जयपुर. अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-8 ने ग्रेटर निगम आयुक्त यज्ञमिज्ञ सिंह से अभद्रता से जुड़े केस में पूर्व मेयर सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) को जमानत दे दी है. सौम्या ने अदालत में पेश होकर जमानत मांगी थी.
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निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह की ओर से ज्योति नगर थाना पुलिस में दर्ज एफआईआर में सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) अदालत में पेश हुई. सौम्या गुर्जर की ओर से जमानत अर्जी पेश कर कहा गया कि उसके कुछ महीने पूर्व ही संतान हुई है. वहीं, संतान को बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से उसे कुछ दिनों पहले की छुट्टी मिली है. इसके अलावा बच्चे की देखभाल करने वाला भी कोई नहीं है.
वहीं, प्रकरण में पुलिस ने अनुसंधान पूरा कर अदालत में आरोप पत्र पेश कर दिया है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सौम्या गुर्जर को जमानत का लाभ दे दिया है.
गौरतलब है कि निगम मुख्यालय में आयुक्त यज्ञमित्र से विवाद होने के बाद आयुक्त ने सौम्या गुर्जर, तत्कालीन पार्षद पारस जैन, अजय सिंह, शंकर शर्मा और रामकिशोर प्रजापत के खिलाफ मारपीट और अभद्रता करने का आरोप लगाते हुए ज्योति नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. जिस पर अनुसंधान करते हुए पुलिस ने गत एक जुलाई को सौम्या सहित चारों पार्षदों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था. अदालत ने आरोप पत्र पर प्रसंज्ञान लेते हुए सौम्या के अलावा अन्य चारों आरोपियों के गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे, जबकि सौम्या को पेश होने के लिए 15 दिन का समय दिया गया था.
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वहीं, राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने आयुक्त से विवाद के चलते निलंबित किए गए तीन पार्षदों पारस जैन, अजय सिंह और शंकर शर्मा को राहत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने तीनों पूर्व पार्षदों की याचिकाओं को खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिए. इससे पूर्व हाईकोर्ट की खंडपीठ समान मामले में निलंबित की गई ग्रेटर निगम (Greater Nagar Nigam) मेयर सौम्या गुर्जर की याचिका को भी खारिज कर चुकी है.
याचिकाओं में नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 की वैधानिकता को चुनौती देते हुए निलंबन की कार्रवाई को गलत बताकर उस पर रोक लगाने और उन्हें बहाल करने की गुहार की गई थी. जिसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि निलंबन के समान मामले में हाईकोर्ट पूर्व मेयर सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) की याचिका को खारिज कर चुका है. ऐसे में निलंबित पार्षदों की याचिकाओं को भी खारिज किया जाना चाहिए. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
गौरतलब है कि निगम आयुक्त से मारपीट और अभद्रता को लेकर आयुक्त की ओर से राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) को शिकायत भेजी गई थी. राज्य सरकार ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सौम्या गुर्जर सहित याचिकाकर्ता पार्षदों को निलंबित कर मामले को न्यायिक जांच के लिए भेज दिया था.
बता दें, 4 जून को तत्कालीन महापौर सौम्या गुर्जर के चेंबर से विवाद की शुरुआत हुई थी. निगमायुक्त यज्ञमित्र सिंह देव ने चेंबर में खुद के साथ मारपीट होने और बदसलूकी करने का आरोप लगाया था. साथ ही इसकी शिकायत राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) से करते हुए तीन पार्षदों के खिलाफ ज्योति नगर थाने में मामला भी दर्ज कराया था. इसके बाद सरकार ने पूरे प्रकरण की जांच करते हुए महापौर और तीन पार्षदों को दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया था.
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सौम्या गुर्जर ने राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दे रखी है. हाईकोर्ट ने सौम्या की ओर से लगाई गई याचिका खारिज कर दी थी और उनके निलंबन को बरकरार रखते हुए गहलोत सरकार को निर्देश दिया था कि इस मामले की न्यायिक जांच 6 महीने में पूरा कर कोर्ट को अवगत कराया जाए.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि जयपुर ग्रेटर की महापौर सौम्या गुर्जर को अवैध तरीके से बिना किसी कानूनी प्रावधान के गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने राजनीतिक आधार पर हटाया. उसके खिलाफ उच्च न्यायालय में रिट पिटिशन दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. इस फैसले को चुनौती देते हुए एक स्पेशल लीव पिटिशन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में फाइल की है. जब भी लगेगी उस पर बहस करेंगे और पूरे प्रयत्न किए जाएंगे.
चतुर्वेदी ने कहा कि पिछले दिनों पुलिस ने जो चालान पेश किया था उसे लेकर सौम्या गुर्जर के खिलाफ वारंट निकले थे. उनका नवजात बेटा आईसीयू में एडमिट था, ऐसे में 15 दिन का समय दिया गया था. 15 दिन पूरे होने से पहले ही सौम्या गुर्जर ने मंगलवार को कोर्ट के सामने खुद को सरेंडर किया, जिसके बाद न्यायालय ने उनकी जमानत स्वीकार की.
जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा ने कहा कि ये प्रकरण पूरी तरह राजनीति से जुड़ा है. फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई गई है और निश्चित तौर पर इसमें सफलता मिलेगी. जहां तक न्यायिक जांच की बात है न्यायिक जांच करने वाले न्यायिक जांच करेंगे और हमें पक्ष रखना है हम पक्ष रखेंगे.