जयपुर. साल 2019 अब समाप्त होने जा रहा है, लेकिन सरकार में होने के बावजूद भी कांग्रेस ने इस साल कई बार सड़क पर उतरी. प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस के मुखिया सचिन पायलट के सड़क पर बार-बार उतरने से ऐसा लगा कि मानो कांग्रेस अब भी सरकार में ना होकर विपक्ष में है.
दरअसल ऐसा पहली बार दिखाई दिया कि सरकार में होने के बावजूद भी किसी पार्टी के मुख्यमंत्री मंत्री विधायक अपने संगठन के साथ सड़कों पर उतरे हो वह भी एक बार नहीं, बल्कि कई बार हमेशा ऐसा होता है कि जो पार्टी विपक्ष में होती है वह सत्ता में बैठी पार्टी के खिलाफ पैदल मार्च धरने प्रदर्शन करती रहती है, लेकिन इस बार राजस्थान में सत्ता में तो कांग्रेस है, लेकिन सड़कों पर भी धरने निकालती हुई कांग्रेसी दिखाई दे रही है.
वह भी एक बार नहीं बल्कि 4 बार इसकी शुरुआत हुई 2 अक्टूबर 2019 को जब महात्मा गांधी के 150 वें जनशताब्दी साल पर आईसीसी के निर्देश पर कांग्रेस ने पैदल मार्च निकाला. हालांकि यह मार्च महात्मा गांधी के सिद्धांतों को अपनाने के लिए था. लेकिन इसके पीछे कहीं ना कहीं मंशा केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध की थी.
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वहीं इसके बाद राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट के नेतृत्व में 29 नवम्बर को राजस्थान कांग्रेस मुख्यालय से सिविल लाइंस फाटक तक पैदल मार्च निकाला. जिसमें सरकार के मुखिया से लेकर तमाम कांग्रेसी शामिल हुए.
दिसंबर महीने में ही 22 दिसंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में लाखों लोग एक बार फिर सड़कों पर उतरे और इस बार कारण बना था सीएए और एनआरसी का विरोध सड़कों पर जिस तरीके से सैलाब केंद्र सरकार के इन दोनों निर्णयों के खिलाफ निकला उसे ही लग रहा था कि कांग्रेस पार्टी अभी विपक्ष में है और वह सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है.
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वहीं दिसंबर को एक बार फिर से कांग्रेस संगठन की ओर से केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों और एनआरसी के विरोध में राजस्थान कांग्रेस सड़कों पर दिखाई दी. इस बार भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संगठन के मुखिया सचिन पायलट कांग्रेस सरकार के मंत्री पदाधिकारी इस मार्च में शामिल हुए. जिस तरीके से लगातार कांग्रेस पार्टी की ओर से मार्च निकाला गया उसे देखकर लगता है कि राजस्थान में मानव कांग्रेस सरकार में नहीं है, बल्कि विपक्ष में है.