जयपुर. देश में एक बहुत बड़ा तबका गरीबी रेखा के नीचे रहता है. इस गरीब तबके के लिए सरकार समय-समय पर योजनाएं लेकर की आती है. जरूरतमंदों के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के नाम से एक बड़ी योजना लेकर आई. प्रदेश के गरीब लोगों को भी उस योजना के तहत सब्सिडी वाला अनाज दिया जाता है. जयपुर शहर में भी ऐसे लाखों गरीब परिवार हैं, जो इस योजना की मदद से अपना पेट पाल रहे हैं. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत कुछ वर्गों को फ्री, तो कुछ वर्गों को सस्ता गेहूं उपलब्ध कराया जा रहा है. लॉकडाउन के दौरान इस योजना ने गरीब परिवारों का पेट भरने का काम भी किया. लेकिन कई जगहों पर इस योजना के तहत वितरित गए जाने वाले राशन में गबन के मामले सामने आए. सरकारी सिस्टम में लगे कई कार्मिक ही गरीबों का निवाला चट कर गए.
जयपुर शहर की स्थिति
जयपुर शहर की बात की जाए, तो यहां 71 उचित मूल्य की दुकानों पर कार्रवाई की गई है और 28 उचित मूल्य दुकानदारों के लाइसेंस निलंबित कर दिए गए. बाकी उचित मूल्य की दुकानों के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए. जनवरी से अब तक तीन उचित मूल्य दुकानदारों पर गबन के मामले में एफआईआर दर्ज की गई. जयपुर शहर में सरकारी कर्मचारी भी गरीबों का निवाला छीनने में पीछे नहीं है. यहां 93 सरकारी कर्मचारियों के नाम राष्ट्रीय खाद सुरक्षा योजना से निकाला गया है. कर्मचारियों से गबन के गेहूं के बदले एक लाख 31 हजार रुपए से ज्यादा की वसूली की गई है. 168 डुप्लीकेट राशन कार्ड कैंसिल किए गए हैं.
जयपुर शहर में उचित मूल्य की दुकान 681 के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है. उचित मूल्य के दुकानदारों ने 7 लाख रुपए के 292.64 क्विंटल गेहूं और 57 किलो दाल का गबन किया था. क्रय विक्रय सहकारी समिति से 111.93 क्विंटल गेहूं पहुंचा था. पीओएस मशीन में ऑनलाइन रिसीव दिए बिना ही गेहूं को खुर्द बुर्द कर दिया गया है.
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दुकान नंबर 677 ए के खिलाफ 5 लाख रुपए के 217. 87 क्विंटल गेहूं का गबन करने पर एफ आई आर दर्ज कराई गई है. इस दुकान पर 113 94 क्विंटल गेहूं कम मिला. दुकान पर 239 राशन कार्ड की शिकायत मिली थी और उसकी जांच के बाद ही गबन का खुलासा हुआ. दुकान संचालक ने कोविड-19 काल में लोगों को 10 किलो की जगह 5-5 किलों ही गेहूं दिया.
इसी तरह से दुकान नंबर 681 ए के खिलाफ विभाग ने एफआईआर दर्ज कराई. जहां साढ़े 4 लाख रुपए का 195 क्विंटल गेहूं का फर्जीवाड़ा सामने आया. इसके अलावा फर्जी ट्रांजैक्शन कर 87 क्विंटल गेहूं का गबन भी किया गया. इस दुकान पर जांच में गेहूं का स्टॉक भी कम मिला.
जयपुर ग्रामीण की स्थिति
जयपुर ग्रामीण की बात की जाए, तो जनवरी से अब तक 39 शिकायतें आई हैं. इन शिकायतों की जांच की जा रही है और विभाग ने एक्शन भी लिया है. विभाग ने जनवरी से अब तक 19 उचित मूल्य दुकानदारों के लाइसेंस निलंबित किए हैं. 2 उचित मूल्य के दुकानदारों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई है. जिन राशन डीलरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है, उन्होंने 43 क्विंटल की गेहूं, 751 लीटर केरोसिन और 10 किलो चीनी का गबन किया है. गरीबों को मिलने वाले सब्सिडी के गेहूं को डकारने के मामले में सरकारी कर्मचारी भी पीछे नहीं है.
विभाग से मिले आंकड़े के मुताबिक 2468 ऐसे लोगों को चिन्हित किया गया था, जो सरकारी नौकरी में हैं और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत गेहूं ले रहे हैं. इनमें से जांच के बाद 1741 लोगों के नाम हटा दिए गए हैं और इन लोगों से 18 लाख 24 हजार 975 रुपए की वसूली की गई. बचे 727 लोगों की जांच चल रही है और जांच के बाद जल्दी इनके नाम भी हटा दिए जाएंगे.
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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत गरीब लोगों को सस्ते दामों पर गेहूं उपलब्ध कराया जाता है, इसमें से एपीएल परिवार को 2 किलो और अन्य बीपीएल और अंत्योदय में शामिल परिवारों को प्रति सदस्य एक रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से गेंहू दिया जाता है.
27 रुपए प्रति किलो दर से होती है वसूली
गबन, फर्जी ट्रांजैक्शन, डुप्लीकेट राशन कार्ड को लेकर विभाग में सैकड़ों शिकायतें आती हैं. विभाग के अधिकारियों की ओर से इन शिकायतो की जांच की जाती है. बाकायदा उसे नोटिस जारी किया जाता है और उससे जवाब मांगा जाता है. नोटिस के बाद अगर वह दोषी होता है, तो उससे 27 रुपए प्रति किलो की दर से वसूली की जाती है.
लॉकडाउन में बढ़े फर्जीवाड़े के मामले
राशन की दुकानों से राशन लेने के लिए सरकार की ओर से बायोमेट्रिक सिस्टम शुरू किया गया था और इससे फर्जीवाड़े के मामले कम हुए, लेकिन लॉकडाउन में सरकार ने जनता की सहूलियत को देखते हुए बायोमैट्रिक सिस्टम हटा कर ओटीपी सिस्टम शुरू किया. इस ओटीपी सिस्टम से फर्जीवाड़े के मामलों में बढ़ोतरी हुई.