जयपुर. प्रदेश की बालिकाओं, किशोरियों और महिलाओं को मासिक धर्म के प्रति जागरूक करने और हाइजीन का मर्म समझाने के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार ने महत्वपूर्ण आईएम शक्ति उड़ान योजना (Iam Shakti Udaan Yojna) को लॉन्च किया. इस योजना के तहत करीब सवा करोड़ महिलाओं और किशोरियों को हर महीने निःशुल्क सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया. योजना अप्रैल से लागू होनी थी लेकिन आनन फानन में शुरू की गई योजना विभागों के चक्कर में अटक के लटक गई है. महिला अधिकारिता समेकित बाल विकास, आरएमएससीएल (Rajasthan Medical Services Corporation Limited), शिक्षा के आपसी समन्वय की कमी के चलते योजना की जागरुकता सर्वे, निःशुल्क सेनेटरी नैपकिन की उपलब्धता और सप्लाई नहीं हो रही है. हालात यह है कि अभी तक तो टेंडर प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है.
मुख्यमंत्री उड़ान योजना राजस्थान क्या है ?: प्रदेश की गहलोत सरकार ने तीसरी वर्षगांठ से ठीक पहले 19 नवंबर 2021 से भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की जयंती (Indira Gandhi Birth Anniversary) पर महिला और छात्राओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए उड़ान योजना को शुरू किया. यह योजना पहले सिर्फ स्कूल की छात्राओं को लाभ देती थी, लेकिन इस योजना का दायरा बढ़ाते हुए राज्य की सभी महिलाओं को जोड़ा गया. करीब सवा करोड़ किशोरियों छात्राओं और महिलाओं को इसी योजना के दायरे में लाते हुए लॉन्च किया गया. जिसका बजट कुल 200 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया और इसे अधिक से अधिक प्रचार प्रसार के लिए राज्य स्तर पर दो, जिला स्तरीय पर एक ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने का एलान किया.
Hygiene की महत्ता बताना मकसद: महिला अधिकारिता विभाग की मंत्री ममता भूपेश (Udaan Scheme in Rajasthan) इस स्कीम के पीछे का मकसद बताती हैं. कहती हैं- योजना का मुख्य लक्ष्य महिलाओं को शारीरिक स्वच्छता के प्रति जागरूक करना है. अक्सर देखा जाता है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य और शारीरिक स्वच्छता के प्रति लापरवाह होती हैं, विशेषकर के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं इस ओर ध्यान नहीं देतीं. गहलोत सरकार ने राज्य की सभी महिलाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से उड़ान योजना की शुरुआत की जिसमें सभी महिलाओं को निशुल्क सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराना ध्येय हैं. इससे उनका बहुत से रोगों से बचाव होगा साथ ही उनका स्वास्थ्य बेहतर होगा.
डाटा के मामले में फिसड्डी विभाग: महिला अधिकारिता विभाग योजना की पूरी मॉनिटरिंग कर रहा है, लेकिन विभाग के पास सप्लाई सिस्टम को लेकर कोई जानकारी नहीं है. समेकित बाल विकास विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग के पास भी सप्लाई कब-कैसे पहुंचेगी कोई जानकारी नहीं. विभागों में समन्वय के अभाव में योजना में कई समस्याएं आ रही हैं. स्कूल कॉलेज में छात्रों की संख्या कितनी है इसका डाटा अभी शिक्षा विभाग ने नहीं दिया है. ग्रामीण क्षेत्रों में कितनी महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन चाहिए इसका आंकड़ा भी अभी तक आंगनबाड़ी केंद्रों से नहीं आया है. मंत्री भूपेश भी मानती हैं कि इस योजना के क्रियान्वयन में कई विभाग हैं जिससे थोड़ा कंफ्यूजन है. ड्यूटी को लेकर सबका स्टैंड क्लियर करती हैं. बताती हैं कि फील्ड में सेनेटरी नैपकिन पहुंचाने की जिम्मेदारी महिला अधिकारिता विभाग के पास है जबकि सेनेटरी पैड खरीदने की जिम्मेदारी मेडिकल विभाग के पास है. इस योजना का लाभ स्कूल और कॉलेज की बच्चियों को भी देना है ऐसे में शिक्षा विभाग भी इससे जुड़ा है. सभी अपने अपने स्तर पर इस योजना को सफल बनाने में लगे हैं. भरोसा दिलाती हैं कि जल्द ही अच्छे परिणाम सामने आएंगे.
मंत्री के दावों की पोल खोलते हैं ये तथ्य: सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा सिंह कहती हैं कि लड़कियों में किशोरावस्था में माहवारी आना उनके मातृत्व की ओर बढ़ने की प्राकृतिक प्रक्रिया है. इस दौरान उन्हें उचित मार्गदर्शन के साथ ही स्वच्छ सेनेटरी पैड मिलना एक जरूरत.पैड का प्रयोग करते हुए आज भी कई महिलाएं काफी लापरवाही बरतती हैं. ख़ासकर गांव और कच्ची बस्तियों में रहने वाली बालिकाएं और महिलाएं सेनेटरी पैड का प्रयोग नहीं करतीं. इनको स्कीम का लाभ दिलाना जरूरी था. सरकार ने घोषणा की थी कि राज्य की सभी किशोरियों , महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराया जाएगा लेकिन धरातल पर अभी इसका कोई ज्यादा लाभ नहीं दिखा.
वसुधा जन विकास संस्थान निर्देशक मोना शर्मा जब ये कहती हैं कि ग्रामीण इलाकों में, कच्ची बस्तियों में अब भी माहवारी पर खुल कर बात करना अशोभनीय माना जाता है तो समझ में आ जाता है कि सरकार अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाई है (Iam Shakti Udaan Yojna). वो नहीं समझा पाई है कि इन दिनों में किस तरह की चीजों से दूरी बनानी चाहिए और किन चीजों को अपनाना चाहिए.