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जयपुर: पिंजरे में कैद वन्यजीवों को भी ले सकेंगे गोद, उठाना होगा खाने-पीने का खर्च

राजस्थान में वन्यजीवों को गोद लेने की प्रक्रिया पर वन विभाग गंभीरता से काम कर रहा है. इसके तहत गोद लेने वाले व्यक्ति को वन्यजीवों के खाने-पीने का खर्चा उठाना पड़ेगा. साथ ही वह समय-समय पर वन्यजीवों को देखने भी आ सकते हैं.

adoption of wildlife in rajasthan,  wildlife animal
राजस्थान में वन्यजीवों को गोद देने की प्रक्रिया पर वन विभाग काम कर रहा है
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Published : Oct 3, 2020, 9:20 PM IST

जयपुर. लोग धर्मार्थ के लिए पक्षियों के दाने-पानी की व्यवस्था करते हैं. कोरोना संक्रमण के दौरान देखा गया कि लोगों ने गायों, बंदरों और अन्य पशुओं के लिए भी खाने पीने की व्यवस्था की, जिससे यह बेजुबान भूखे,प्यासे न रहें. इसी तर्ज पर अब वन विभाग भी कार्य कर रहा है. वन विभाग पशुओं को गोद लेने की प्रक्रिया पर कार्य कर रहा है. इसके तहत वन विभाग इस कार्य के लिए आगे आने वाले इच्छित लोगों को एक साल के लिए वन्यजीव गोद दे सकता है.

गोद लेने वाले लोगों को वन्यजीवों का खर्चा उठाना पड़ेगा

जो व्यक्ति पशुओं को गोद लेगा उसे एंक्लोजर फीडिंग आदि का खर्च उठाना होगा. साथ ही वे समय-समय पर बायोलॉजिकल पार्क खुलने के समय के दौरान पार्क में आकर गोद लिए जाने वाले वन्यजीव की जानकारी ले सकेंगे. बायोलॉजिकल पार्क में रहवास कर रहे टाइगर, लायन, पैंथर, मगरमच्छ समेत अन्य वन्यजीवों को गोद ले सकते हैं. वन विभाग के अनुसार इसके लिए सभी वन्यजीवों के नाम और उन पर होने वाले खर्च की लिस्ट बनाई जा रही है.

पढ़ें: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग, पायटल ने पीएम को लिखा पत्र

वन विभाग की ओर से कोशिश है कि वन्यजीव सप्ताह के दौरान ही यह प्रोसेस शुरू हो जाए. इसके लिए प्रपोजल बनाने की कवायद की जा रही है. अन्य राज्यों में भी वन्यजीव गोद लिए जाते हैं. वन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार साउथ में अधिकतर बायोलॉजिकल पार्क में वन्यजीव प्रेमी एनिमल्स को गोद लेते हैं. इसके तहत करीब 1 साल तक वह वन्यजीव के खाने-पीने आदि के खर्च उठाते हैं.

वन विभाग ने लोगों का वन्यजीवों से जुड़ाव कराने के उद्देश्य से यह स्कीम शुरू की है. जयपुर में पहली बार रक्षा संस्थान ने एमू को गोद लिया है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शेर, बाघ, बघेरे, हिप्पो समेत कुल वन्यजीवों की 25 प्रजातियां प्रवास कर रही हैं. जिसमें 170 वन्यजीव मौजूद हैं. गोद लेने के इच्छुक व्यक्ति किसी भी वन्यजीव को गोद ले सकते हैं. हिप्पो पर 2000 रुपए प्रतिदिन का खर्च आता है. यह सबसे महंगा वन्यजीव है. उसके बाद शेर और बाघ को शामिल किया गया है. इनके एक दिन का भोजन का खर्च करीब 1000 रुपए है. बघेरे पर रोज 400 से 500 रुपए का खर्च आता है. इसके अलावा भालू, लोमड़ी, हिरण समेत अन्य वन्यजीवों पर खान-पान का 100 से 300 रुपए रोजाना का खर्च होता है.

पढ़ें: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा हाथरस के लिए रवाना, ट्वीट कर दी जानकारी

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता ने बताया कि अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में भी वन्यजीवों को गोद देने की स्कीम शुरू की गई. ताकि कोई भी व्यक्ति किसी भी वन्यजीव को गोद लेकर उसके खान-पान रहन-सहन का खर्च उठा सके. टाइगर और लायन का सालाना खर्च करीब 5 लाख रुपए आता है. हिप्पो का सालाना खर्च करीब 10 से 15 लाख रुपए के बीच आता है.

'फिट इंडिया फ्रीडम रन' कार्यक्रम का आयोजन

जयपुर रेल मंडल की ओर से 'फिट इंडिया फ्रीडम रन' का आयोजन किया गया. भारत सरकार के युवा मामले एवं खेल मंत्रालय की ओर से चलाए गए 'फिट इंडिया फ्रीडम रन' के तहत उत्तर पश्चिम रेलवे के जयपुर मंडल के अधिकारियों, कर्मचारियों और परिजनों ने प्रतिदिन खेल, वॉकिंग और दौड़ में भाग लेकर अभियान को सफल बनाया. इस अभियान में डेढ़ लाख से ज्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया और उनके द्वारा 10 लाख से अधिक किलोमीटर पूरे किए गए.

जयपुर. लोग धर्मार्थ के लिए पक्षियों के दाने-पानी की व्यवस्था करते हैं. कोरोना संक्रमण के दौरान देखा गया कि लोगों ने गायों, बंदरों और अन्य पशुओं के लिए भी खाने पीने की व्यवस्था की, जिससे यह बेजुबान भूखे,प्यासे न रहें. इसी तर्ज पर अब वन विभाग भी कार्य कर रहा है. वन विभाग पशुओं को गोद लेने की प्रक्रिया पर कार्य कर रहा है. इसके तहत वन विभाग इस कार्य के लिए आगे आने वाले इच्छित लोगों को एक साल के लिए वन्यजीव गोद दे सकता है.

गोद लेने वाले लोगों को वन्यजीवों का खर्चा उठाना पड़ेगा

जो व्यक्ति पशुओं को गोद लेगा उसे एंक्लोजर फीडिंग आदि का खर्च उठाना होगा. साथ ही वे समय-समय पर बायोलॉजिकल पार्क खुलने के समय के दौरान पार्क में आकर गोद लिए जाने वाले वन्यजीव की जानकारी ले सकेंगे. बायोलॉजिकल पार्क में रहवास कर रहे टाइगर, लायन, पैंथर, मगरमच्छ समेत अन्य वन्यजीवों को गोद ले सकते हैं. वन विभाग के अनुसार इसके लिए सभी वन्यजीवों के नाम और उन पर होने वाले खर्च की लिस्ट बनाई जा रही है.

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वन विभाग की ओर से कोशिश है कि वन्यजीव सप्ताह के दौरान ही यह प्रोसेस शुरू हो जाए. इसके लिए प्रपोजल बनाने की कवायद की जा रही है. अन्य राज्यों में भी वन्यजीव गोद लिए जाते हैं. वन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार साउथ में अधिकतर बायोलॉजिकल पार्क में वन्यजीव प्रेमी एनिमल्स को गोद लेते हैं. इसके तहत करीब 1 साल तक वह वन्यजीव के खाने-पीने आदि के खर्च उठाते हैं.

वन विभाग ने लोगों का वन्यजीवों से जुड़ाव कराने के उद्देश्य से यह स्कीम शुरू की है. जयपुर में पहली बार रक्षा संस्थान ने एमू को गोद लिया है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शेर, बाघ, बघेरे, हिप्पो समेत कुल वन्यजीवों की 25 प्रजातियां प्रवास कर रही हैं. जिसमें 170 वन्यजीव मौजूद हैं. गोद लेने के इच्छुक व्यक्ति किसी भी वन्यजीव को गोद ले सकते हैं. हिप्पो पर 2000 रुपए प्रतिदिन का खर्च आता है. यह सबसे महंगा वन्यजीव है. उसके बाद शेर और बाघ को शामिल किया गया है. इनके एक दिन का भोजन का खर्च करीब 1000 रुपए है. बघेरे पर रोज 400 से 500 रुपए का खर्च आता है. इसके अलावा भालू, लोमड़ी, हिरण समेत अन्य वन्यजीवों पर खान-पान का 100 से 300 रुपए रोजाना का खर्च होता है.

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नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता ने बताया कि अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में भी वन्यजीवों को गोद देने की स्कीम शुरू की गई. ताकि कोई भी व्यक्ति किसी भी वन्यजीव को गोद लेकर उसके खान-पान रहन-सहन का खर्च उठा सके. टाइगर और लायन का सालाना खर्च करीब 5 लाख रुपए आता है. हिप्पो का सालाना खर्च करीब 10 से 15 लाख रुपए के बीच आता है.

'फिट इंडिया फ्रीडम रन' कार्यक्रम का आयोजन

जयपुर रेल मंडल की ओर से 'फिट इंडिया फ्रीडम रन' का आयोजन किया गया. भारत सरकार के युवा मामले एवं खेल मंत्रालय की ओर से चलाए गए 'फिट इंडिया फ्रीडम रन' के तहत उत्तर पश्चिम रेलवे के जयपुर मंडल के अधिकारियों, कर्मचारियों और परिजनों ने प्रतिदिन खेल, वॉकिंग और दौड़ में भाग लेकर अभियान को सफल बनाया. इस अभियान में डेढ़ लाख से ज्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया और उनके द्वारा 10 लाख से अधिक किलोमीटर पूरे किए गए.

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