेटियों को साइकिल का इंतजार है और विभागीय अधिकारियों को आदेशों का इंतजार है. यहां तक कि कुछ सेंटर पर तो बारिश की वजह से साइकिल जंग भी खाने लगी है. अब देखना होगा कि विभाग योजना को लेकर अपनी कुंभकरण की नींद से कब जागता है.