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गणेश चतुर्थी विशेष : श्वेत अर्क के पौधे की जड़ से निकला गणेश प्रतिमा का चमत्कारी मंदिर... - shwet aak plant lord ganesh

छोटीकाशी जयपुर में कई प्राचीन मंदिर हैं. हर मंदिर का अपना अलग इतिहास रहा है. जयपुर के आमेर में विराजमान श्वेत अर्क गणपति मंदिर एक चमत्कारी मंदिर माना जाता है. 450 वर्ष पूर्व श्वेत अर्क गणपति यानी सफेद अर्क गणेश मंदिर की राजा मान सिंह प्रथम ने स्थापना करवाई थी. श्वेत अर्क गणपति मंदिर में सफेद अर्क के पौधे की जड़ से निकली हुई गणेश प्रतिमा विराजमान है. जानिये क्या है खासियत...

shwet aak plant
गणेश प्रतिमा का चमत्कारी मंदिर...
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Published : Sep 10, 2021, 2:27 PM IST

जयपुर. गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2021) के अवसर पर छोटीकाशी के सभी गणेश मंदिरों में गणपति बप्पा मोरिया के जयकारे गूंज रहे हैं. भगवान गणेश के जन्मोत्सव पर सफेद अर्क के गणेश मंदिर में विशेष सजावट की गई है. विभिन्न रंग-बिरंगे फूलों की झांकी सजाई गई है. भगवान गणेश (Lord Ganesha) को मोदक का भोग लगाकर पूजा-अर्चना की गई.

मंदिर की मान्यताएं : श्वेत अर्क गणपति मंदिर की मान्यता है कि 8 बुधवार यहां आने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. सफेद अर्क गणेश मंदिर की खासियत है कि इस मंदिर में सफेद अर्क की जड़ से निकली हुई भगवान गणेश की प्रतिमा विराजमान है. इसी कारण सफेद अर्क के गणेश मंदिर की सबसे अलग ही पहचान है. हर साल गणेश चतुर्थी के दिन इस मंदिर में भव्य मेले का आयोजन होता था, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से मंदिर में कोई भी आयोजन नहीं हुआ. गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश का विशेष शृंगार किया गया. रंग-बिरंगे फूलों की झांकी सजाई गई और विशेष पोशाक धारण करवाई गई.

गणेश प्रतिमा का चमत्कारी मंदिर...

प्राचीन बावड़ी के ऊपर बना है मंदिर : मंदिर के पुजारी चंद्र मोहन शर्मा ने बताया कि मंदिर को बावड़ी के ऊपर स्थापित किया गया है. सफेद लकड़ी से बने होने के कारण इसे श्वेत अर्क गणपति मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर जयपुर का सबसे पुराना मंदिर है. जयपुर की स्थापना से पहले ही श्वेत अर्क गणपति मंदिर की स्थापना हुई थी. पहाड़ी के ऊपर यह मंदिर बना है. इस मंदिर की गणेश प्रतिमा सफेद अर्क के पौधे की जड़ से उत्पन्न हुई है. जिसके कारण मंदिर का नाम अर्क का गणेश मंदिर पड़ा. इस मंदिर का काफी पुराना इतिहास रहा है और भक्तों में भी काफी मान्यताएं हैं.

पढ़ें : Special : यहां तंत्र विद्या में पूजे जाने वाले दक्षिणावर्ती सूंड और दक्षिणाविमुख भगवान गणेश के विग्रह की होती है उपासना

मंदिर का इतिहास : गणपति भक्त महेश कुमार शर्मा ने बताया कि आमेर प्राचीन नगरी है, जहां पर काफी प्राचीन मंदिर स्थित है. महाराजा मान सिंह ने 16वीं शताब्दी में श्वेत अर्क गणपति मंदिर की स्थापना करवाई थी. हर गणेश मंदिर में एक ही गणेश जी की प्रतिमा होती है, लेकिन इस मंदिर में एक साथ गणेश जी की दो प्रतिमाएं विराजमान हैं. प्राचीन समय में राज परिवार के लोग भी श्वेत अर्क गणपति मंदिर में आर्क गणेश चतुर्थी के दिन पूजा-अर्चना करते थे. राजा मान सिंह प्रथम ने हस्तिनापुर से गणेश की प्रतिमा लाकर आमेर में स्थापना करवाई थी. जिस जगह मूर्ति को स्थापित किया गया है वहां पर बावड़ी बनी हुई थी. 18 खंभों के ऊपर गणपति मंदिर का निर्माण करवाया गया था. एक साथ दो मूर्तियों की स्थापना की गई. ऊपर वाली प्रतिमा सफेद अर्क की जड़ से निकली हुई मूर्ति है और नीचे वाली मूर्ति पाषाण की बनी हुई है.

ganesh Temple beliefs
मंदिर की मान्यताएं...

राजा मानसिंह हस्तिनापुर से लेकर आए थे गणेश प्रतिमा : भक्त महेश कुमार शर्मा के मुताबिक इतिहास में बताया गया है कि जब हस्तिनापुर से राजा मान सिंह भगवान गणेश की मूर्ति को लेकर आमेर आये थे तो हस्तिनापुर के राजा ने मूर्ति वापस लाने के लिए अपनी सेना को भेजा था. जब हस्तिनापुर के राजा की सेना आमेर पहुंची तो यहां पर दो मूर्तियां नजर आईं. दो मूर्तियों को देखकर सेना भ्रमित हो गई. सेना ने सोचा कि अगर गलत मूर्ति लेकर गए तो राजा द्वारा दंडित किया जाएगा. यही सोचकर हस्तिनापुर की सेना भगवान गणेश की मूर्तियों को छोड़कर चली गई. गुजरात के औदीच्य पुजारी मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं. दूर-दूर से भक्त अपनी मनोकामनाएं लिए मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. जब किसी भी घर में शुभ कार्य होता है तो सबसे पहले इस मंदिर में गणपति को निमंत्रण देने के लिए आते हैं.

पढ़ें : Ganesh Chaturthi 2021 : ऐसे करें भगवान गजानन को प्रसन्न, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

कोरोना से बचाव के लिए बरती जा रही सावधानियां : कोरोना से बचाव के लिए मंदिर में सावधानियां बरती जा रही हैं. सैनिटाइजर का उपयोग किया जा रहा है और मास्क भी लगाए जा रहे हैं. मंदिर के पुजारी ही पूजा- अर्चना करके भगवान गणेश के प्रसाद भोग लगा रहे हैं.

जयपुर. गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2021) के अवसर पर छोटीकाशी के सभी गणेश मंदिरों में गणपति बप्पा मोरिया के जयकारे गूंज रहे हैं. भगवान गणेश के जन्मोत्सव पर सफेद अर्क के गणेश मंदिर में विशेष सजावट की गई है. विभिन्न रंग-बिरंगे फूलों की झांकी सजाई गई है. भगवान गणेश (Lord Ganesha) को मोदक का भोग लगाकर पूजा-अर्चना की गई.

मंदिर की मान्यताएं : श्वेत अर्क गणपति मंदिर की मान्यता है कि 8 बुधवार यहां आने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. सफेद अर्क गणेश मंदिर की खासियत है कि इस मंदिर में सफेद अर्क की जड़ से निकली हुई भगवान गणेश की प्रतिमा विराजमान है. इसी कारण सफेद अर्क के गणेश मंदिर की सबसे अलग ही पहचान है. हर साल गणेश चतुर्थी के दिन इस मंदिर में भव्य मेले का आयोजन होता था, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से मंदिर में कोई भी आयोजन नहीं हुआ. गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश का विशेष शृंगार किया गया. रंग-बिरंगे फूलों की झांकी सजाई गई और विशेष पोशाक धारण करवाई गई.

गणेश प्रतिमा का चमत्कारी मंदिर...

प्राचीन बावड़ी के ऊपर बना है मंदिर : मंदिर के पुजारी चंद्र मोहन शर्मा ने बताया कि मंदिर को बावड़ी के ऊपर स्थापित किया गया है. सफेद लकड़ी से बने होने के कारण इसे श्वेत अर्क गणपति मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर जयपुर का सबसे पुराना मंदिर है. जयपुर की स्थापना से पहले ही श्वेत अर्क गणपति मंदिर की स्थापना हुई थी. पहाड़ी के ऊपर यह मंदिर बना है. इस मंदिर की गणेश प्रतिमा सफेद अर्क के पौधे की जड़ से उत्पन्न हुई है. जिसके कारण मंदिर का नाम अर्क का गणेश मंदिर पड़ा. इस मंदिर का काफी पुराना इतिहास रहा है और भक्तों में भी काफी मान्यताएं हैं.

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मंदिर का इतिहास : गणपति भक्त महेश कुमार शर्मा ने बताया कि आमेर प्राचीन नगरी है, जहां पर काफी प्राचीन मंदिर स्थित है. महाराजा मान सिंह ने 16वीं शताब्दी में श्वेत अर्क गणपति मंदिर की स्थापना करवाई थी. हर गणेश मंदिर में एक ही गणेश जी की प्रतिमा होती है, लेकिन इस मंदिर में एक साथ गणेश जी की दो प्रतिमाएं विराजमान हैं. प्राचीन समय में राज परिवार के लोग भी श्वेत अर्क गणपति मंदिर में आर्क गणेश चतुर्थी के दिन पूजा-अर्चना करते थे. राजा मान सिंह प्रथम ने हस्तिनापुर से गणेश की प्रतिमा लाकर आमेर में स्थापना करवाई थी. जिस जगह मूर्ति को स्थापित किया गया है वहां पर बावड़ी बनी हुई थी. 18 खंभों के ऊपर गणपति मंदिर का निर्माण करवाया गया था. एक साथ दो मूर्तियों की स्थापना की गई. ऊपर वाली प्रतिमा सफेद अर्क की जड़ से निकली हुई मूर्ति है और नीचे वाली मूर्ति पाषाण की बनी हुई है.

ganesh Temple beliefs
मंदिर की मान्यताएं...

राजा मानसिंह हस्तिनापुर से लेकर आए थे गणेश प्रतिमा : भक्त महेश कुमार शर्मा के मुताबिक इतिहास में बताया गया है कि जब हस्तिनापुर से राजा मान सिंह भगवान गणेश की मूर्ति को लेकर आमेर आये थे तो हस्तिनापुर के राजा ने मूर्ति वापस लाने के लिए अपनी सेना को भेजा था. जब हस्तिनापुर के राजा की सेना आमेर पहुंची तो यहां पर दो मूर्तियां नजर आईं. दो मूर्तियों को देखकर सेना भ्रमित हो गई. सेना ने सोचा कि अगर गलत मूर्ति लेकर गए तो राजा द्वारा दंडित किया जाएगा. यही सोचकर हस्तिनापुर की सेना भगवान गणेश की मूर्तियों को छोड़कर चली गई. गुजरात के औदीच्य पुजारी मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं. दूर-दूर से भक्त अपनी मनोकामनाएं लिए मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. जब किसी भी घर में शुभ कार्य होता है तो सबसे पहले इस मंदिर में गणपति को निमंत्रण देने के लिए आते हैं.

पढ़ें : Ganesh Chaturthi 2021 : ऐसे करें भगवान गजानन को प्रसन्न, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

कोरोना से बचाव के लिए बरती जा रही सावधानियां : कोरोना से बचाव के लिए मंदिर में सावधानियां बरती जा रही हैं. सैनिटाइजर का उपयोग किया जा रहा है और मास्क भी लगाए जा रहे हैं. मंदिर के पुजारी ही पूजा- अर्चना करके भगवान गणेश के प्रसाद भोग लगा रहे हैं.

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