जयपुर. प्रदेश में बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार ऐसे भूखंड जिनके पट्टे जारी नहीं हुए हैं. उन पर निर्माण नहीं किया जा सकता और यदि निर्माण किया जाता है तो वो अवैध श्रेणी में आते हैं. नगरीय निकाय और विकास प्राधिकरणों को ऐसे निर्माणों पर रोक लगाने का अधिकार प्राप्त है.
इन नियमों के बावजूद प्रदेश में लगभग 1 लाख 4 हजार ऐसे भूखंड हैं, जिनके भूखंड धारियों ने पट्टे नहीं लिए हैं. इन पर अब नगरीय निकाय सीलिंग और कोर्ट में चालान पेश करने जैसी कार्रवाई करेंगे. हाल ही में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने ये संकेत दिए हैं कि कॉलोनी का नियमन होने के बावजूद भूखंड के पट्टे नहीं लेने वालों पर सख्ती बरती जाएगी.
पहले इन्हें नोटिस देकर चेताया जाएगा और फिर सीलिंग या फिर कोर्ट में चालान पेश करने की कार्रवाई की जाएगी. धारीवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि निकायों के पास ऐसे भूखंड पर बन रहे निर्माण को हटाने और सील करने के अधिकार हैं. ऐसे भूखंड धारियों से निर्धारित विकास शुल्क और दूसरे चार्ज नहीं मिलते. इससे कॉलोनी में समय पर मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाती. ऐसे भूखंडधारी विकास में बाधक हैं.
पढ़ें : राजेंद्र राठौड़ ने लगाया राज्यपाल के अधिकारों के हनन का आरोप, विधानसभा सचिव को फिर लिखा पत्र...
आपको बता दें कि प्रशासन शहरों के संग अभियान में राज्य सरकार 10 लाख से ज्यादा पट्टे वितरित करने का लक्ष्य लेकर चल रही है. खाली भूखंड पर निर्माण करने से पहले निर्माण स्वीकृति, लीज राशि जमा कराने से लेकर कई प्रक्रिया अपनानी होगी. ये सभी प्रक्रियाएं अभियान का अहम हिस्सा हैं. ऐसे में सरकार की मंशा ये भी है कि जिन भूखंडों के पट्टे नहीं लिए गए हैं, अभियान में उन्हें भी पट्टे जारी किए जाएं.