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एक साल से लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं, लेकिन गहलोत सरकार ला रही 'लोकायुक्त संशोधन विधेयक'

राजस्थान में करीब 1 साल से खाली चल रहे लोकायुक्त के पद पर भले ही सरकार नियुक्ति करने के मूड में नहीं है, लेकिन लोकायुक्त विधेयक में संशोधन करने की तैयारी कर रही है. गहलोत सरकार 14 अगस्त से शुरू होने वाले मानसून सत्र में लोकायुक्त संशोधन विधेयक लेकर आ रही है. जिसमें राज्य निर्वाचन आयोग को लोकायुक्त के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव होगा.

लोकायुक्त संशोधन विधेयक,Lokayukta Amendment Bill
लोकायुक्त संशोधन विधेयक
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Published : Aug 12, 2020, 5:37 PM IST

Updated : Aug 12, 2020, 10:55 PM IST

जयपुर. राजस्थान में 1 महीने से चल रही सियासी उठापटक के बीच 14 अगस्त से मॉनसून सत्र शुरू होने जा रहा है. हालांकि प्रदेश की गहलोत सरकार पहले इस मानसून सत्र में बहुमत साबित करने की तैयारी में थी, लेकिन नाराज विधायकों के वापस लौटने के बाद सरकार को बहुमत साबित करने की अग्निपरीक्षा से नहीं गुजरना पड़ेगा.

लोकायुक्त संशोधन विधेयक

ऐसे में अब प्रदेश की गहलोत सरकार इस मानसून सत्र में कई संशोधन विधेयक लेकर आने की तैयारी कर रही है जिसमें लोकायुक्त संशोधन विधेयक लाया जा रहा है. जिसके तहत राज्य निर्वाचन आयोग को लोकायुक्त के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव पेश किया जाएगा. राज्य सरकार ने इसके लिए सभी तैयारी पूरी कर ली है. लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन कर विधानसभा सत्र में संशोधन विधेयक लाया जाएगा इसके लिए विधि विभाग से परीक्षण के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फाइल को मंजूरी दे दी है.

पढ़ेंः 5 माह बाद CM गहलोत पहुंचे जोधपुर, पाक विस्थापितों की सुनी समस्याएं

इसके लिए लोकायुक्त अधिनियम 1973 की धारा 20 में संशोधन किया जाएगा. केबिनेट ने सर्कुलेशन के जरिए संशोधन विधेयक को अनुमोदन कर दिया गया है. अब 14 अगस्त को शुरू हो रहे मानसून सत्र में यह संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा. दरअसल प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद अध्यादेश के जरिए तत्कालीन लोकायुक्त एसएस कोठारी को हटा दिया गया था. उसके बाद से लोकायुक्त का पद खाली चल रहा है.

पढ़ेंः गहलोत कैंप के विधायकों ने गुनगुनाया गाना "ऐसे नजरें फेर ली मतलब निकल जाने के बाद", आखिर क्या है मतलब?

इस पद को भरने के लिए अभी तक राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस तैयारी नहीं की गई है. लोकायुक्त का चयन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी करती है. जिसमें नेता प्रतिपक्ष होते हैं. उनकी सहमति से ही एक नाम को फाइल किया जाता है. लोकायुक्त संस्था का सृजन जनसाधारण को स्वच्छ प्रशासन प्रदान करने के लिए किया गया है.

पढ़ेंः अब गुटबाजी की आग भाजपा में...जिसे बुझाने के लिए आएंगे केंद्रीय मंत्री और तीन पदाधिकारी

इसमें लोकायुक्त की ओर से मंत्रियों, सचिवों, विभागाध्यक्ष, लोकसेवकों, जिला परिषद के प्रमुख और उप प्रमुखों, पंचायत समिति के प्रधान, उप प्रधान, जिला परिषदों और पंचायत समितियों की स्थाई समितियों के अध्यक्षों, नगर निगम के महापौर, उपमहापौर, स्थानीय प्राधिकरण, नगर परिषद और नगर पालिकाओं, नगर विकास न्यास के अध्यक्षों और उपाध्यक्ष, राजकीय कंपनियों, नियमों और मंडलों के अध्यक्ष अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध शिकायतों की जांच की जाती है.

इनको पहले से ही लोकायुक्त दायरे के बाहर रखा हैः

- हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायिक सेवा के सदस्य

- भारत में किसी भी न्यायालय के अधिकारी और कर्मचारी

- मुख्यमंत्री महालेखाकार राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य

- राजस्थान विधानसभा सचिवालय के अधिकारी और कर्मचारी

जयपुर. राजस्थान में 1 महीने से चल रही सियासी उठापटक के बीच 14 अगस्त से मॉनसून सत्र शुरू होने जा रहा है. हालांकि प्रदेश की गहलोत सरकार पहले इस मानसून सत्र में बहुमत साबित करने की तैयारी में थी, लेकिन नाराज विधायकों के वापस लौटने के बाद सरकार को बहुमत साबित करने की अग्निपरीक्षा से नहीं गुजरना पड़ेगा.

लोकायुक्त संशोधन विधेयक

ऐसे में अब प्रदेश की गहलोत सरकार इस मानसून सत्र में कई संशोधन विधेयक लेकर आने की तैयारी कर रही है जिसमें लोकायुक्त संशोधन विधेयक लाया जा रहा है. जिसके तहत राज्य निर्वाचन आयोग को लोकायुक्त के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव पेश किया जाएगा. राज्य सरकार ने इसके लिए सभी तैयारी पूरी कर ली है. लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन कर विधानसभा सत्र में संशोधन विधेयक लाया जाएगा इसके लिए विधि विभाग से परीक्षण के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फाइल को मंजूरी दे दी है.

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इसके लिए लोकायुक्त अधिनियम 1973 की धारा 20 में संशोधन किया जाएगा. केबिनेट ने सर्कुलेशन के जरिए संशोधन विधेयक को अनुमोदन कर दिया गया है. अब 14 अगस्त को शुरू हो रहे मानसून सत्र में यह संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा. दरअसल प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद अध्यादेश के जरिए तत्कालीन लोकायुक्त एसएस कोठारी को हटा दिया गया था. उसके बाद से लोकायुक्त का पद खाली चल रहा है.

पढ़ेंः गहलोत कैंप के विधायकों ने गुनगुनाया गाना "ऐसे नजरें फेर ली मतलब निकल जाने के बाद", आखिर क्या है मतलब?

इस पद को भरने के लिए अभी तक राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस तैयारी नहीं की गई है. लोकायुक्त का चयन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी करती है. जिसमें नेता प्रतिपक्ष होते हैं. उनकी सहमति से ही एक नाम को फाइल किया जाता है. लोकायुक्त संस्था का सृजन जनसाधारण को स्वच्छ प्रशासन प्रदान करने के लिए किया गया है.

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इसमें लोकायुक्त की ओर से मंत्रियों, सचिवों, विभागाध्यक्ष, लोकसेवकों, जिला परिषद के प्रमुख और उप प्रमुखों, पंचायत समिति के प्रधान, उप प्रधान, जिला परिषदों और पंचायत समितियों की स्थाई समितियों के अध्यक्षों, नगर निगम के महापौर, उपमहापौर, स्थानीय प्राधिकरण, नगर परिषद और नगर पालिकाओं, नगर विकास न्यास के अध्यक्षों और उपाध्यक्ष, राजकीय कंपनियों, नियमों और मंडलों के अध्यक्ष अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध शिकायतों की जांच की जाती है.

इनको पहले से ही लोकायुक्त दायरे के बाहर रखा हैः

- हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायिक सेवा के सदस्य

- भारत में किसी भी न्यायालय के अधिकारी और कर्मचारी

- मुख्यमंत्री महालेखाकार राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य

- राजस्थान विधानसभा सचिवालय के अधिकारी और कर्मचारी

Last Updated : Aug 12, 2020, 10:55 PM IST
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