जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक बड़ी पहल की है. राज्य सरकार ने प्रदेश की हर ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अलग से पहचान पत्र बनाएगी, ताकि समुदाय के लोगों को सरकारी नौकरी के साथ-साथ सभी सरकारी योजनाओं को लाभ मिलने में आसानी हो सके.
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि राज्य की कार्मिक विभाग के साथ मिलकर नियम बनाए जाएंगे, ताकि सरकारी नौकरी में भी इस समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित हो सके. उन्होंने बताया कि राज्य में एकमात्र ट्रांसजेंडर को महिला कोटे से पुलिस में सरकारी नौकरी मिली है. उन्होंने कहा कि इस समुदाय के लिए अलग से पहचान पत्र हो ताकि सरकारी भर्तियों के साथ सरकारी योजनाओं का भी इन्हें लाभ मिल सके.
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भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि इस समुदाय के लिए सरकारी नौकरी देने के लिए नियम बनाने के बाद उन्हें सरकारी नौकरी पाने में आसानी होगी. सरकार नौकरी में ट्रांसजेंडर समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाए जाएंगे. मंत्री मेघवाल ने बताया कि इस समुदाय के लिए अलग से पहचान पत्र बनाने के लिए प्रदेश के सभी जिला कलेक्टर्स को लिखित में आदेश जारी कर दिए गए हैं. जिला कलेक्टर की अध्यक्षता वाली गठित समिति राज्य में हर ट्रांसजेंडर समुदाय की जनगणना करेगी.
राज्य में 16 हजार 517 ट्रांसजेंडर
प्रदेश में ट्रांसजेंडर की संख्या एक लाख से अधिक है, लेकिन जनगणना के आधार पर राज्य में 16 हजार 517 ट्रांसजेंडर हैं. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल की अध्यक्षता में सरकार बनने के बाद सचिवालय में राजस्थान ट्रांसजेंडर बोर्ड की बैठक हुई है. बैठक में ट्रांसजेंडर समुदाय की समस्याओं पर मंथन किया गया.
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वहीं, बैठक के बाद किन्नर अखाड़े की प्रदेश अध्यक्ष पुष्पा माई ने कहा कि प्रदेश की मंत्री के साथ हुई बैठक में वार्ता सकारात्मक रही. उन्होंने कहा कि हमारी मांगों पर मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने गंभीरता दिखाई है. हमें उम्मीद है कि राज्य सरकार ट्रांसजेंडर समुदाय को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए काम करेगी.