जयपुर. तारीख 13 मई 2008 समय मंगलवार शाम के करीब 7.30 बजे, जगह जयपुर शहर का परकोटा. जहां एक के बाद एक 8 जगहों पर सिलसिलेवार बम धमाके हुए. गुलाबीनगरी कहा जाने वाला जयपुर रक्त से लाल हो गया, चारों तरफ बिछी लाशें और मची चीख पुकारों का वो मंजर आज भी याद करते ही कलेजा सिहर उठता है. सांगानेरी गेट हनुमान मंदिर, त्रिपोलिया बाजार, पितलियो के रास्ते, छोटी चौपड़, हवामहल के सामने, मनिहारो के खंदे, कोतवाली थाने के बाहर, चांदपोल हनुमान मंदिर, फूलों के खंदे के पास ये धमाके हुए. वहीं चांदपोल में एक जगह बम को डिफ्यूज किया गया था.
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एक के बाद एक हुए 8 सिलसिलेवार बम धमाकों में 70 से ज्यादा बेगुनाहों की जान चली गई, जबकि सैंकड़ों लोग घायल हुए थे. कईयों के भाई, तो किसी के पिता का साया उठ गया. कोई अपनी मां को संभालता दिखा तो कोई अपने बच्चों को. वो भयावह मंजर याद करते है तो मानो जख्म कलेजा चीर कर रख देते है. लेकिन बम धमाकों के मामले में न्याय की 18 दिसंबर की तारीख तय होने के बाद पीड़ितों का दर्द छलक पड़ा. ऐसे में धमाकों के पीड़ित चश्मदीदों ने न्याय की आस जगी है.
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ऐसे में ईटीवी भारत ने परकोटा के चांदपोल हनुमान मंदिर पर जाकर वहां के लोगों से उनकी प्रतिक्रिया जानी. यह वहीं जगह थी जहां पर 8 सिलसिलेवार बम धमाकों में 5 वां बम ब्लास्ट हुआ. पांचवा बम ब्लास्ट चांदपोल बाजार स्थित हनुमान मंदिर के बाहर पार्किंग स्टैंड पर शाम 7:30 बजे हुआ. इसमें सबसे ज्यादा 25 लोगों की मौत हो गई. जबकि 50 के करीब लोग घायल हो गए. इनमें दुकानदार, ग्राहक, भिखारी और राहगीर इसकी चपेट में आ गए.
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वहीं इसी हनुमान मंदिर के बाहर फूल मालाओं के थड़ी लगाने वाले रामप्रसाद की भी मौत हो गई. रामप्रसाद पिछले 30-35 सालों से इसी मंदिर के बाहर फूल मालाओं की दुकान लगाते थे, लेकिन मंगलवार की शाम जो वो भी इसी दर्दनाक हादसे के शिकार हो गए. उसी बम ब्लास्ट के चश्मदीद रामप्रसाद के बेटे कमल बताते हैं कि वह मंजर जब तक जिंदा रहूंगा तब तक कभी नहीं भूल पाऊंगा. ना ही मेरा परिवार और ना ही मंदिर के आस पड़ोस में रहने वाले लोग. उस दर्दनाक हादसे ने एक ही पल में पूरे परिवार की खुशियां छीन ली. ऐसे में कमल कहते है कि अब आखिरकार साढ़े 11 साल बाद न्याय की उम्मीद जगी है और उस हमले को अंजाम देने वाले आंतकवादीयो को सिर्फ और सिर्फ फांसी की सजा दी जाए.