जयपुर. राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और बिहार-हरियाणा के पूर्व राज्यपाल जगन्नाथ पहाड़िया का गुरुवार को गुरुग्राम के सैक्टर-32 स्थित मोक्ष धाम में अंतिम संस्कार किया गया. पहाड़िया के पुत्र ओम पहाड़िया ने उनको मुखाग्नि दी.
पहाड़िया के अंतिम संस्कार के समय पूर्व मुख्यमंत्री की दोनों बेटियां शिवानी और हिमानी, उनके पौत्र अर्जुन पहाड़िया सहित परिवार के अन्य सदस्यों के अतिरिक्त राजस्थान सरकार की ओर से प्रदेश के पर्यटन मंत्री के विशेषाधिकारी छतरपाल यादव भी उपस्थित थे. 89 वर्षीय पहाड़िया का निधन बुधवार रात 11 बजे गुरूग्राम के पार्क अस्पताल में कोरोना के कारण हुआ. पहाड़िया की पत्नी और पूर्व राज्यसभा सांसद शांति पहाड़िया का भी अस्पताल में इलाज चल रहा है.
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं सूचना एवं जनसम्पर्क मंत्री रघु शर्मा सहित देश-प्रदेश के कई वरिष्ठ नेताओं ने पहाड़िया के निधन पर शोक व्यक्त किया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में गुरुवार को जयपुर में हुई राज्य मंत्रि परिषद की बैठक में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया. मंत्रिपरिषद के सदस्यों ने 2 मिनट का मौन रखकर पहाड़िया को श्रद्धांजलि अर्पित की.
बैठक में पहाड़िया को स्मरण करते हुए कहा गया कि उनके निधन से प्रदेश की अपूरणीय क्षति हुई है. आपकी सेवाएं प्रदेशवासियों को चिरस्मरणीय रहेंगी. ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को चिरशान्ति और उनके संतप्त परिवार को इस दुःखद घड़ी में धैर्य एवं साहस प्रदान करें.
बता दें, जगन्नाथ पहाड़िया का जन्म 15 जनवरी 1932 को भुसावर जिला भरतपुर में हुआ. उन्होंने एम.ए. एवं एल.एल.बी. तक की शिक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय से प्राप्त की. 1957 से 1962, 1967 से 1971, 1971 से 1977 एवं 1980 में लोकसभा सदस्य रहे एवं 1965 से 1966, 1966 से 1967 तक राज्यसभा सदस्य रहे.
इस दौरान उन्होंने केन्द्रीय राज्यमंत्री एवं उपमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं. इसके अतिरिक्त वर्ष 1980 से 1985, 1985 से 1990, 1990 से 1992 एवं 2003 से 2008 तक क्रमशः सातवीं, आठवीं, नवीं एवं बारहवीं विधानसभा के सदस्य रहे. 6 जून 1980 से 14 जुलाई 1981 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे.
वे 3 मार्च 1989 से 2 फरवरी 1990 तक बिहार एवं 27 जुलाई 2009 से जुलाई 2014 तक हरियाणा के राज्यपाल रहे. 1988-89 में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव भी रहे. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के दौरान विभिन्न समितियों के अध्यक्ष एवं सदस्य के रूप में प्रतिनिधित्व किया. साथ ही अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं समाज के वंचित वर्गों के उत्थान एवं कल्याण हेतु महत्वपूर्ण एवं अविस्मरणीय योगदान दिया है.