जयपुर. पक्षियों को बचाने के लिए और बर्ड फ्लू के खतरे को देखते हुए वन विभाग के अधिकारियों ने एनजीओ प्रतिनिधियों के साथ बैठक ली. बर्ड फ्लू के चलते संशय बना हुआ है कि घायल पक्षियों को कैसे रेस्क्यू किया जाए. घायल पक्षी को कैसे पहचान सकते हैं कि बर्ड फ्लू है या पतंग की डोर से घायल हुआ है. इन सभी बातों को लेकर मीटिंग में चर्चा हुई है.
बैठक में गाइडलाइन के तहत बेजुबान पक्षियों को बचाने की रणनीति पर चर्चा की गई. इसके साथ ही लोगों से भी अपील की गई है कि कम से कम पतंगबाजी करें और बेजुबान पक्षियों की सुरक्षा करें. डीएफओ उपकार बोराना ने एनजीओ प्रतिनिधियों के साथ बैठक में पक्षियों की सुरक्षा के संबंध में कई गंभीर विषयों पर चर्चा की.
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट जॉय गार्डनर ने बताया कि बैठक में बर्ड फ्लू और मकर सक्रांति पर घायल होने वाले पक्षियों को लेकर चर्चा की गई है. मकर सक्रांति पर पतंग डोर से घायल होने वाले पक्षियों के रेस्क्यू को लेकर भी चर्चा हुई है.
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एक तरफ बर्ड फ्लू का संकट चल रहा है, दूसरी तरफ मकर संक्रांति का त्योहार आने से भी बेजुबान पक्षियों की जान को खतरा बढ़ रहा है. क्योंकि पतंगबाजी की डोर से कटकर पक्षी घायल हो जाते हैं. पतंग की डोर से हजारों पक्षी घायल होते हैं. बैठक में चर्चा की गई है कि बर्ड फ्लू संक्रमित पक्षी को किस तरह रेस्क्यू किया जाए और डोर से घायल पक्षियों को कैसे रेस्क्यू किया जाएगा. बर्ड फ्लू से सुरक्षा रखते हुए घायल पक्षियों का इलाज करने की तैयारी की जा रही है.
सभी से अपील है कि मकर सक्रांति पर कम से कम पतंगबाजी करें. सुबह और शाम के समय पतंगबाजी न करें, क्योंकि सुबह शाम पक्षियों का स्वच्छंद विचरण रहता है. मांझे का उपयोग न करें, जिससे बेजुबान पक्षियों की जिंदगी बच सकती है. बर्ड फ्लू से संक्रमित पक्षी संपर्क में आने से इंसान को भी खतरा हो सकता है.