जयपुर. भरतपुर-धौलपुर जिले के जाट समाज को केंद्र की ओबीसी वर्ग सूची में शामिल करने को लेकर राज्य सरकार केंद्र सरकार को चिट्ठी लिख दी है. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने यह अभिशंषा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग को की है. चिट्टी लिखने के साथ ही राज्य सरकार ने पिछले दिनों जाट समाज से किया हुआ वादा पूरा किया.
दरअसल, भरतपुर-धौलपुर जाट समाज आरक्षण की मांग को लेकर जयपुर भरतपुर हाईवे के पास खेड़ली मोड़ पर महापड़ाव की घोषणा के बाद सरकार ने केंद्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में सम्मिलित करने को लेकर केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी है.
भरतपुर-धौलपुर के जाट समाज को केंद्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल करने को लेकर जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने 25 दिसम्बर से आंदोलन की चेतावनी दी थी. संघर्ष समिति की चेतावनी के बाद सरकार ने प्रतिनिधि मंडल को वार्ता के लिए बुलाया था, जिसमें सामाजिक न्याय अधिकारिता, गृह विभाग, कार्मिक विभाग के अधिकारियों के साथ 4 घंटे से भी अधिक वार्ता हुई.
वार्ता में तीन बिंदुओं में से दो पर तो सहमति बन गई, लेकिन एक प्रमुख मांग केन्द्र को सिफारिशी चिट्टी लिखने को लेकर सहमति नहीं बनी थी. इस पर जाट समाज असंतुष्ट हो गया था.
वार्ता के बाद जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष नेमसिंह आर पार की लड़ाई का एलान करते हुए 25 दिसम्बर को महाराजा सूरजमल की जयंती पर समाज खेड़ली मोड़ पर महापड़ाव की घोषणा कर दी थी. इसके बाद सरकार बैक फुट आई और जाट आरक्षण संघर्ष समिति को 28 दिसम्बर को चिट्ठी लिखने का आश्वासन दिया. जिसके बाद संघर्ष समिति ने 3 दिन के लिए महापड़ाव को स्थगित कर दिया था.
हालांकि सोमवार को सचिवालय कर्मचारियों के आंदोलन के बीच चिट्ठी नहीं लिखी गई थी, लेकिन बुधवार को सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने यह अभिशंषा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग को कर दी.
इस पर जाट नेताओं का कहना है कि आरक्षण की आधी लड़ाई जीत चुके हैं. अब केंद्र सरकार में पैरवी करनी होगी, जिससे दोनों जिलों के जाटों को जल्दी ही आरक्षण का लाभ मिल सके.
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गौरतलब है कि राजस्थान में 33 जिले हैं, जिनमें 31 जिलों के जाटों को केंद्र में आरक्षण का लाभ प्राप्त है, लेकिन भरतपुर-धौलपुर जिलों के जाटों को केंद्र में आरक्षण से वंचित रखा गया है. इसके अलावा इन दोनों जिलों के जाटों को 2015 में राज्य में भी आरक्षण से वंचित कर दिया था, लेकिन सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर वापस 2017 में इन दोनों जिलों के जाटों को राज्य में आरक्षण का लाभ प्राप्त हुआ और उसके बाद अब केंद्र सरकार में आरक्षण की मांग जा रही है.
भरतपुर धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नैन सिंह ने बताया कि 18 अक्टूबर को गांव पथेना में केंद्र में दोनों जिलों के जाटों का आरक्षण की मांग के लिए महापंचायत हुई थी. उसके बाद विगत 25 दिसंबर को नेशनल हाईवे के पास महापड़ाव कर आंदोलन शुरू करने का बीड़ा उठाया था, लेकिन उससे एक दिन पहले राज्य सरकार ने जयपुर बुलाकर जाट नेताओं से वार्ता की और सकारात्मक रही. जिसके बाद बुधवार को राज्य सरकार ने अपना वादा निभाते हुए केंद्र सरकार को सिफारिश चिट्ठी भेज दी है. जिसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य सरकार को धन्यवाद दिया जा रहा है और अब आगे की लड़ाई केंद्र सरकार के साथ लड़ी जाएगी.
वहीं जिला कलेक्टर नथमल डिडेल ने बताया कि भरतपुर-धौलपुर जिले के जाटों को केंद्र में ओबीसी वर्ग में आरक्षण की मांग चल रही थी. जिसके लिए राज्य सरकार ने जाट नेताओं से वार्ता की और उनकी तीनों मांगों पर सकारात्मक वार्ता हुई.