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मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी सहित अन्य को राहत से इनकार

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Published : Jan 24, 2020, 4:37 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने खान आवंटन को लेकर पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी से जुड़े मनी लॉड्रिंग के मामले में सिंघवी सहित अन्य आरोपियों को राहत देने से इनकार कर दिया है. साथ ही अदालत ने मामले में दायर याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है.

Ashok Singhvi Money Laundering Case, राजस्थान हाई कोर्ट न्यूज
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी और अन्य को नहीं मिली राहत

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने खान आवंटन को लेकर पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी से जुड़े मनी लॉड्रिंग के मामले में सिंघवी सहित अन्य आरोपियों को राहत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ ने यह आदेश अशोक सिंघवी सहित अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर दिए.

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी और अन्य को नहीं मिली राहत

याचिकाओं में ईडी कोर्ट की ओर से मामले में 21 जनवरी 2019 को आरोपियों के विरुद्ध जारी गिरफ्तारी वारंट और प्रसंज्ञान लेने को चुनौती दी गई थी. अदालत ने अपने आदेश में माना कि ईडी कोर्ट की ओर से जारी आदेशों में कोई विधिक त्रुटि नहीं है.

वहीं आरोपी पक्ष की ओर से कहा गया कि ईडी ने एसीबी की ओर से पेश आरोप पत्र के तथ्यों के आधार पर ही उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनाया है. वहीं पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी की ओर से अदालत को बताया गया कि एसीबी के आरोप पत्र में रिश्वत मांगने और लेने का साक्ष्य ही नहीं है. याचिकाओं में गुहार की गई थी कि ईडी कोर्ट की ओर से लिए गए प्रसंज्ञान आदेश को रद्द करे और उनके विरुद्ध जारी गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदला जाए.

पढ़ें- CAA और NRC का विरोध करना पड़ा भारी, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष हुए निष्कासित

वहीं ईडी की ओर से याचिकाओं का विरोध करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी ने कहा कि निचली अदालत के प्रसंज्ञान आदेश में कोई गलती नहीं है. इसके अलावा यदि आरोपियों के गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदला गया तो यह उन्हें अग्रिम जमानत देने जैसा होगा. सभी पक्षों को सुनने के बाद एकलपीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने खान आवंटन को लेकर पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी से जुड़े मनी लॉड्रिंग के मामले में सिंघवी सहित अन्य आरोपियों को राहत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ ने यह आदेश अशोक सिंघवी सहित अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर दिए.

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी और अन्य को नहीं मिली राहत

याचिकाओं में ईडी कोर्ट की ओर से मामले में 21 जनवरी 2019 को आरोपियों के विरुद्ध जारी गिरफ्तारी वारंट और प्रसंज्ञान लेने को चुनौती दी गई थी. अदालत ने अपने आदेश में माना कि ईडी कोर्ट की ओर से जारी आदेशों में कोई विधिक त्रुटि नहीं है.

वहीं आरोपी पक्ष की ओर से कहा गया कि ईडी ने एसीबी की ओर से पेश आरोप पत्र के तथ्यों के आधार पर ही उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनाया है. वहीं पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी की ओर से अदालत को बताया गया कि एसीबी के आरोप पत्र में रिश्वत मांगने और लेने का साक्ष्य ही नहीं है. याचिकाओं में गुहार की गई थी कि ईडी कोर्ट की ओर से लिए गए प्रसंज्ञान आदेश को रद्द करे और उनके विरुद्ध जारी गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदला जाए.

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वहीं ईडी की ओर से याचिकाओं का विरोध करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी ने कहा कि निचली अदालत के प्रसंज्ञान आदेश में कोई गलती नहीं है. इसके अलावा यदि आरोपियों के गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदला गया तो यह उन्हें अग्रिम जमानत देने जैसा होगा. सभी पक्षों को सुनने के बाद एकलपीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया.

Intro:बाईट - राजदीपक रस्तोगी, ASG केंद्र सरकार।


जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने खान आवंटन को लेकर पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी से जुडे मनी लॉड्रिंग के मामले में सिंघवी सहित अन्य आरोपियों को राहत देने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही अदालत मामले में दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है। न्यायधीश अशोक कुमार गोड ने यह आदेश अशोक सिंघवी सहित अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर दिए। Body:याचिकाओं में ईडी कोर्ट की ओर से मामले में 21 जनवरी 2019 को आरोपियों के विरुद्ध जारी गिरफ्तारी वारंट और प्रसंज्ञान लेने के को चुनौती दी गई थी। अदालत ने अपने आदेश में माना की ईडी कोर्ट की ओर से जारी आदेशों में कोई विधिक त्रुटि नहीं है। 
आरोपी पक्ष की ओर से कहा गया की ईडी ने एसीबी की ओर से पेश आरोप पत्र के तथ्यों के आधार पर ही उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनाया है। वहीं पूर्व आईएएस अशोक सिंघवी की ओर से अदालत को बताया गया की एसीबी के आरोप पत्र में रिश्वत मांगने और लेने का साक्ष्य ही नहीं है। याचिकाओं में गुहार की गई थी की ईडी कोर्ट की ओर से लिए गए प्रसंज्ञान आदेश को रद्द करें और उनके विरुद्ध जारी गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदला जाए।
वहीं ईडी की ओर से याचिकाओं का विरोध करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी ने कहा की निचली अदालत के प्रसंज्ञान आदेश में कोई गलती नहीं है। इसके अलावा यदि आरोपियों के गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदला गया तो यह उन्हें अग्रिम जमानत देने जैसा होगा। सभी पक्षों को सुनने के बाद एकलपीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया।

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