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50 साल बाद बदले शिक्षा विभाग के नियम, राजस्थान शैक्षिक राज्य और अधीनस्थ सेवा नियम 2021 को मंजूरी - Rajasthan Educational State and Subordinate Services Rules 2021

गहलोत कैबिनेट की बुधवार को हुई बैठक में 50 साल बाद शिक्षा विभाग के नियमों में बदलाव किया गया. कैबिनेट ने राजस्थान शैक्षिक राज्य और अधीनस्थ सेवा नियम 2021 को मंजूरी दी है. जिसके बाद शिक्षकों को कई फायदे मिलने वाले हैं.

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राजस्थान शैक्षिक राज्य और अधीनस्थ सेवा नियम 2021 को मंजूरी
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Published : Jul 8, 2021, 12:06 AM IST

Updated : Jul 8, 2021, 6:40 AM IST

जयपुर. राजस्थान में उच्च शिक्षा के स्तर को बेहतर करने के लिए पुराने ढर्रे के बने हुए नियमों में बदलाव किया गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक हुई. जिसमें राजस्थान शैक्षिक राज्य और अधीनस्थ सेवा नियम 2021 को मंजूरी दी गई. इसके साथ ही 50 साल से चले आ रहे शिक्षा विभाग के नियमों में बदलाव किया गया. नियमों के बदलाव के बाद हजारों शिक्षकों को अलग-अलग तरह से कई बड़ी राहतें मिली हैं. जिसकी वह लंबे समय से मांग करते आ रहे थे.

पढ़ें: पीएम मोदी ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री की बलि दी: गोविंद सिंह डोटासरा

राजस्थान शिक्षा सेवा नियम 1970 और राजस्थान अधीनस्थ शिक्षा सेवा नियम 1971 को पुनर्लेखन कर राजस्थान शैक्षिक राज्य एवं अधीनस्थ सेवा नियम 2021 बनाए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में स्वीकृत किया गया. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि नए सेवा नियमों से कई संवर्गों में रुकी हुई पदोन्नतियां हो सकेंगी. विभाग में कार्यरत चार लाख से अधिक कार्मिकों को इसका फायदा मिलेगा. वहीं शिक्षा विभाग को उच्च पदों पर अधिकारी उपलब्ध होंगे. जिससे स्कूल और कार्यालय के शैक्षिक, प्रशासनिक और निरीक्षण कार्य को गति मिलेगी और पुराने सेवा नियमों की विसंगति दूर होगी.

राजस्थान शैक्षिक राज्य और अधीनस्थ सेवा नियम 2021 को मंजूरी

शिक्षा विभाग में जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर प्रिंसिपल से सीधी पदोन्नति होगी. व्याख्याताओं और प्रधानाध्यापक का पदोन्नति अनुपात 80:20 होगा. अतिरिक्त निदेशक के पद पर पदोन्नति के लिए संयुक्त निदेशक के एक साल के अनुभव के साथ कुल 4 साल के अनुभव का प्रावधान किया गया है. साथ ही संयुक्त निदेशक के पद पर पदोन्न्ति के लिए उपनिदेशक के एक साल के अनुभव के साथ कुल चार साल के अनुभव का प्रावधान, पहले जिला शिक्षा अधिकारी के पद का तीन साल का अनुभव आवश्यक था.

व्याख्याताओं और प्रधानाध्यापक का पदोन्नति अनुपात 80:20 किया गया है. सेकेंडरी स्कूल में अब प्रधानाध्यापक की जगह वाइस प्रिंसिपल होगा. सीनियर सेकेंडरी स्कूल में भी वाइस प्रिंसिपल का पद स्वीकृत किया गया है. जिस विषय से स्नातक की है, उसी विषय से पीजी करने पर ही व्याख्याता बन सकेंगे अर्थात स्नातक बीएससी से करके पर इतिहास से पीजी करने पर व्याख्याता अब नहीं बन पाएंगे.

प्रधानाध्यापक पद की योग्यता को भी स्नातक से अधिस्नातक किया गया है. पुस्तकालयाध्यक्ष ग्रेड प्रथम का पद एनकैडर किया गया है. व्याख्याता शारीरिक शिक्षा के पद को एनकैडर किया गया है. पुस्तकालयाध्यक्ष ग्रेड सैकेंड के पदों पर सीधी भर्ती और पदोन्नति पर लगी रोक हटाई गई. 6 डी से तृतीय श्रेणी अध्यापकों के सेटअप में बदलाव के लिए तीन साल की सेवा की शर्त का विलोपन किया गया.

शारीरिक शिक्षक ग्रेड थर्ड, पुस्तकालयाध्यक्ष ग्रेड सैकेंड और तृतीय की योग्यता एनसीटीई के अनुसार संशोधित की गई. प्रतियोगी परीक्षाओं से चयन के जिए न्यूनतम उत्तीर्णांक का प्रावधान, 40 फीसदी न्यूनतम उत्तीर्णांक जरूरी लेकिन नियमानुसार छूट का प्रावधान भी किया गया.

जयपुर. राजस्थान में उच्च शिक्षा के स्तर को बेहतर करने के लिए पुराने ढर्रे के बने हुए नियमों में बदलाव किया गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक हुई. जिसमें राजस्थान शैक्षिक राज्य और अधीनस्थ सेवा नियम 2021 को मंजूरी दी गई. इसके साथ ही 50 साल से चले आ रहे शिक्षा विभाग के नियमों में बदलाव किया गया. नियमों के बदलाव के बाद हजारों शिक्षकों को अलग-अलग तरह से कई बड़ी राहतें मिली हैं. जिसकी वह लंबे समय से मांग करते आ रहे थे.

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राजस्थान शिक्षा सेवा नियम 1970 और राजस्थान अधीनस्थ शिक्षा सेवा नियम 1971 को पुनर्लेखन कर राजस्थान शैक्षिक राज्य एवं अधीनस्थ सेवा नियम 2021 बनाए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में स्वीकृत किया गया. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि नए सेवा नियमों से कई संवर्गों में रुकी हुई पदोन्नतियां हो सकेंगी. विभाग में कार्यरत चार लाख से अधिक कार्मिकों को इसका फायदा मिलेगा. वहीं शिक्षा विभाग को उच्च पदों पर अधिकारी उपलब्ध होंगे. जिससे स्कूल और कार्यालय के शैक्षिक, प्रशासनिक और निरीक्षण कार्य को गति मिलेगी और पुराने सेवा नियमों की विसंगति दूर होगी.

राजस्थान शैक्षिक राज्य और अधीनस्थ सेवा नियम 2021 को मंजूरी

शिक्षा विभाग में जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर प्रिंसिपल से सीधी पदोन्नति होगी. व्याख्याताओं और प्रधानाध्यापक का पदोन्नति अनुपात 80:20 होगा. अतिरिक्त निदेशक के पद पर पदोन्नति के लिए संयुक्त निदेशक के एक साल के अनुभव के साथ कुल 4 साल के अनुभव का प्रावधान किया गया है. साथ ही संयुक्त निदेशक के पद पर पदोन्न्ति के लिए उपनिदेशक के एक साल के अनुभव के साथ कुल चार साल के अनुभव का प्रावधान, पहले जिला शिक्षा अधिकारी के पद का तीन साल का अनुभव आवश्यक था.

व्याख्याताओं और प्रधानाध्यापक का पदोन्नति अनुपात 80:20 किया गया है. सेकेंडरी स्कूल में अब प्रधानाध्यापक की जगह वाइस प्रिंसिपल होगा. सीनियर सेकेंडरी स्कूल में भी वाइस प्रिंसिपल का पद स्वीकृत किया गया है. जिस विषय से स्नातक की है, उसी विषय से पीजी करने पर ही व्याख्याता बन सकेंगे अर्थात स्नातक बीएससी से करके पर इतिहास से पीजी करने पर व्याख्याता अब नहीं बन पाएंगे.

प्रधानाध्यापक पद की योग्यता को भी स्नातक से अधिस्नातक किया गया है. पुस्तकालयाध्यक्ष ग्रेड प्रथम का पद एनकैडर किया गया है. व्याख्याता शारीरिक शिक्षा के पद को एनकैडर किया गया है. पुस्तकालयाध्यक्ष ग्रेड सैकेंड के पदों पर सीधी भर्ती और पदोन्नति पर लगी रोक हटाई गई. 6 डी से तृतीय श्रेणी अध्यापकों के सेटअप में बदलाव के लिए तीन साल की सेवा की शर्त का विलोपन किया गया.

शारीरिक शिक्षक ग्रेड थर्ड, पुस्तकालयाध्यक्ष ग्रेड सैकेंड और तृतीय की योग्यता एनसीटीई के अनुसार संशोधित की गई. प्रतियोगी परीक्षाओं से चयन के जिए न्यूनतम उत्तीर्णांक का प्रावधान, 40 फीसदी न्यूनतम उत्तीर्णांक जरूरी लेकिन नियमानुसार छूट का प्रावधान भी किया गया.

Last Updated : Jul 8, 2021, 6:40 AM IST
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